www.beawarhistory.com        E-mail : vasudeomangal@gmail.com 

ब्यावर जिला क्यों बनाया जाय?
प्रस्तुतकत्र्ता व रचियता - वासुदेव मंगल, ब्यावर
रामगढिया शेखावाटी नोहरा, गोपालजी मोहल्ला, ब्यावर

1. ब्यावर को कर्नल चाल्र्स जाॅर्ज डि़क्सन ने सन् 1836 ई. में नागरिक बस्ती बनाया फौजी छावनी के स्थान पर। डिक्सन के जमाने में भी नया नगर तहसील ही रहा ब्यावर जिले की अन्य तहसील टाटगढ और सारोठ थी। 
2. ठीक इसके बाद सारोड, टाटगढ़ और नयानगर तहसीलों को मिलाकर ब्यावर जिला बनाया। अतः ब्यावर जिले में नयानगर तहसील जरूर है। परन्तु ब्यावर तो हमेषा जिला ही रहा है। 
3. तत्पष्चात् ब्यावर जिले के साथ मसूदा, बिजयनगर, बदनोर व भीम तहसीलों को मिलाकर मेरवाड़ा स्टेट बनाया और ब्यावर को मेरवाड़ा स्टेट का मुख्यालय बनाया सन् 1839ई. में। 
4. तब से 14 अगस्त 1947 तक ब्यावर मेरवाड़ा स्टेट एक अंग्रेजी रियासत के रूप में जाना जाता रहा।
5. 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतन्त्रता पर मेरवाड़ा और अजमेर दोनों अंगे्रजीं रियासतों को आजाद भारत की केन्द्रिय सरकार ने केन्द्रिय शासित राज्य बनाया (माना)।
6. 26 जनवरी सन् 1950 को केन्द्र सरकार ने अजमेर मेरवाड़ा को आजाद भारत का ‘स’ श्रेणी का राज्य घोषित किया। 
7. सन् 1950 की 26 जनवरी से अजमेर मेरवाड़ा भारत के राज्य का अलग से अजमेर में मन्त्री मण्डल था, विधायिका थी। विधानसभा भवन था। 
8. सन् 1953 में भारत सरकार ने छोटे राज्यों को मिलाने के आषय से सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस श्री सैय्यद फजल अली की अध्यक्षता में तीन सदस्यों का एक राज्य पुन्गर्ठन आयोग बनाया। जिसके दो अन्य सदस्य हृदयनाथ कुन्जरू व एम. पन्तिकर थें। 
9. इस आयोग ने 30 सितम्बर सन् 1955 ई. में अपनी रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सुपुर्द की।
10. इसमें अजमेर मेरवाड़ा राज्य को राजस्थान राज्य में मिलाये जाने पर राजनैतिक भोगौलिक, सामाजिक, आर्थिक, दृष्टि से, व्यापारिक, औद्योगिक, सामरिक, क्षेत्रीय दृष्टि से अजमेर को राजस्थान की राजनधानी और ब्यावर को राजस्थान का जिला बनाये जाने की सिफाारिष की गई थी। 
11. इसकी समीक्षा किये जाने हेतु तत्कालिन केन्द्रिय सरकार ने गृहमन्त्री श्री गोविन्द वल्लभ पन्त की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की एक समिति बनाई। 
12. इस समिति के चार अन्य सदस्य थे सर्वश्री मुकुट बिहारीलाल भार्गव, मोहनलाल सुखाडि़या बृजमोहनलाल शर्मा और दामोदर प्रषाद शर्मा। 
13. इस समिति ने आयोग द्वारा की गई सिफारिष को शत-प्रतिषत सही माना कि अजमेर मेरवाड़ा ‘स’ श्रेणी के भारत के राज्य को राजस्थान राज्य में मिलाये जाने पर अजमेर को राजस्थान राज्य का जिला और राजधानी बनाया जावे और ब्यावर जिले को राजस्थान का जिला बनाया जावे। 
14. बावजूद समिति की सर्वसम्मति के, अजमेर को क्रम अवनत करते हुए राजस्थान की राजधानी के स्थान पर जिला बना दिया और ब्यावर को जिले के स्थान पर उपखण्ड बना दिया।
15. अतः हमारी चुनिन्दा राज्य सरकारों ने तब से आज तक ब्यावर को अवनत करते हुए सन् 2002 में मसूदा को ब्यावर से अलग कर मसूदा के नाम से उपखण्ड बना दिया ताकि सिमेण्ट के कारखाने के राजस्व का ब्यावर हिस्सेदार न रहे। मसूदा को जानबूझकर फैक्ट्री को आर्थिक फायदा पहँुचाने की गरज से एक्साईज का लाभ ब्यावर को नहीं दिया गया। 
16. यहीं नहीं ब्यावर की मौजूदा तीन सूती कपडे की मिलों को, आठ-दस काॅटन जिनिंग पे्रस को, यहाँ तक की ऊन की राष्ट्रीय मण्डी को व रूई की राष्ट्रीय मण्डी को भी ब्यावर से हटा दिया गया ताकि ब्यावर का महत्व समाप्त हो जाय और व्यापार उद्योगों में बेरोजगारी फैल जावे। 
17. सन् 2013 मंे टाटगढ़ को भी ब्यावर से अलग करते हुए नया उपखण्ड बना दिया। अतः राजनैतिक अवनति की रही सही कसर और पूरी कर दी गई।

