‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......
छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com
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6 अप्रेल 2025 को मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम
की जन्म-जयन्ती रामनवमी पर विशेष
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समसामयिकी आलेख: वासुदेव मंगल ,ब्यावर
*धर्म कर्म और जीवन का आधार*:- मर्यादा का मार्ग भगवान राम ने शास्त्रसम्मत
ज्ञान को अपने चरित्र में ऊतारकर पूरे संसार को यह दिखाया कि धर्म के पथ पर
चलना सम्भव है अतः श्रीराम के समान ही हमारा जीवन चरित्र-प्रधान होना चाहिए,
हम जैसा बोले वैसा ही व्यवहार करें। श्रीराम ने रावण से युद्ध करते हुए एक
क्षण के लिए भी मर्यादा का मार्ग नहीं छोड़ा। इससे स्पष्ट है कि मर्यादित
रहकर व्यक्ति ऐसी विजय प्राप्त कर सकता है, जो युगों तक उसे स्मरणीय बना
देती हैं भगवान राम का जीवन सारे संसार के लोगों के लिए आदर्श है। उनका
जीवन सत्य, धर्म और नैतिकता का प्रतीक था।
*माता-पिता का सम्मान*:- श्रीराम का जीवन सिखाता है कि माता-पिता का सम्मान
सर्वोपरि होना चाहिए। उनके पिता दशरथ ने उनको वनवास जाने का आदेश दिया, तब
भी श्रीराम ने उसे बिना किसी विरोध के स्वीकार किया। उन्होंने यह स्पष्ट
किया कि पुत्र का कर्त्तव्य है कि अपने माता-पिता की ईच्छा का सम्मान करना
चाहिए, चाहे वह निर्णय कितनी भी कठिन परिस्थिति में क्यों न हो? और उस
निर्णय की पालना में कितनी ही कठिनाईयाँ क्यों न आए।
*कर्म की शिक्षा*:- भगवान श्रीराम का जीवन कर्म के महत्व को स्पष्ट करता
है। उन्होंने कर्त्तव्यों और दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ा और हमेशा सत्यता
के साथ दृढ़ता से उस पर चले। उनका सन्देश है कि व्यक्ति को अपने कर्त्तव्यों
को पूरी निष्ठा के साथ और सजगता के साथ निभाना चाहिए।
*जीवन के मूल्य*:- श्रीराम स्त्य, धर्म और न्याय के पथ से एक कदम भी विचलित
नहीं हुए। जीवन के मूल्यों का पालन करते हुए उन्होंने हर कठिनाई का सामना
किया। उनके जीवन की परिस्थितियाँ सिखाती है कि उच्चत्तम नैतिक मानदण्डों का
पालन होना चाहिए, ताकि हर स्त्री-पुरूष समाज में श्रेष्ठ मूल्यों के साथ
गुणवत्तापूर्ण जीवन जी सके।
*शक्ति का सदुपायोग*:- श्रीराम ने अपनी शक्ति का उपयोग हमेशा धर्म और न्याय
की रक्षा के लिए किया। उन्होंने रावण को हराया लेकिन उनका युद्ध उनकी
मानसिक शक्ति और शास्त्रों की नीति पर आधारित था।
*परिवार का मूल्य समझाया*:- श्रीराम का जीवन दर्शाता है कि हरेक व्यक्ति के
जीवन में परिवार महत्वपूर्ण हैं वे परिवार के प्रति निष्ठावान रहे। परिवार
के प्रति अपने कर्त्तवयों का पालन उनकी सर्वोत्तम प्राथमिकता थी। उन्होंने
पत्नि सीता, भाई भरत, लक्षमण और शत्रुघ्न, गुरू वशिष्ठ, विश्वामित्र के साथ
विश्वास, समर्पण और प्रेम के सम्बन्ध स्थापित किए।
*नियति को स्वीकार करना*:- श्रीराम ने हमेशा नियति को स्वीकार किया चाहे,
वह वनवास हो या माता सीता का अपहरण। लेकिन ने भाग्य से निराश होकर कहीं बैठ
नहीं गए, बल्कि उससे जूझते हुए उस पर विजय प्राप्त की। रामनवमी कवल अवसर नहीं
बल्कि अपने जीवन को श्रीराम के आदर्शों से जोड़ने का एक उत्सव है।
*श्रीराम का चरित्र रिश्तों को जोड़ने की राह दिखाते*:-
*पहला*:- एक दूसरे की ईज्जत करना।
*दूसरा*:- परिवार को जोड़ने का तरीका कैसे - क्यों कि श्रीराम ने हर रिश्ते
का सम्मान किया। हर 10 मिनट साथ बैठे - खाना खाए या बात करें। इससे प्यार
और समझ बढेगी।
*तीसरा*: सच्चाई और सब्र रक्खें।
*चौथा*:- मुश्किल में साथ दे।
*पाँचवा*:- अपनी जिम्मेदारी निभाएँ:- अपने रिश्ते का फर्ज पूरा करे।
*श्रीराम की जन्म जयन्ती पर लेखक व परिजन की ढ़ेर सारी बधाईयाँ।* आपका जीवन
मंगलमय हो। हमको श्रीराम के आदर्श को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
06-04-2025
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