‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


आज 12 अप्रेल 2025 को शनिवार को हनुमान जन्म उत्सव पर विशेष
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सामयिक लेख- वासुदेव मंगल, ब्यावर
पौराणिक कथाओं के अनुसार अंजनि-पुत्र हनुमान का आज प्राकथ्य दिन है। कहते हैं कि हनुमानजी अजर अमर है। यह वरदान मां सीता ने उन्हें तब दिया था जब वे लंका में अशोक वाटिका में सब तरफ से निराश थी और हनुमानजी ने वहां पहुँचकर उन्हें कहा था ‘रामदूत मैं मातु जानकी....’। भगवान राम और उनके भाई लखन की कुशलता का समाचार सुनकर माँ सीता को बडे सुख की अनुभूति हुई और तब उन्होंने उनको यह वरदान दिया था।
कहा जाता है कि हनुमानजी कलियुग में भी संकटों को पार करने में हर उस मनुष्य की सहायता करते हैं, जो भी हनुमानजी का स्मरण पूरी श्रद्धा के साथ करता है। बजरंग बली को चिरंजीवी होने का वरदान मिला हुआ है इसलिए माना जाता है कि वे कलियुग में भी सशरीर निवास करते हैं।
पहला:- जब तक संसार है तब तक हनुमानजी का वास है - कहा जाता है कि आज भी हनुमानजी का पृथ्वी पर वास है। अर्थात् पृथ्वी पर जहां जहां भगवान राम का हरि-किर्तन होता है वहा वहां हनुमानजी मौजूद रहते है। हनुमानजी सशरीर गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं जो तिब्बत में है। इस पर्वत पर एक सरोवर है जहां खिलने वाले कमलों को रोजाना हनुमानजी अपने आराध्य श्रीराम को पूजा में अर्पित करते हैं।
दूसराः- द्वापर युग में भी हनुमानजी गंधमादन पर्वत पर ही निवास करते थे। भगवान श्रीकृष्ण जब अर्जुन के रथ के सारथी थे तो हनुमान ध्वजा कृष्ण ने रथ पर लगा रखी थी और यह ही उनकी जीत का कारण बनी ‘महाभारत की विजय’। दूसरा गंधमादन पर्वत पर एक बार हनुमानजी ने भीम का अहंकार तोड़ा था। गंधमादन पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है।
हनुमान त्रेता युग में भी थे और द्वापर युग में भी थे। त्रेता युग में श्री राम हुए और द्वापर युग में श्री कृष्ण और फिर हनुमानजी ने कलियुग में गंधमादन पर्वत पर ही निवास कर लिया।
तीसराः- रूद्रावतार बजरंगबली - हनुमानजी को शिव का अवतार माना जाता है। शिव के 11 रुद्र अवतारों में एक हनुमान अवतार है। त्रिकालदर्शी होने के कारण भगवान शिव जानते थे कि भगवान राम के जीवन में आगे किस तरह की परेशानियाँ आने वाली है और पृथ्वी का कल्याण करने के लिए प्रभु को उनकी आवश्यकता पड़ेगी। भगवान शंकर तो अन्तरयामी थे, वे जानते थे कि कलियुग मे जब पृथ्वी पर न राम होंगे और न शिव होंगे, तब पृथ्वी के लोगों को किसी ऐसे प्रभु सेवक की आवश्यकता होगी जो श्रीराम की कृपा से उनका कल्याण कर सके।

चौथाः- आठों सिद्धियां और नो निधियों के स्वामी -जब हनुमानजी मां सीता की तलाश मे अशोक वाटिका पहुँचते हैं और उन्हें प्रभु राम का सन्देश सुनाते हैं तो माता जानकी उनको अमरता का वरदान देती है। यहीं वजह है कि जब तक पृथ्वी रहेगी मतलब प्रलय तक हनुमान भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करेंगे। हनुमान चालिसा मे गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है - अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्हा जानकी माता।
पांचवा:- हनुमानजी रामजी के आदेश से आज भी धरती पर - जब श्रीराम ने अपनी लीला समाप्त कर अपने धाम जाने की घोषणा की तो सबसे ज्यादा दुखी हनुमानजी हुए। माता सीता से अपनी अमरता का उन्हें दिया हुआ वरदान वापिस लेने की जिद करने लगे तब भगवान राम हनुमान के पास पहुंचे और उन्हें गले लगाकर कहते हैं कि धरती पर आने वाला हर प्राणी चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है।
आज हनुमान जयन्ती पर उनके भक्तों को उनकी अपार कृपा प्राप्त हो इसी कामना के साथ। हनुमान जयन्ती पर लेखक और परिजनों की बहुत बहुत शुभकामनाएं। आपका जीवन मंगलमय हो।
12.04.2025
 

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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