विश्‍व-पटल पर सन् 2002 से ब्यावर के स्वर्णिम इतिहास को सचित्र एवं समग्र जानकारी को हिन्दी में प्रस्तुत कर ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प
ब्यावर की अतीत की ख्याति को पुर्नस्थापित करने पर माननीय मुख्य मन्त्री श्री अशोकजी गहलोत का कोटि कोटि आभार
सन् 1991 में ब्यावर का इतिहास लिखने पर अजमेर संभागीय आयुक्त श्रीमती अल्का काला से पुरस्कार  एवं प्रमाण पत्र ग्रहण करते हुए बादशाह वासुदेव मंगल

 

Arun Mangal    (Human Calendar)  

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Arun Mangal Beawar

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   सम्पूर्ण दुनिया में ब्यावर एकमात्र शहर है जो कि ईसाई धर्म के प्रतीक चिन्ह क्राॅस की आकृति पर सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कर्नल जार्ज डिक्सन द्वारा बसाया गया है। ऐतिहासिक एवं भौगौलिक महत्व के इस अद्वितीय शहर ब्यावर के बारे में वासुदेव मंगल द्वारा महत्वपूर्ण एवं क्रमबद्ध जानकारी


ब्यावर शहर के 175वें स्थापना दिवस के शताब्दी हीरक जयंती पर्व पर लेखक वासुदेव मंगल द्वारा हार्दिक शुभकामनाएं

 

 

 

 

 

 

यह वेबसाईट प्रेरणामयी गीता देवी मंगल को सादर समर्पित        

खुद में समेटे है ब्‍यावर (दैनिक भास्‍कर 16 जनवरी 2009)

लेखक द्वारा परिजनों को श्रद्धा सुमन          


क्रोस के पावन - प्रतीक पर विज्ञानी सोच के साथ ब्‍यावर के बसावटकर्ता - कर्नल जार्ज चार्ल्‍स डिक्‍सन

राजस्थान में विलय के पश्चात ब्यावर में कार्यरत रहे उपखण्ड अधिकरियों की सूची

ब्यावर में कार्यरत सन् 1974 से वृताधिकारीगण वृत, ब्यावर की सूची

ब्‍यावर शहर की अनूठी पहचान 
सूचना का अधिकार 
एक क्रान्तिकारी परिवर्तन का प्ररेणास्‍त्रोत - ब्‍यावर


ब्‍यावर के  तिल की अनोठी मिठास - लाजवाब तिलपपडी


मुगलकाली शाही परम्‍परा कीशानदार झलकब्‍यावर का बेमिसाल बादशाह मेला


ग्रामीण-शहरी संस्‍क़ति का अनूठा मिलन
ब्‍यावर का अति प्राचीन तेजा मेला


ब्‍यावर Live....
ब्‍यावर के विकास की गाथा 
इतिहासवेत्‍ता मंगल के उदगार


सम-सामयिक विवेचना  

 

 

ब्‍यावर स्‍थापना दिवस 

लेखक के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख एवं विचार

 

ब्‍यावर का नक्‍शा

जिले के समर्थन में  कारण

Web Site in English

व़ेबसाईट के जनक एवं इतिहासवेत्‍ता वासुदेव मंगल

प्रस्तावना

वर्तमान में सूचना तकनीक में क्रान्तिकारी परिवर्तन होने के कारण दुनियाँ छोटी हो गई है। इस साधन के जरिये सम्पूर्ण विश्व एक हो गया हैं। ब्यावर के व्यक्ति दुनियाँ के तमाम कोने में निवास करते है, जिन्हें अपने वतन का स्वर्णिम इतिहास व गतिविधियाँ जानने की अभिलाषा प्रत्येक ब्यावर के प्रवासी भारतीय व भारत में, जनसाधारण के मन में है। प्रस्तुत साइट मे, वासुदेव मंगल का, ब्यावर की सम्पूर्ण जानकारी कराने के विषय में, प्रयास मात्र हैं जो आपको पसन्द आयेगा। 

ब्यावर शहर की स्थापना से लेकर आजतक, अभीतक जनसाधारण के मन में ब्यावर के सुनहरी इतिहास और इस धरती के कर्मवीर, आर्दश महापुरूषों, मनिषियों, प्रतिभाओं और मेधा व्यक्तित्व के आर्दश चरित्र को जानने की अभिलाषा व जिज्ञासा सभी के मन में बनी हुई है। ब्यावर ने कुछ परिधि तक भारतवर्ष के स्वतन्त्रता संग्राम में अग्रहणी व महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पूर्व के मध्य-भारत व तत्कालीन राजपूताना के केन्द्र में स्थित होने के साथ-साथ समुद्रतल से 1467 फीट के एक उँचे पठार पर बसे होने के कारण इस क्षेत्र के निवासियों में दो प्राकृतिक गुण विद्यमान है। पहिला गुण काम करने की अपार क्षमता जो केन्द्रिय उर्जा का द्योतक है और दूसरा गुण यहाँ के निवासियों की कुशाग्रबुद्धि यानि मस्तक मनुष्य के शरीर के सबसे उपर का भाग होता है जो ब्यावर के उँचाई पर बसे होने का द्योतक है। यहाँ तक कि अजमेर शहर के तारागढ़ पर्वत की चोटी और ब्यावर शहर का धरातल लगभग समान उंचाई वाला हैं।

1 फरवरी सन् 1836 ईसवीं से लेकर आजतक  ब्यावर के सुनहरी इतिहास को जानने की जिज्ञासा प्रत्येक व्यक्ति के मन में बनी हुई हैं।

ब्यावर के आरम्भ से लेकर आजतक समय-समय पर इस पावन धरती पर अनेक महापुरूष अवतरित हुए और बाहर से आकर ब्यावर को कर्मस्थली बनाने वाले मनिषीयों, ऋषियों, तपस्वियों तथा आर्दश महापुरूषों के आर्दश चित्रण करने का मेरा प्रयास मात्र है। फिर भी सरस्वती माँ की इस लेखनी के द्वारा इस कार्य में कोई कमी, भूल हुई हो तो सभी पाठकगण से, भूल सुधार करने व इस विषय से सम्बन्धित सामग्री व ज्ञान को परिलक्षित करने हेतु सुझाव देने व मार्गदर्शन करने की विनम्र प्रार्थना करता हूँ। आपके ऐसा करने से मेरे को और अधिक शक्ति प्राप्त होगी।आपके सुझाव मेरे निम्नलिखित ई-मेल पर देने की कृपा करें।

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