ब्यावर की चिकित्सा व्यवस्था
रचनाकारः वासुदेव मंगल
सन् 1869 ई. में राजपूताना में सबसे पहिल अग्रेंजी पद्धति पर आधारित अस्पताल ब्यावर में मेवाड़ी दरवाजे के अन्दर चैराहे पर खोला गया। इस अस्पताल में डा. अब्दूल वहीद व डा. बलवन्त सिंहजी नियुक्त किये गये। फिर रायबहादुर सुरजनारायणजी आये। इसके बाद डा. कुंजबिहारी लालजी माथुर डा. आस्टिन् व कम्पाउन्डर अजीज इत्यादि रहे।
श्री पाश्र्वनाथ जैन चिकित्सालय एवं शोध संस्थान
सन् 1954 में अजमेर राज्य में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री स्थानीय पं. ब्रजमोहन लालजी शर्मा तत्कालीन केन्द्रिय स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती राजकुमारी अमृतकौर नगर के बाहर छावनी स्टेशन मार्ग पर नये भवन का सिलान्यास करवाया और इस अस्पताल का नाम अमृतकौर अस्पताल रखा। यह अस्पताल तब से ‘अ’ श्रेणी का अस्पताल है और अजमेर जिले का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का मुख्यालय है। इस अस्पताल में आस पास के मगरा क्षेत्र से सैकड़ों मरीज ईलाज के लिये आते हैं। वूल मर्चेन्ट ऐसोशियन की तरफ से अमृतकौर अस्पताल के सामने ही सड़क के उस पार राजकीय प्रसूति गृह भवन का निर्माण कराया गया तब से ही यह प्रसूति गृह भॅली प्रकार से राज्य सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। सनातन धर्म काॅलज के सामने सड़क के इस ओर राज्य व केन्द्रिय श्रमिकों व क्रमचारीयों की सुविधा हेतू ई एस आई डिस्पेन्सरी चलाई जा रही है जो राजकीय देख रेख में चल रही है। मेवाड़ी बाजार के चैराहे पर स्थित पुराने वाले चिकित्सा भवन में अब सिटी डिसपेन्सरी चलाई जा रही है।
नगर में वैद्यों में सबसे पहीले सन 1857 ई. में वैद्य गिरवररामजी गौड़ ने प्रथम औषधालय मनोहर प्रिन्टिग प्रेस के परिसर में खोला। फिर तनसुखजी वैद्य ने सितला माता गली सुरजपोल गेट के अन्दर अपना निजी औषधालय खोला। चुन्नीलालजी व कल्याणमलजी वैद्य सराफी मौहल्ले में औषधालय चलाते थे। महादेव प्रसादजी व चिरंजीलालजी वैद्य, परोपकारणी औषधालय डिग्गी मौहल्ले में चलाते थे। तत्पश्चात् तीनों मीलों की तरफ से भी औषधालय चलाये गये। एडवर्ड मील का औषधालय डिग्गी मोहल्ले में, महालक्ष्मी मील्स का औषधालय मेवाड़ी बाजार में व कृष्णा मील का औषधालय शाहपुरा मौहल्ले में अग्रेंजी पद्धति का प्रसूति गृह। इसी प्रकार सर्राफान चैम्बर द्वारा धनतन्तरी औषधालय डिग्गी मौहल्ले में व जैन सेवा समिति औषधालय पिपलीया बाजार में आज भी चलाये जा रहे हैं।
राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय
चाॅंदमल मोदी राजकीय ‘अ’ श्रेणी आयुर्वेेदिक औषधालय भगत चैराहे पर चलाया जा रहा है। सबसे पहिले इस औषधालय में वैद्य भानुदत्त जी शर्मा नियुक्त किये गये थे। तत्पश्चात वैद्य रामरतनजी त्रिपाठी, वैद्य रामकृष्णजी मिश्रा, वैद्य राजेन्द्र शर्मा, वैघ विष्णु दत्त शर्मा, वैद्य मदनगोपाल मिश्रा, वैद्य जगदीश चन्द लाटा , वैद्य सुरजीत कौर, वैद्य बृजेश मुकदल रहे। इसके अतिरिक्त वैद्य इन्द्रदेव औझा, वैद्य बद्रीनारायण जोशी, वैद्य रमेश चन्द्र लाटा, वैद्य भॅंवरलाल शर्मा, वैद्य मुकुन्दलाल शर्मा भी विभिन्न औघधालय में रहे व कार्यरत है।
शहर में वर्तमान में अनेक स्थानों पर अलग अलग राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त बहुत सारी कई ट्र्स्टों द्वारा तथा प्राईवेट अनेक अस्पताल, डिंसपेन्सरीयाॅ व नृसिंग होम चलाये जा रहे जिनमें मुख्य अश्विनी क्लिनिक, जय क्लिनिक, जे एम डी हाॅस्पीटल आदि मुख्य है।
इसके अतिरिक्त शेखावत चैरीटेबिल हाॅस्पिटल, आदर्श हाॅस्पिटल, नेहा क्लिनिक एवं नृसिंग होम, आनन्द क्लिनिक, अमरदीप, आर्य, ब्यावर नृसिंग होम, डा. एस के शर्मा क्लिनिक, डा. उत्तम चन्दानी क्लिनिक, डा. दिनेश मून्ड़ा क्लिनिक, श्री नेत्र चिकित्सालय, डा. अहलूवालिया क्लिनिक, गोयल नृसिंग होम, डा. एम पी गोयल नृसिंग होम, डा. एम एम गोयल, धनवन्तरी क्लिनिक, सीमा क्लिनिक, सत्य क्लिनिक, डा. जी एन कुमावत क्लिनिक, गहलोत नृसिंग होम, डा. चैहान दन्त अस्पताल, डा. वर्मा दन्त, अस्पताल, वर्मा क्लिनिक इत्यादि प्राईवेट चलाये जा रहे है।
दिनांक 26 मई 2002 ई. को श्री पाश्र्वनाथ जैन चिकित्सालय एवं शोध संस्थान का उदघाटन राजस्थान के मुख्य मंत्री माननीय श्री अशोकजी गहलोत के कर कमलों द्वारा किया गया। वि.स. 2049 ई.सं. 1991 में महासतीजी श्री उमरावकॅुवरजी म.सा. की प्ररेणा से ‘श्री पाश्र्वनाथ जैन मेडिकल रिलीफ ट्र्स्ट’ द्वारा निर्माण का संकल्प लिया गया था जिसको मुर्तरूप दिया।
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