‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


ब्यावर के उन्नीसवीं, बीसवीं सदी के दास्तान की छठी-किश्त
वासुदेव मंगल - फ्रीलान्सर ब्यावर
आप देखिये पूर्व प्राथमिक पाठशालाएँ जहाँ पर थी वह सारी की सारी फेसिलिटी जमीन थीं जहां पर 1958 से लेकर 2002 तक चलती रही जो ट्राईवाल बच्चों के लिए थी जिनको बिना किसी कारण के हटा दी। इसी तरह गोपालजी मोहल्ला स्कूल जो 1948 से ऋषिकेशजी डाणी ने खोली थी छोगालाल मोतीलाल के नोहरे में, उस स्कूल को भी सन् 1910 में बासठ साल बाद बिना किसी कारण वहां से हटा दी गई।
इसी प्रकार रायल टाकीज के आगे जाकर जो सिलावटिये बैठकर पत्थर टाँचने का काम करते थे वह भी फेसिलिटी जमीन थी वहाँ विक्रान्त होटल है। इसी प्रकार छावनी चौराहे के मोड़ पर दक्षिणी-पश्चिमी कोने की फेसिलिटी जमीन पर पेट्रोल पम्प है। समय समय की बात है। यदि विस्तार भी शिल्पी कला पर होता तो शहर की खूबसूरती में चार चांद लगते क्योंकि हाईवे मार्ग तो सो फीट चौड़े रखे गए है। अब भी स्थानीय निकाय शासन सुनिश्चित प्रक्रिया अपनाए तो अभी भी शहर का विस्तार बदरंग होने से बचा रह सकता है। अब तो नगर सुधार न्यास का दफ्तर होना निहात आवश्यक है।
अब तो ब्यावर डिस्ट्रीक्ट हेड क्वाटर बन गया है। अब तो कलेक्ट्रेट इस बारे मे गाइडलाईन इस्तेमाल कर सिटी की भावी सुन्दरता को मेन्टेन करे तब ही सम्भव है नहीं तो मुश्किल है। ऐसा लेखक का सोच है। अगर इसकी बसावट को मेन्टेन रखा जाता तो कई मायनों में यह सिटी धरोहर रूपी आधार कायम रखा हुआ होता।
अब तो कलक्टर साहिब से लेखक की गुजारिश है कि जो खनन कार्य है उस पर प्रदूषण मुक्त कार्यवाही हो। साथ ही शहर में जी स्पेक्ट्रम मोबाईल टॉवर पर भी विशेष सावधानी रखी जाय ताकि इसकी रेडियेशन ध्वनि प्रदूषण पर कण्ट्रोल हो। शहर मे प्राईवेट छतों पर लगाने की स्वीकृति नहीं दी जावे। इसी प्रकार जो कल कारखाने वर्तमान मे रेजिडेन्शियल स्टेट में ग्राईण्डर घरों में चल रहे है उन्हें भी सख्ती से बन्द कराकर इण्डस्ट्रियल स्टेट में शिफ्ट कराने की कृपा करें क्योंकि इससे घरों की ईमारतों मे बायोब्रेशन (कम्पन) से घरों मे दीवारों में कई जगह-जगह तरेड़ आ गई है जिससे परिवार के जान माल का भयंकर खतरा उत्पन्न हो रहा है। इसी प्रकार रेजिडेन्शयल स्टेट में कॉमर्शियल एक्टिविटीज पर भी रोक लगाई जावे क्योंकि मास्टर प्लान में यह सब स्पष्ट रूप गोपालजी मोहल्ला रेजिडेन्सियल स्टेट निर्धारित किया है।
सन् 1955 तक ब्यावर में पांच बैंक कार्यरत थी। पहली पंजाब नेशनल बैंक, दूसरी दा बैंक ऑफ राजस्थान लिमिटेड, तीसरी अजमेर सेण्ट्रल कोपरेटिव बैंक लि., चौथी दी बैंक ऑफ जयपुर लि. और पाँचवी स्टेट बैंक आफ इण्डिया। इसका कारण साफ है कि चूंकि ब्यावर कॉमर्शियल ट्रेड का सिटी स्थापना से ही रहा है। अतः तिजारत का ट्रेण्ड रहा है। इसीलिए ट्रेड यूनियन भी ब्यावर में कायम हुए। व्यापार के साथ साथ उद्योग धन्धे, इण्डस्ट्रिज भी ब्यावर में ही शुरू हुए। अतः ब्यावर उस समय से व्यापार उद्योग जगत में फरटाईल एरिया रहा। यह तो ब्यावर की बदकिस्मत रही कि हमारे कर्णधारों ने ही सियासी लोगों ने अपने स्वार्थ के कारण ब्यावर के उन्नत काल को मिट्टी में मिला दिया। सो साल तक तो यहां का भाईचारा काबिले तारीफ रहा। परन्तु वर्ग संघर्ष ने ब्यावर का भट्टा बैठा दिया। इन्हीं सियासी दावपेच ने यहां की राजनीति शून्य कर दी। जिसका नतीजा ब्यावर खण्ड-खण्ड हो गया। बाहरी व्यक्ति ने पिछले पचास साल से शोषण कर ब्यावर को बर्बाद कर दिया। यह पिक्चर आपके सामने है।
अब जिला बनने से इसके विकास की आस जगी है। एक बार ब्यावर फिर विकास के क्षितिज् पर दुनिया में चमकेगा । ऐसा लेखक का भरोसा है।
ब्यावर मे व्यापार-उद्योग से सम्बन्धित सब तरह के साधन मौजूद है। मात्र आवश्यकता है इन साधनों को उपयोग मे लेने की। फिर आप देखिये ब्यावर के विकास को। ब्यावर तो पहले भी सोने की चिड़िया था और अब फिर सोने की चिड़िया बनेगा बहुत जल्दी आप लोगों के देखते देखते। आईये आप और हम सब मिलकर इसे सोने की चिड़िया बनाये।
एज्यूकेशन इन्सेंटिव में ब्यावर में अब मेडीकल कालेज की दरकार है। इसी तरह यहां पर पर्यटन मिडवे होना चाहिए। साथ ही तकनिकी संस्थान के साथ साथ इंजिनियरिंग कालेज होना चाहिए। ला (कानून) की पढ़ाई होनी चाहिए। ब्यावर इण्डस्ट्रियल सेक्टर के साथ साथ मनी मार्केट भी हो सकता है। यहाँ पर इसकी पोटेन्शियलिटी पर्याप्त है।
17.02.2025

 
 

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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