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ब्यावर के प्रथम चार्टड अकाउन्टेन्ट 
श्री भगवानदास गार्गिया
लेखक - वासुदेव मंगल

व्यापार शहर जहाँ एक ओर स्वतन्त्रता सैनानियों व धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक लोगों की कर्म स्थली रहा है वहीं 20वीं शताब्दी के आरम्भ में लेखन कार्य से जुडे हुए बहुआयामी व्यक्तित्व को तराशने में भी पीछे नहीं रहा है एवं व्यापारिक क्षेत्र में बहुमूल्य सेवाएँ प्रदान कर इसकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई हैं ब्यावर को भारत में लेखन कार्य में गौरवान्वित किया है। 
श्री भगवानदास गार्गिया का जन्म 20 मई 1908 को जैसलमेर में हुआ था। आपके दादाजी श्री पालूरामजी गार्गिया (1864-1933)ने सन् 1912 ई. में ब्यावर म्युनिसिपल कमेटी में ओक्ट्राॅय सुपरिन्टेण्डेन्ट के पद पर 14 वर्ष तक कार्य किया। वे गवर्नमेण्ट प्राप्त सर्टिफिकेट चार्टर्ड एकाउण्टेन्ट थे। आपके पिताश्री कन्हैयालालजी गार्गिया (1886-1967) ने 14 वर्ष तक यानि 1923 से 1937 तक महालक्ष्मी मिल्स के मैनेजर व सेक्रेटरी के पद पर कार्य किया। बम्बई से लेखांकन में सरकारी डिप्लोमा प्राप्त कर उन्होंने विभिन्न कम्पनियों से जुड़ने के बाद ब्यावर में मैसर्स बी. डी. गार्गिया एण्ड कम्पनी स्थापित की। 
श्री गार्गिया ने अपने व्यवहार कुशलता, मधुर-भाषी व्यक्तित्व एवं विश्वसनीय सेवाओं के कारण अल्प समय में ही अपनी कम्पनी का विस्तार करके देशभर में 50 शाखाएँ स्थापित कर दी तथा इन शखाओं के माध्यम से उन्होंने काॅटन, सिमेण्ट, कोयला, बीमा, उद्योग, कोपरेटिव सोसाइटी, गोलचा ग्रुप, मालपानी ग्रुप, जबलपुर मानसिंह ग्रुप, राजस्थान बैंक लिमिटेड़, मेवाड शुगर मिल्स उदयपुर डिस्टलरीज व अन्य कई महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान की। 
श्री गार्गिया की गिनती देश के जाने माने चार्टर्ड एकाउन्टेन्टों के रूप में होती थी। उनके सानिध्य में आर.एस.डाणी, बी.के. व्यास, गंगा प्रसाद शर्मा, एम. सी. जैन, जी. डी. गार्गिया, जे के. सिंहल, आनन्दी लाल, बी. एल. अगरवाल, गिरधर गोपाल, ओमप्रकाश गुप्ता, मदनलाल धूत, प्रकाश मेहता, कालीचन्द गोयल जैसे लोगों ने चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 
हिन्दी भाषा को प्रोत्साहन देने में श्री गार्गिया ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
16 मार्च 1991 को बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री बी.डी. गार्गिया का 83 साल की उम्र में निधन हो गया। वर्तमान में लेखांकन कला प्रणाली में ब्यावर को शिखर पर पहुँचाने का कार्य श्री गार्गिया ने किया। वे हमेशा इस क्षेत्र में याद किये जाते रहेगें।

लेखक: वासुदेव मंगल
गोपालजी मौहल्ला, ब्यावर 

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