ब्यावर जिला बनाया जावे निम्नलिखित कारणों सेः- 

1. ब्यावर की आबादी वर्तमान में लगभग तीन लाख से ऊपर है। 
2. ब्यावर से लगते हुए तीन सौ, चार सौ गाँव है जिनकी मण्डी ब्यावर लगती है। अधिकतर प्रषासनिक कार्य भी ब्यावर से सम्पन्न होते है। ग्रामीणों का अस्पताल भी ब्यावर ही है। 
3. ब्यावर में वर्तमान में आस पास करीब आठ-दस लाख की आबादी निवास करती है। 
4. ब्यावर लगभग पांच किलोमीटर की परिधि में फैल चुका है। 
5. ब्यावर, आबकारी कर, वाणिज्यिक कर, आयकर, इत्यादि सरकार को राजस्व प्रदान करने का प्रमुख श्रोत है। 
6. ब्यावर षिक्षा का प्रमुख केन्द्र है। 
7. ब्यावर यातायात के पर्यटन स्थानों का मिडवे सिटी है। 
8. ब्यावर प्राकृतिक सम्पदाओं का भरपूर सम्पन्न क्षेत्र है। 
9. ब्यावर सभी धर्मों की नगरी है। 
10. ब्यावर में 25-30 बैंक राष्ट्रीयकृत बैंक अवस्थित है। 
11. ब्यावर में 30-35 ए.टी.एम. (आॅटो-ट्रान्स मषीन) है। 
12. ब्यावर में 25-50 करोड़ के लगभग वर्तमान में सभी जिन्सों का प्रतिदिन टर्न ओवर होता है। 

जिला बनाने पर फायदे

1. षिक्षा के क्षेत्र में व्यापक विस्तार दोनों तरह से गुण में व संख्या मंे। 
2. यहाँ पर मेडीकल काॅलेज, इंजिनियरिंग कालेज खोले जाने की गुंजाईष है।
3. स्टेडियम, ट्रान्सपोर्ट नगर इत्यादि की गुँजाईष।
4. तीन सौ, चार सौ काॅलोनियों के कारण रहने की सुविधा।
5. सभी प्रकार की जिन्सों का एक बड़ा बाजार उपलब्ध। 
6. जीवन यापन की सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध।
7. जिला बनाने पर तीन चार उपखण्ड हो जाते है। आठ-दस तहसील हो जाती है। दो पंचायत समिति हो जाती है। दस-पन्द्रह थानें हो जाते है। करीब 72-75 ग्राम पंचायतें हो जाती है। और करीब तीन चार सो राजस्व गाँव होते है। 
8. रेल, सड़क मार्ग यातायात की सुविधा। 
9. सभी जिन्सों की विपणन सुविधा। 
10. खनन क्षेत्र की सुविधा।
11. वन क्षेत्र की सुविधा।
12. सरकार के लिये सभी प्रकार के राजस्व प्राप्ति की भरपूर सुविधा।
13. पच्चीस तीस मिलोमीटर की परिधि का क्षेत्र जिले में समाविष्ट। जिससे चँहु दिषाओं में विकास की सम्पूर्ण गुँजाईष है। 
14. पिछले दस सालों से राज्य सरकार की नया नगर से ब्यावर राजस्व रिकार्ड से नामकरण करने की उदासिनता रही हैं यह प्रस्ताव भी पारितकर राज्य सरकार को स्थानीय नगर परिषद द्वारा 21 फरवरी 2006 को भेजा जा चुका है। यह कार्यवाही राज्य सरकार को करनी है। 
15. इतिहास गवाह है कि ब्यावर अतीत में नयानगर तहसील के नाम से जरूर रहा हैं परन्तु जिले के लिहाज से हमेषा ब्यावर जिले के नाम से ही अतीत में रहा है जिसमें सारोठ, नयानगर और टाटगढ़ तहसीलें थी। 
16. अतः जिला घोषित किये जाने से इसको खोया हुआ गौरव पुनः प्राप्त हो सकेगा। 
अतः यषस्वी मुख्यमन्त्री अपने जन्मदिन पर 8 तारीख को ब्यावर को जिले का तोहफा प्रदान अवष्यक करेगी। ब्यावर क्षेत्र के निवासियों को पिछले 60 वर्षों से ब्यावर जिले की घोषणा का इन्तजार है। 
रचनाकार व प्रस्तुतकर्ता:- वासुदेव मंगल, ब्यावर
www.beawarhistory.com 
Ph.  01462 252597

Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved