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‘‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......                  ✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर)
 

21 मार्च को दिन रात बराबर होने की खगोलिया घटना



प्रस्तुतकर्त्ता :- वासुदेव मंगल

प्रतिवर्ष 21 मार्च को सूर्य मकर अक्ष से भूमध्य रेखा पर सीधा चमकता है। अतः दिन रात बराबर-बराबर बारह-बारह घण्टे के होते हैं। इस दिन सूर्य आसमान में भूमध्य रेखा के अक्ष पर पूरब दिशा में प्रातः ठीक छः बजे उदय होकर साँय ठीक छः बजे भूमध्य रेखा के पश्चिमी अक्ष पर अस्त होता है।
परिणाम स्वरूप बारह घण्टे का दिन होता है।
इसी प्रकार रात्रि में इसी दिन भूमध्य रेखा पर पृथ्वी के उस तरफ पृष्ठ भाग में भी सूर्य सांय 6 बजे से भोर 6 बजे तक भ्रमण करता हैं अतः 21 मार्च की रात्रि भी ठीक बारह घण्टे की होती है।
यह घटना 21 मार्च को साल में नियमित तोर पर होती है।
इसके बाद सूर्य कर्क अक्ष में लगातार महीने तक उत्तर दिशा में 22 सितम्बर तक रहकर चमकता रहता है। और 23 सितम्बर को पुनः भूमध्य रेखा पर सीधा चमककर दक्षिण में मकर अक्ष में प्रवेश करेगा। जो दक्षिण दिशा में लगातार मकर अक्ष में भ्रमण करते हुए चमकता रहेगा। अगले छः महिने तक अर्थात पुन 21 मार्च को अगले साल आने तक।
दिन-रात दो बार बराबर होने की यह घटना साल में दो बार 21 मार्च और 23 सितम्बर को नियमित तौर पर होती है।
21 मार्च को भूमध्य रेखा से कर्क वलय में और 23 सितम्बर से मकर वलय में वर्ष पर्यन्त सूर्य भ्रमण करता है। इसे एक साल का काल खण्ड कहते है।
इस दौरान पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द में 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता हैं इस दिन सबसे बड़ा दिन अर्थात् 14 घण्टे 46 मिनट और सबसे छोटी रात 9 घण्टे 14 मिनट की होती है।
इसी प्रकार 23 दिसम्बर को सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है। इस दिन सबसे बड़ी रात 14 घण्टे 46 मिनट और सबसे छोटा दिन 9 घण्टे 14 मिनट का होता है।
सूर्य के भ्रमण का यह खगोलिय चक्र वर्ष पर्यन्त इसी प्रकार प्रति वर्ष चलता रहता है जिसे काल चक्र कहते है।

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