प्रस्तावना
वर्तमान में
सूचना तकनीक
में
क्रान्तिकारी
परिवर्तन
होने के कारण
दुनियाँ छोटी
हो गई है। इस
साधन के जरिये
सम्पूर्ण
विश्व एक हो
गया हैं।
ब्यावर के
व्यक्ति
दुनियाँ के
तमाम कोने में
निवास करते है,
जिन्हें अपने
वतन का
स्वर्णिम
इतिहास व
गतिविधियाँ
जानने की
अभिलाषा
प्रत्येक
ब्यावर के
प्रवासी
भारतीय व भारत
में, जनसाधारण
के मन में है।
प्रस्तुत
साइट मे,
वासुदेव मंगल
का, ब्यावर की
सम्पूर्ण
जानकारी
कराने के विषय
में, प्रयास
मात्र हैं जो
आपको पसन्द
आयेगा।
ब्यावर शहर की
स्थापना से
लेकर आजतक,
अभीतक
जनसाधारण के
मन में ब्यावर
के सुनहरी
इतिहास और इस
धरती के
कर्मवीर,
आर्दश
महापुरूषों,
मनिषियों,
प्रतिभाओं और
मेधा
व्यक्तित्व
के आर्दश
चरित्र को
जानने की
अभिलाषा व
जिज्ञासा सभी
के मन में बनी
हुई है।
ब्यावर ने कुछ
परिधि तक
भारतवर्ष के
स्वतन्त्रता
संग्राम में
अग्रहणी व
महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई
है।
स्वतन्त्रता
प्राप्ति के
पूर्व के मध्य-भारत
व तत्कालीन
राजपूताना के
केन्द्र में
स्थित होने के
साथ-साथ
समुद्रतल से 1467
फीट के एक उँचे
पठार पर बसे
होने के कारण
इस क्षेत्र के
निवासियों
में दो
प्राकृतिक
गुण विद्यमान
है। पहिला गुण
काम करने की
अपार क्षमता
जो केन्द्रिय
उर्जा का
द्योतक है और
दूसरा गुण
यहाँ के
निवासियों की
कुशाग्रबुद्धि
यानि मस्तक
मनुष्य के
शरीर के सबसे
उपर का भाग
होता है जो
ब्यावर के
उँचाई पर बसे
होने का
द्योतक है।
यहाँ तक कि
अजमेर शहर के
तारागढ़
पर्वत की चोटी
और ब्यावर शहर
का धरातल लगभग
समान उंचाई
वाला हैं।
1 फरवरी सन् 1836
ईसवीं से लेकर
आजतक ब्यावर के
सुनहरी
इतिहास को
जानने की
जिज्ञासा
प्रत्येक
व्यक्ति के मन
में बनी हुई
हैं।
ब्यावर के
आरम्भ से लेकर
आजतक समय-समय
पर इस पावन
धरती पर अनेक
महापुरूष
अवतरित हुए और
बाहर से आकर
ब्यावर को
कर्मस्थली
बनाने वाले
मनिषीयों,
ऋषियों,
तपस्वियों
तथा आर्दश
महापुरूषों
के आर्दश
चित्रण करने
का मेरा
प्रयास मात्र
है। फिर भी
सरस्वती माँ
की इस लेखनी के
द्वारा इस
कार्य में कोई
कमी, भूल हुई
हो तो सभी
पाठकगण से, भूल
सुधार करने व
इस विषय से
सम्बन्धित
सामग्री व
ज्ञान को
परिलक्षित
करने हेतु
सुझाव देने व
मार्गदर्शन
करने की
विनम्र
प्रार्थना
करता हूँ।
आपके ऐसा करने
से मेरे को और
अधिक शक्ति
प्राप्त
होगी।आपके
सुझाव मेरे
निम्नलिखित ई-मेल
पर देने की
कृपा करें।
Email -
vasudeomangal@gmail.com
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