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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......                  ✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)
 


1 फरवरी 2023 को ब्यावर स्थापना के 188वें स्थापना दिवस पर विशेष
1 नवम्बर 1956 को ब्यावर को उपखण्ड बनाये 66 वर्ष हो गए
अब तो जिला बना दे सरकार


लेखक : वासुदेव मंगल, ब्यावर
कोई जमाने में ब्यावर भारत का सिरमौर था। ब्यावर राजपुताने का गौरव था। भारत के नौ व्यापारिक केन्दों में से एक था।
राजस्थान की बात तो छोड़ो। राजस्थान तो 1950 में बना। उस जमाने में भारत व विश्व में राजपूताने के नाम से जाना जाता था और ब्यावर मेरवाड़ा स्टेट के नाम से। उस जमाने में जयपुर, जोधुपर, उदयपुर, कोटा, भरतपुर, किशनगढ़, भीलवाड़ा, पाली, सुमेरपुर को तो कोई जानता भी नहीं था। भारत के तो दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास भी व्यापारिक शहर नहीं थे।
राजस्थान में देशी रियासतें थी। अंग्रेजी शहर मात्र चार स्थान हुआ करते थे। मेरवाड़ा (ब्यावर), आबू, अजमेर और नसीराबाद छावनी। ये चारों परगने भी ईस्ट इण्डिया कम्पनी से अधिशाषित होते थे विशेषकर बंगाल आर्टलरी रेजिमेण्ट के कर्नल रेन्क के फौजी आधिकारी चार्ल्स जॉर्ज डिक्सन के द्वारा विशेषकर ब्यावर मुख्यालय से।
पहला काल खण्ड
डिक्सन ने 1 फरवरी 1836 को ब्यावर शहर की आधार शिला रखकर क्रॉस आकृति पर शहर को बसाया। उस बात को आज 187 वर्ष हो गए। आज 188वां पर्व है। चूंकि यह शहर ऊन और कपास जिन्सों का व्यापारिक केन्द्र बनाया। उस समय सात परगनों क्रमशः ब्यावर, मसूदा, बिजयनगर, बदनौर (बदनपुर), भीम (मण्डला), टाटगढ़ (बरसावाड़ा) और आबू को मिलाकर मेरवाड़ा बफर स्टेट बनाकर व्यापार आरम्भ किया उस समय के भारत के आठ अन्य भिन्न भिन्न राज्यों के शहरों के साथ साथ। ये अन्य शहर थे सिन्ध प्रान्त का मीरपुर खास - पंजाब प्रान्त का फाजिल्का - उत्तर भारत का कानपुर - मध्य भारत को इन्दौर और बम्बई प्रान्त के चार शहर क्रमशः बम्बई, अहमदाबाद, भावनगर व राजकोट।
डिक्सन ने स्काटलैण्ड के डिक्सन गांव की भोगौलिक स्थिति के हुबहू प्रतिकृति पर ब्यावर की सरंचना की।
भारत में जयपुर की आर्चिटेक्ट शिल्पकला की मिनियेचर आर्चीटेक्ट शिल्पकला ब्यावर बसावट का बेजोड़ नायाब वैज्ञानिक ढंग का नमूना है।
ब्यावर को डिक्सन ने लोकतान्त्रिक, समाजवाद, धर्मनरपेक्ष पद्धति पर बसाया। अर्थात् सरकार का विकेन्द्रीकरण, अलग अलग जाति-धर्मों के नागरिकों के लिये अलग अलग मौहल्ले व उपासनाघर। अलग अलग जाति के समाजों को झगड़ा उनकी जाजम पर दो तिहाई बहुमत से निपटारा व अन्त में अपराधों की सिस्टम (व्यवस्था) अपराधियों के अभिभावकों से व्यवस्था का पारिश्रामिक वसूल कर व्यवस्था करना आदि आदि।
ग्रामीणों के सौहाद्र के लिये उनके लोकदेवता तेजाजी का मेला भरवाना आदि। सभी समाजों में परस्पर प्रेम भाव, आदर सत्कार व सभी धर्मों के लोग सभी पर्वों में मिलजुल कर आनन्द पूर्वक उमंग के साथ बढ़कर भाग लेते थे।
तो यह था सामाजिक सौहाद्र सामाजिक समरसता का वातावरण शहर ब्यावर व मेरवाड़ा स्टेट में उस समय।
शहरी लोगों के लिये बादशाह मेले को भरवाना आरम्भ किया।
