‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
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रिंग ऑफ फायर
30 जुलाई 2025 को रूस के काम चटका में भूकम्प के झटके

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लेखक: वासुदेव मंगल, ब्यावर
30 जुलाई 2025 को जापान में सुनामी आई यह सीधा प्रभाव रसिया के पूर्वी तट पर आए 8.7 रिक्टर पैमाने कामचटका प्रायदीप साईबेरिया रूस में आए तीव्रता भूकम्प का परिणाम था। आप देखिये यह भुगोल का प्रश्न है।
अर्थ (पृथ्वी) पर पूरब में प्रशान्त महासागर अमेरिका के पश्चिमी तट से लेकर पश्चिम दिशा में रसिया के साइबेरिया के पूर्वी तट से उत्तर से आरम्भ होकर पूर्वी गोलार्द्ध मंे ठेठ दक्षिण मे न्यूजीलैण्ड आस्ट्रेलिया के उत्तरी पूर्वी किनारे तक की सम्पूर्ण पट्टी में फैला हुआ महासागर प्रशान्त महासागर है जो 40 हजार किलोमीटर की यह पट्टी रिंग ऑफ फायर कहलाती है जिसमे बारह महीनो ज्वालामुखी भूकम्प आते रहते है अतः इस क्षेत्र में कोई भी हवाई जहाज और पानी के जहाज आते जाते नहीं है अर्थात परिवहन नहीं करते है।
अतः इसीलिए सभी तरह की मालवाही और यात्री परिवहन आकाशीय और समुद्री पूरब से पश्चिम और पश्चिम से पूरब की संचालित होती है। यह क्षेत्र परिवहनगमन के लिए सर्वथा निषिद्ध क्षेत्र है रिंग ऑफ फायर क्षेत्र (एरिया)
बेंगा बाबा की चार सो साल पहले की चित्रो द्वारा की गई भविष्यवाणी में 30 जुलाई 2025 को साकार हुई। इसमें आप देखिये पृथ्वी के उत्तरी गोलाद्ध में अमेरिका का पश्चिमी अलास्का प्रदेश और रसिया का साईबेरिया पूर्वी प्रदेश उत्तरी गोलार्द्ध में ठीक प्रशान्त महासागर मेें आमने सामने स्थिति है जहां पर दक्षिण दिशा में उत्तरी चीन सागर जापान सागर स्थित हैं। इससे पहले 2011 की सुनामी में डूब गया था जापान। सियोल दक्षिणी कोरिया 2004 की सुनामी में डूब गया था।
इसमे पहले धरती हिलती है, फिर समन्दर गरजता है। फिर ज्वालामुखी फटते है। भारत भी हो चुका है सुनामी का शिकार। ए टूू जेड विश्लेषण जापान पर मंडरा रहा है चीन एटेमिक खतरा (एटमी)।
30 जुलाई 2025 वाले 8.8 तीव्रता वाले रसिया साईबेरिया प्रायदीप के कामचटका में आये भूकम्प का असर रूस का उत्तरी पूर्वी भाग, उत्तरी कोरिया, दक्षिणी कोरिया, जापान, ताईवान, पूर्वीचीन, वियतनाम, फिलीपीन्स, न्यूजीलैण्ड से लेकर अमेरिका के अलास्का प्रदेश का हवाईदीप, होनोलाई, कनाडियाई दीप, वैंकूवरे, संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट का सेन फ्रान्सिसको, मोक्सको दीप, ब्राजील का पश्चिमी तट आदि देशों में इस भूकम्प का सीधा प्रभाव हुआ जिसमें अपरिमित जान माल का नुकसान हुआ। कई देश के देश पानी मे डूब गए। तो यह नतीजा है पृथ्वी की प्रकृति से छेड़छाड़ करने का जिसमें ग्लेशियर टूट टूट कर समुद्र में गिरते रहते है। नतीजन समुद्र के तट पर बसे गांव और शहर पानी में डूब जाते है। जहां पर पानी का आयतन बढ़ जाता है। प्रकृति का यह क्रम शाश्वत निरन्तर चलता रहता है जिससे नये नये द्वीप, सागर, महाद्वीप और महासागर बनते मिटते रहते हैं ऐसा पहाड़ों के दरकने से टूट टूट कर गिरने से और पृथ्वी का जगह-जगह से, फटने के कारण होता है। तथा बादलों के फटने से उसी जगह जमीन पर पानी का सैलाब आता है।
