‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
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एग्रो टेररिज्म क्या है?
फ्यूजेरियम ग्रेमिनीअरम फंगस पर एग्रोलेरिज्म का हथियार हैं।

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किसी देश में अनाज संकट पैदा करने के लिये जैविक या रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल जानबूझकर वहां की फसलों को बर्बाद करना ही एग्रो टेररिज्म है।
सन् 2020-21 में दो साल तक चीन देश दुनियाभर के देशों में करोना नाम के जैविक फंगस (किटाणु) से टेरर फैलाकर असंख्य मनुष्यों को मार डाला था। करोना फंगस, जैविक किटाणु हथियार था। इस प्रकार जैविक हिंसक फंगस (जीवाणु) से दुनिया में आतंक फैलाया था। अब सन् 2025 में पुनः एक बार चीन फिर से कृषि पर एग्रो टेररिज्म आतंक फैलाकर अनाज का संकट पैदा किया जा रहा है जैविक या रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करके जानबूझकर दुनियाभर के देशों मे अनाज का आतंक फैलाया जा रहा लाया जा रहा है। जानबूझकर फसलों को ही न सिर्फ बर्बाद किया जा रहा है बल्कि उन देशों के पालतु जानवरों को भी इस प्रकार की बिमारी का निशाना बनाया जा रहा है। यह आतंकवाद का विशेष रूप है। किसी देश की खाद्य सुरक्षा आर्थिक स्थिरता और आजीविका को प्रभावित करने की कोशिश एग्रो टेररिज्म कहलाता है।
एग्रो टेररिज्म का मकसद:- राजनैतिक दबाब बनाने के लिए खाद्य संकट उत्पन्न करना हो, बड़ी आबादी को भूखमरी की ओर धकेलना हो या फिर खाद्य आपूर्ति को बाधित करना हो। ये सभी एग्रो टेररिज्म के तरीके है। इसके अतिरिक फसलों में विषैले रसायन मिलाना या कीटाणु मिलाना, पशुओं में रोग फैलाना (जैसे फुट या माउथ डिजीज, बर्ड फ्लू आदि) कृषि यन्त्रों या गोदामों पर हमला करना। बीजों या उवरकों को संक्रमित करना इसके दुष्परिणाम खाद्य संकट और मूल्य वृद्धि के रूप में सामने आते हैं। क्या है फ्यूजेरियम प्रेमिनेरम फंगस है?
वैज्ञानिक इसे कृषि आतंकवाद का संभावित हथियार मानते है। ये फसल में हेटब्लाईट नाम की बिमारी फैलाते है हर साल यह फंगस दुनियांभर मैं अरबों डालर का नुकसान करता है। इससे पैदा होने वाले टॉक्सिन्स इन्सानों और जानवरों दोनों के लिए जानलेवा हो सकते हैं, फ्यूजेरियम गैमिनेरय इतना खतरनाक है कि इससे इन्सानों का लिवर खराब हो सकता है और बच्चों के जन्म में भी समस्याएँ हो सकती है।
इस साल 2025 में चीन ने HKU5-COV-2 वायरस से पुनः एक बार इन्सानों में आतंक फैलाया है।
12.06.2025
 
 

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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