ब्यावर का चक्र दो काल खण्डों में आरोही और अवरोही में अर्थात् उन्नति और अवनति या विकास और विनाश।
पहला काल खण्ड - 121 साल का अर्थात् सन् 1836 से 31 अक्टूबर 1956 तक का आरोही उन्नति और विकास का। और
दूसरा काल खण्ड - 1956 के 1 नवम्बर से लेकर 31 जनवरी 2023 अब तक का 66 वर्ष 3 महीने का अर्थात् अवरोही अवनति और विनाश का। इस प्रकार आज 187 वर्ष पूरे होकर 188वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है।
इन 187 वर्षों में ब्यावर ने अनेकानेक उन्नति और अवनति के असंख्य उतार चढ़ाव देखे है।
यहां पर ब्यावर शहर की खासियत वर्णन करना आवश्यक हैः-
एक - कोस्मोपोलटिन कल्चर यह संस्कृति यहाँ की ट्राईवाल जाति रावत मेरात में करीब एक हजार साल से बखूबी प्रचलित है। इसमें अजमेर, पाली, भीलवाड़ा व राजसमन्द जिले हैं। इसका क्षेत्र उत्तर में मेरवाड़ा के नरवर से लेकर दक्षिण में दिवेर तक करीब सौ मील की पट्टी व पूरब में बघेरा से लेकर अजमेर के पश्चिम बवायचा तक करीब पचास मील। यहां के 121 साल विकास व्यापार और उद्योग, शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक विकास। दो - यहाँ पर अथाह खनिज सम्पदा है। तीन - यहां पर अथाह वन सम्पदा है अर्थात् जंगल है चार - पशुधन, पांच - शिक्षा, छ - चिकित्सा, सात - सामाजिक विकास, आठ - धार्मिक सहिष्णुता, नो - व्यापार, दस - उद्योग।
दूसरा काल खण्ड
भाग 1 - च्ूंकि सरकार पर विश्वास करने की 100 प्रतिशत गुजांईश इसलिये है कि अबकी बार 10 फरवरी सन् 2023 में राज्य सरकार स्वयं अन्य शहरों के साथ साथ ब्यावर क्षेत्र को भी जिला बनाने का पुरजोर समर्थन कर रही है।
अब चूंकि ब्यावर भौगोलिक क्षेत्रों में अपार खनिज सम्पत्ति, वन सम्पदा ओर पर्यटन क्षेत्र, व्यापारिक केन्द्र व औद्योगिक हब शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में अपार पर्याप्त विकास की गुंजाईश रखता है। दूसरे देशों के साथ साथ भारत के पूंजीपति भी यहां पर अपनी पूंजी विनिवेश करके इस क्षेत्र को पर्याप्त विकसित करने के लिये सहमत है। यहां की प्राकृतिक सम्पदा का दोहन करने के लिये यहां पर श्रम शक्ति प्रचुर मात्रा में हैं।
अतः जिला बनाये जाने के बाद ब्यावर में द्रुत विकास हेतु मेडीकल कालेज, लॉ कालेज, इंजिनियरिंग कालेज की तत्काल आवश्यकता होगी। साथ ही औद्यागिक क्षेत्र में सिरेमिक हब व ग्रेनाईट स्टोन का हब बनाये जाने के लिये भी सभी संघटक अनुकूल है।
सिरेमिक के लिये कच्चा माल प्रचुर मात्रा में हैं पावर व गैस की उपलब्धता पर्याप्त है। साथ ही पूंजी निवेश की भी अपार गुंजाईश हैं तैयार माल का मार्केट (बाजार) भी स्थित है।
इसी प्रकार ग्रेनाईट स्टोन के लिये ब्यावर से बदनोर, आसीन्द और भीलवाड़ा रूट के पहाड़ियों में अपार सम्पदा भरी पड़ी है। आवश्यकता है मात्र इसके दोहन करने की।
इसी प्रकार पर्यटन उद्योग के लिये रावली अभ्यारण्य है। ईमारती लकड़ी के उद्योग के लिये अपार गुंजाईश है।
अतः ब्यावर जिले के द्रुत विकास के लिये उपरोक्त वर्णित सभी घटकों का तुरन्त प्रभाव से राजस्थान राज्य की सरकार को दोहन कर कार्यरूप प्रदान करने की तत्परता की जरूरत होगी।
गहलोत साहब सन् 1998 में पहीली बार राजस्थान प्रदेश के मुख्य मन्त्री बने तब ही हमने तो उम्मीद लगाई थी कि आप हमारे मारवाड़ क्षेत्र के हैं अतः ब्यावर का जरूर ख्याल रखेगें।
