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‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
www.beawarhistory.com
✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
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छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com
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ब्यावर में आजादी की गतिविधियों के साक्षी स्थान
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लेखक - वासुदेव मंगल, ब्यावर
पहीला : साक्षी स्थान - श्यामगढ़ का किला (खरवा से 6 मील दूर मसूदा मार्ग
पर )
ठाकुर गोपालसिंह जी सन् 1913 में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी आर्मी
नामक संगठन के अन्तर्गत भारत की आजादी की गतिविधियों का संचालन करते थे।
उनके सहयोगी योगीराज अरविन्द घोष की प्रेरणा से रास बिहारी बोस थे जो
सुभाषचन्द्र बोस के बडे़ भाई थे।
इस जगह तत्कालिन भारत के पंजाब, उत्तर भारत, मध्य भारत, बम्बई प्रान्त व
बंगाल प्रान्त के स्वतऩ्त्रता सेनानी स्वतन्त्रय गतिविधियों का व्यवहारिक
ज्ञान व प्रशिक्षण प्राप्त कर देश के विभिन्न कोनों में स्वतन्त्रता की
रचनात्मक गतिविधियों को अन्जाम देते थे।
उनकी मदद के लिये ब्यावर के स्थानीय स्वतन्त्रता सेनानी हरदम तैयार रहते
थे। इस प्रशिक्षण में हथियार बनाने और चलाने का व्यवहारिक ज्ञान दिया जाता
था।
दूसरा साक्षी स्थान: चिरंजीलाल भगत की बगीची - चांग गेट बाहर
यहां स्वतन्त्रता के वीरों को किताबी ज्ञान दिया जाता था। यह कार्य स्वामी
कुमारानन्द करते थे। स्वामीजी ने पाण्डीचेरी में अरविन्द घोष के आश्रम में
शिक्षा पूर्ण करके ब्यावर को अपनी कर्मभूमि बनाया। अतः वे 1918 में ब्यावर
आ गए थे और चिरंजीलाल भगत की बगीची चांगगेट बाहर अपना प्रवास किया। उन्हीं
ने ब्यावर में चन्द्रशेखर आजाद और भगतसिंह को गुप्त प्रवास में रहकर
स्वतन्त्रता की गतिविधियां सिखाई। इनको कानपुर से गणेश शंकर विद्यार्थी ने
स्वामी जी के पास ब्यावर भेजा था। यह बात सन् 1922 की है। लेकिन यह गुप्त
रक्खा गया क्योंकि यहां अंग्रेजी राज था। परन्तु ब्यावर तीन देशी रियासतों
(मारवाड़, मेवाड़, ढूंढ़ार) का केन्द्रिय मार्ग होने के कारण गोरिल्ला युद्ध
के साथ साथ पनाहगाह भी था। आस पास पहाड़ी और जंगली प्रकोष्ठ था। जब अंग्रेज
सिपाही पकड़ने आते तो यह जंगलों में भाग जाते। अतः यह महफूज जगह थीं।
आजादी की 78वीं वर्षगांठ व 79वें स्वतन्त्रता दिवस पर 95 साल पुरानी ब्यावर
की घटनाओं की आज की तीसरी पीढ़ी को याद ताजा करने वास्ते लेखक का प्रयास
ब्यावर में भारत की जंगें आजादी के तीन ज्वलन्त संस्मरण
पहली घटना
26 जनवरी सन् 1930 में तत्कालीन ब्यावर नगर पालिका (म्युलिसिपल कमेटी)
अध्यक्ष (चेयरमेन) श्री नाथूलालजी घीया द्वारा ब्यावर म्युनिसिपल भवन की
ईमारत पर तिरंगा झण्डा पहराया जाना
परिणाम - चेयरमेन से बर्खास्त कर जेल में डालना
दूसरी घटना
30 जनवरी 1930 को नमक कानून तोड़ने पर श्री घीसूलालजी जाजोदिया को दण्डात्मक
सजा देना
श्री जाजोदिया जी ने फतेहपुरिया बाजार में स्थित अपने कटले के सामने नीम के
पेड़ के नीचे भट्टी पर कड़ाई में खारे पानी से नमक बनाया और उसी नमक की 501
रूपये में पूड़िया खरीदकर अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ा था।
यह पेड़ लेखक के पूर्वजों की दुकान मेसर्स रामबगस खेशीदास से अगली उत्तर दिशा
की मेसर्स तुलसी राम रामस्वरूप की दुकान की पगडण्डी पर था।
तीसरी घटना (संस्मरण)
चौरासी पर मुकदमा
स्वतन्त्रता प्रदर्शन में सीधा भाग लेने पर तत्कालीन स्थानीय सरकार ने शहर
के चौरासी नामचीन नागरिकों को पकड़कर भूंठा केस बनाया गया। इस मुकदमें की
पैरवी श्री मुकुट बिहारी लाल भार्गव ने निशुल्क कर चौरासी लोगों को जिताया।
15-08-2025
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ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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