30.7.25 को 5.40 मिनट को सांय काल श्री हरिकोटा से जा निसार स्पेश सेटेलाईट लॉन्च किया गया जो धरती का पहरेदार है। आसमान की वो आँखें जो आपको ऐसी आपदा से बचायेगी नासा और ईसरो का संयुक्त मिशन भविष्यवाणी करके। इस भूकम्प से रूस के कुरील दीप में इमरजेन्सी घोषित की गई।
इन्सानो से पहले समुद्री जीवों ने पानी में छलांग लगाई। सुनामी से पहले क्या जीवों के सिक्सत सेल एक्टिव हो गए? समुद्री जीवों को भनक लगी। कैसे भाँप लेते है खतरा? समुद्री दीप पर सीलायन से मची भगदड़। सुनामी से पहले व्हेल मछली को भनक लगी। जानवर जागे। सुनामी से पहले भागे। हाथियों के पैर की त्वचा बहेद संवेदनशील। इन्फ्रासाउण्ड (तरंगों) को आसानी से सुन लेते है। खतरे से पहले हाथी का भूकम्प ज्ञान। 2004 की सुनामी में हाथियों को लग गई थी भनक श्री लंका की सुनामी में। हाथी ने भविष्यवाणाी की थी कि आने वाली है सुनामी। भूकम्प से पहले छठी इन्द्रिया कैसे जाग गई ? हाथी संकेतों से साथियों को सुनामी आने की सूचना देते हैं। रूस मे भूकम्प आया। परमाणु का संकट मंडराया। सुनामी ने खतरा बढ़ाया जपान के एटोमिक प्लाण्ट को डराया।
सुनामी से न्यूक्लीयर खतरे का सच क्या है? 2011 मे फुकुशिमा न्यूक्लीयर प्लाण्ट खतरे में आया। अब फिर खतरा मण्डराया। डेन्जर जोन में आया। फुकुशिमा न्यूक्लीअर प्लाण्ट। कुदरत का ऐसा गुस्सा पहले कभी नहीं देखा। हिल गया समन्दर सुनामी भयंकर बजा खतरे का सायरन। दुनियां में कोहराम। कहीं भूकम्प, कहीं कहीं टूटता पहाड़। बेरिंग सागर कोरल दीप, मार्शलदीप समूह, तस्मान सागर आदि आदि उत्तरी प्रशान्त मध्य प्रशान्त और दक्षिण प्रशान्त महासागर में रिंग आफ फायर की 40 हजार किलोमीटर की पट्टी में है जहां पर वर्ष पर्यन्त भूकम्प आते रहते हैं और ज्वालामुखी फटते रहते है जिसका लावा बह बहकर समुद्र मे फैलता रहता है जिससे हजारों-लाखों वर्षाे में जाकर नये दीप, सागर, महाद्वीप और महासागर बनते बिगड़ते रहते है यानि अस्थित्व में आते है।
रुस के कामचटका में फिर आज 3 अगस्त 2025 में 8.8 तीव्रता भूकम्प के तेज झटके लगे। अभी वहाँ पर सतर्क रहना होगा क्योंकि यह फायर आफ रिंग का ही एक भाग है। यह ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम है। फिर से सुनामी का अलर्ट। क्राशनिनिकोव ज्वालामुखी, 450 साल बाद अचानक फट पड़ा है। इससे पहिले यह ज्वालामुखी वर्ष 1550 में सक्रिय हुआ था। इसकी राख का फैलाव ऐसे ईलाके में हो रहा है जहां कोई जनसंख्या नहीं है। राख का यह गुबार 6000 मीटर (करीब 19700 फीट) की ऊँचाई तक पहुँच गया है। राख और लावा पूर्व दिशा में प्रशान्त महासागर की तरफ फैल रही है। सरकार ने इस ज्वालामुखी विस्फोट कढे आरेंज एवियेशन एलर्ट कोड दिया है अर्थात् हवाई यातायात प्रभावित हो सकता है।
दिनांक 30 जुलाई 2025 के भूकम्प के कारण जापान, हवाई, इक्वाडोर जैसे देशों में सुनामी चेतावनी जारी की गई थीं।
04.08.2025
 
 

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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