दूसरी बार सन् 2008 में दोबारा मुख्य मंत्री का आसन सम्भाला तब वो पूरी उम्मीद थी कि अबकी बार तो ब्यावर जरूर जिला बनेगा।
परन्तु आप भी ब्यावर के नागरिकों की परीक्षा ले रहे हैं।
अबकी बार आपने मुख्य मन्त्री की हेट्रिक लगाई है।
अतः अब तो उम्मीद है कि मारवाड मेवाड़ से लगते हुए मेरवाड़ा के लोगों को निराश नहीं करेगें। आपने 14 साल बखूबी सत्ता सम्भाली है। लेकिन अब कमी की पूर्ति करने से इस साल आप पुनः सत्ता में जरूर आयेगें।
ऐसी आपसे अपेक्षा ही नहीं अपित् पूर्ण विश्वास है।
अतः ब्यावर की चिरस्थायी मांग को पूरी किये जाने के विश्वास के साथ आने वाली तारीख के बजट में ब्यावर को जिला बनाये जाने की उम्मीद के साथ आपको यानि मुख्यमन्त्री जी को अग्रिम धन्यवाद ब्यावरवासियों की तरफ से।
ब्यावर जिला बनाये जाने के बाद ब्यावर की जनता यह संकल्प लेती है कि ब्यावर सभी घटक क्षेत्रों में बहुत जल्दी द्रुत गति से विकास करेगा।
इस प्रकार अपने खोये हुए गौरव पुनः शीघ्रताशीघ्र हासिल करेगा, ब्यावरवासी आपको इसी विश्वास के साथ आश्वस्त करते है।
एक बार पुनः अग्रिम धन्यवाद के साथ।
भाग 2 - यह ब्यावर का दूसरा विकास खण्ड होगा जैसा कि पहीला 121 साल का विकास खण्ड था सन् 1836 से लेकर 1956 तक का। इस विकास खण्ड में ब्यावर ज्यादा राजस्थान में ही नहीं वरन् पूरे भारतवर्ष में अक्षुण विकास करेगा ऐसा भरोसा आपको ब्यावरवासी दिलाते है।
इसका कारण यह है कि यहां पर श्यामगढ़ जो खरवा-मसूदा मार्ग पर स्थित है सम्पूण भारत के तमाम क्रान्तिकारियों के प्रशिक्षण का सन् 1913 से 1915 तक केन्द्र रहा है। यहां पर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी आर्मी की शाखा ठाकुर गोपालसिंहजी के सानिध्य में थी। उनके सहायोगी रास बिहारी बोस थे। इस प्रकार किले के अन्दर बावड़ी के कुण्ड पर यह कार्य किया जाता था। उस समय पूरे भारतवर्ष में सिर्फ राजपूताना के इस स्थान पर प्रशिक्षण की सुविधा प्राप्त थी जहां हिन्दुस्तान के तमाम प्रान्तों से क्रान्तिकारी गुप्त प्रशिक्षण लेने आते थे। कारण अंग्रेजी राज्य में देशी रियासत में हथियार बनाने में और चलाने पर अ्रंगेजी सरकार द्वारा मौन स्वीकृति थी किसी प्रकार की कोई बन्दिश नहीं थी।
अतः राज्य सरकार इस स्थान को, क्रान्तिकारियों की तीर्थ स्थली बनाकर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकती है। यह लेखक का सुझाव है।
भाग 3 - इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार भी ब्यावर रेल्वे स्टेशन को जंक्शन के रूप में विकसित कर सकती हैं दो स्थान को रेल्वे की लाईन से जोड़कर।
नई लाईन ब्यावर से राजियावास, जवाजा, तारागढ़, मारवाड़ होती हुई देवगढ़ तक और दूसरी रेल्वे की नई लाईन ब्यावर से बाबरा, रास, राबडियावास, लाम्बिया, जसनगर होते हुए मेड़ता रोड़ तक।
इस प्रकार केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों को खनिज और वन सम्पदा के परिवहन से तगड़ा राजस्व प्राप्त हो सकता है।
आज ब्यावर के 188वें स्थापना दिवस पर ब्यावरवासियों को मंगल परिवार, ब्यावर की तरफ से ढे़र सारी बधाई व शुभकामना।

 

 

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