|
‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
www.beawarhistory.com
✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
|
छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com
|
 |
मई महिने का दूसरा रविवार... ईश्वर की कृति
अर्न्तर्राष्ट्रीय माँ दिवस
---------------------------
आलेखः वासुदेव मंगल, ब्यावर
माँ हमारे जीवन की सबसे प्रमुख हस्ति होती है, जो बिना कुछ पाये सिर्फ देती
ही रहती है। माँ का प्यार निःस्वार्थ होता है। इस प्रकार अपने बच्चों के
प्रति माँ का प्यार, दुलार, समर्पण और त्याग अनमोल होता है। बाल्मीकि कहते
हैं माँ और मातृभूति का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है। माता के समान कोई छाया
नहीं है और न ही कोई सहारा। दुनियां में माँ के समान कोई रक्षक नहीं है और
न ही कोई प्रिय वस्तु।
माँ एक ऐसा शब्द है जिसमें पूरा ब्रह्माण्ड समा जाये। जब हम माँ बोलते हैं
तो शब्द के उच्चारण के साथ पूरा मुंह भर जाता है। माँ ममता की मूरत होती
है। अपनी मां को सम्मान देने के लिए पूरी दुनिया में मई महीने के दूसरे
रविवार को मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। एना जार्विस नामक
अमेरिकन महिला ने अपनी समाज सेविका माँ की स्मृति में 1908 में पहली बार
मदर्स डे मनाया था। अतः माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है, जिसके माध्यम से
परमेश्वर अपने अंश द्वारा अपनी शक्ति का संचार और विस्तार करता है। पुराणों
के अनुसार माँ का अर्थ लक्ष्मी है। जिस प्रकार माँ लक्ष्मी सृष्टि का पालन
करती है, उसी प्रकार माँ भी शिशु का पालन करती है। इस प्रकार मां को लक्ष्मी
का स्वरूप माना गया है।
एक मान्यता यह भी है कि मनु के नाम पर मनुज या मानव या मनुष्य कहा गया है।
मनु की सन्तान को जिसने जन्म दिया उसे मां कहा गया और इस प्रकार माँ शब्द
की उत्पत्ति हुई। दुनियां में मां की तुलना भगवान से की गई है। भारत में
गंगा नदी को पवित्र मानकर माँ का दर्जा दिया जाता है जो इस बात का संकेत है
कि माँ अपने आप में एक उपाधि है। माँं होने का अर्थ है, उत्तरदायित्व और
निस्वार्थता से पूरी तरह से अभिभूत होना। मातृत्व का अर्थ है रातों की नींद
हराम करना। माँं भगवान की सबसे श्रेष्ठ रचना है। उसके जितना त्याग और प्यार
कोई नहीं कर सकता है।
माँ विश्व की जननी है। उसके बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
माँ ही हमारी जन्मदाता होती है और वहीं सबसे पहली गुरु होती है। इसीलिए इस
धरती को भी धरतीमाता कहते हैं जो अपने ऊपर सबका वजन उठाती है।
अन्तरर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस माताओं का सम्मान मातृत्वरूप में करने वाला
दिन है। एक माँ सभी की जगह ले सकती है लेकिन उनकी जगह कोई और नहीं ले सकता
है। माँ अपने बच्चे की हर प्रकार से रक्षा और देखभाल करती है। इसलिए माँ को
ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है। माँ वह शख्स होती है, जो नो माह तक बच्चे
को अपनी कौख में रखकर जन्म देती है। उसके बाद उसका लालन पालन करती है। कुछ
भी हो जाए पर माँ का अपने बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नहीं होता है। वह
खुद से भी ज्यादा अपने बच्चों की सुख सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है। माँ
अपनी संतान की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपत्तियों का सामना करने का साहस
रखती है। देखा जाए तो मातृ दिवस का इतिहास सदियों पुराना एवं प्राचीन है।
यूनान में परमेश्वर की माँ को सम्मानित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है
जिसे त्यौहार के रूप मंे मनाते हैं।
11-05-2025
|
|
|
ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
Website
http://www.beawarhistory.com
Follow me on Twitter -
https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page-
https://www.facebook.com/vasudeo.mangal Blog-
https://vasudeomangal.blogspot.com
Email id :
http://www.vasudeomangal@gmail.com
|
|
|