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छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
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1अगस्त 2025 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 105वीं पुण्यतिथि

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लेखक - वासुदेव मंगल
बाल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जनक माना जाता है। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रीय नेता के साथ भारतीय इतिहास संस्कृत, हिन्दी, धर्म, गणित और खगोल विज्ञान जैसे विषयों के विद्वान भी थे।
बाल गंगाधर लोकमान्य के नाम से भी जाने जाते थे।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके नारे ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा‘ ने लाखों लोगों को प्रेरित किया था।
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ। उनके पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक संस्कृत के विद्वान और प्रख्यात शिक्षक थे। तिलक प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे और गणित विषय से उनको खास लगाव था। बचपन से ही वे अन्याय के घोर विरोधी थे। 16 साल के थे तब उनका विवाह सत्यभामा के साथ हुआ। 1877 में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात एल.एल.बी. की।
तिलक पाश्चात्य शिक्षा व्यवस्था के पुरजोर विरोधी थे। उन्होंने डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की। तिलक ने दो साप्ताहिक पत्रिकाओं ‘केसरी’ और ‘मराठा’ का प्रकाशन किया। वे अपने लेखों में तीव्र और प्रभावशाली भाषा का प्रयोग करते थे। 1890 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े। वे महान समाज सुधारक थे। उन्होंने गणेश उत्सव और शिवाजी के जन्म उत्सव को प्रतिष्ठित किया। सन् 1898 में उन्होंने स्वदेशी आंदोलन शुरु किया।
1898 में कांग्रेस दो गुटों में विभाजित हो गई। उदारवादी और अतिवादी। उदारवादी दल नरम दल और अतिवादी दल गरमदल के नाम से। गरमदल के नेता तिलक थे जबकी उदारवादी दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले।
गरम दल स्वराज के पक्ष में था।
तिलक ने गीता रहस्य पुस्तक मांडले जेल में लिखी।
ब्यावर में सन 1916 में होमरूल लीग की स्थापना के समय सभा का सभापतित्व लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने किया। होमरूल लीग का उद्देश्य स्वराज्य था। भारत का यह महान सपूत 1 अगस्त 1920 को परलोक सिधार गया।
शत शत नमन भारत माता की ऐसे महान सपूत को जिन्होंने लाखों लाख भारतीयों को स्वराज के लिए प्रेरित किया।
01-08-2025



 
 

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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