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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
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छायाकार - प्रवीण मंगल, ब्यावर

19 नवम्बर 2022 को
श्रीमती इन्दिरा गांधी
की 105वीं सालगिरह और 106वाँ जन्म दिन
लेखक प्रस्तुतकर्त्ता:- वासुदेव मंगल
प्रिय दर्शनी इन्दिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर सन् 1917 में हुआ। इन्दिरा गांधी का लालन पालन भी बडे़ राजसी ठाठ बाठ से हुआ। पण्डित जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती कमला नेहरू इन्दिरा के पिता व माता थी। नहर के किनारे घर होने के कारण मोतीलाल व जवाहरलाल ’’नेहरू’’ के सरनेम से जाने लगे। इन्दिरा का लालन पालन भी इलाहाबाद में आनन्द भवन में हुआ और बाल्यावस्था की शिक्षा भी वहीं हुई। आगे की पढ़ाई हेतु नेहरू दम्पत्ति उसे अजमेर के मेयो कॉलेज में भर्त्ती कराने के लिये अजमेर आये। यहां पर आने के बाद उनका विचार बदल गया। उन्होंने इन्दिरा की शिक्षा हेतु गुरूवर रविन्द्रनाथ टैगोर की शान्ति निकेतन को उचित समझा। अतः इन्दिरा का दाखिला शान्ति निकेतन में करा दिया। पण्डित नेहरू अब वकालत के साथ साथ भारत की सक्रिय राजनीति में व्यस्त रहने लगे। इन्दिरा का रूझान भी पिता के कार्यों में हाथ बटाना शुरू हुआ। पढाई के दौरान ही इन्दिरा का फिरोज गांधी के साथ परिचय हुआ। अतः जवाहर-कमला नेहरू पिता-माता ने उनका विवाह फिरोज गांधी के साथ कर दिया। अब वह इन्दिरा गांधी कहलाने लगी।
भारत की आजादी के पण्डित जवाहरलाल नेहरू प्रथम प्रधानमऩ़़्त्री बने। इन्दिरा गांधी भी 1962 के केन्द्रिय मन्त्री मण्डल में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री का दयित्व निभा रही थी। इसी काल में चीन की भारत के साथ लड़ाई आरम्भ हुई।
इन्दिरा जी सूचना एवं प्रसारण मन्त्री रहते हुए ब्यावर सन् 1962 में एक बार ही आई। उनका भाषण सुभाष उद्यान के राठी पवेलियन पर हुआ। चीन की लड़ाई के कारण भारत में जन चेतना का संचार शुरू हुआ। अतः उनका भाषण मर्मस्पर्शी था। चीन के भारत पर आक्रमण के कारण पण्डित नेहरू सदमें में आ गये। 27 मई 1964 को नेहरूजी दिवंगत हुए। तब लाल बहादुर शास्त्रीजी को उनके स्थान पर भारत का प्रधानमन्त्री बनाया गया। इसी दरम्यान भारत पाकिस्तान का युद्ध 1965 में हुआ। ताशकन्द समझौते के वक्त शास्त्रीजी का ताषकन्द में देहान्त 11 जनवरी सन् 1966 में हो गया। उनकी जगह भारत के प्रधानमन्त्री की बागडोर तब इन्दिरा गांधी ने 1966 में सम्भाली। सन् 1967 के आम चुनाव में वह फिर प्रधानमन्त्री बनी। सन् 1967 से 1977 तक इन्दिरा गांधी का कार्यकाल प्रधानमन्त्री रहते हुए बड़ा रोचक रहा। उस वक्त सन् 1969 में कांग्रेस के अध्यक्ष निजलिंगप्पा थे। उनसे इन्दिरा की अनबन हो गई अतः कांग्रेस पार्टी दो भाग में विभक्त हुई। कांग्रेस एस (सिण्डीकेट) निजलिंगप्पा की पार्टी का नाम और कांग्रेस आई (इन्दिरा) इन्दिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी का नाम। इस दौर में प्रधानमन्त्री रहते इन्दिरा गांधी ने सन् 1969, 1970 व 1971 में एक तीन अभूतपूर्व फैसले कियेः-
पहला - 19 जुलाई 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण
दूसरा:- 1970 में राजा महाराजाओं के प्रिवीपर्स का फैसला और
तीसरा:- 1971 में पाकिस्तान के साथ भारत का युद्ध।
इस युद्ध में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान में जीत हासिल करते हुए एक लाख सैनिकों का समर्पण कराया और बंगला देश के नाम से एक नये देश का उदय किया। तब से वह आयरन लेड़ी के नाम से जानी जाने लगी। सन् 1972 के आम चुनाव में वह फिर प्रधानमन्त्री बनी। लेकिन उनके प्रतिद्वन्दी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उनके चुनाव को चुनौती दी। सन् 1976 ईसवीं में श्रीमती गांधी ने राजस्थान के पोकरण में परमाणु बम का भूमिगत परीक्षण किया। इसी समय लगभग इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला इन्दिरा के खिलाफ आया। वह इस फैसले से सहमत नहीं थीं। अतः 25 जून 1975 को उन्होंनें देश में आपातकाल लगा दिया। परिणामस्वरूप देश में विद्रोह की ज्वाला भड़क गई। जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में आन्दोलन शुरू हुआ और सफल रहा। अतः 1977 के चुनाव में इन्दिरा गांधी की शर्मनाक हार हुई और 1977 में मोरारजी देसाई की केन्द्र में जनता दल की पहीली बार भारत में गैर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। लेकिन विभिन्न विचारों के गठजोड़ से बनी जनता दल एक नहीं रह सका। अतः मोरारजी देसाई ने सन् 1980 में जनवरी में मध्यावधि की चुनाव की घोषणा कर दी। अतः सन् 1980 के मध्यावधि चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गांधी पुनः प्रचण्ड बहुमत से चुनकर प्रधानमन्त्री बनी। अतः जनतादल भानमती का कुनबा बिखर गया।
इस बार पंजाब में खालिस्ताान आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अतः श्रीमती गांधी आपवरेशन बल्यू स्टार चलाकर अमृतसर स्वर्णमन्दिर को सुरक्षित किया।
अतः इस आपरेशन से कुछ सिख समुदाय नाराज हो गए। अतः 31 अक्टूबर 1984 ई. को जब इन्दिरा गांधी अपने घर के पिछवाडे़ से दफ्तर जा रही थी तो उनके सिख अंग रक्षकों ने ही अपनी राईफल से गोली चलाकर उनकी हत्या करदी।
इस प्रकार आयरन लेडी दो बार देश की लम्बे अर्से तक प्रधानमन्त्री रही। पहीली बार 1966 से जनवरी 1977 तक लगातार 11 साल तक इस दरम्यान दो आम चुनाव में सन् 1967 व 1972 में जीत हासिल की। और दूसरी बार सन् 1980 से 31 अक्टूबर 1984 तक पोने पांच साल तक।
इस प्रकार लगभग सोलह साल तक इन्दिरा गांधी प्रधानमन्त्री रहते हुए अनके देश के लिये लाभप्रद ऐतिहासिक फैसले कर दुनिया में अमर हो गई।
आज 19 नवम्बर 2022 को उनकी 105 वीं वर्षगांठ व 106 वें जन्म दिन पर हमारा मंगल परिवार व www.beawarhistory.com का शत् शत् नमनः

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