‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
www.beawarhistory.com
✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com
|
 |
25 मार्च से एक सप्ताह के कार्यक्रम
सन् 2025 को 76 वाँ राजस्थान दिवस
-------------------------------------
समसामयिक लेख: वासुदेव मंगल ,ब्यावर
यद्यपि राजस्थान प्रदेश का नाम रक्खे 76 साल हो गए। इससे पहले इस प्रदेश का
नाम राजपूताना था। राजपूताना से तात्पर्य राजपूत का राज-स्थल। राजस्थान का
शाब्दीक अर्थ राज करने का स्थान।
चूँकि राजस्थान प्रदेश छोटी-छोटी सामन्तशाही रियासतो का राज्य था। अतः 30
मार्च 1949 तक छोटी-मोटी पच्चीस रियासतों का मिलाजुला बड़ा प्रदेश बनाया गया
जिसका नाम रखा गया राजस्थान प्रदेश। इस राज्य की राजधानी जयपुर बनाई गई और
जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय राजप्रमुख बनाये गए। सन् 1947 को देश
आजाद हो गया था। प्रजामण्डलों के जरिये करीब-करीब सभी रियासतों में जिले
स्थापित हो चुके थे। जनवरी 26 सन् 1950 को देश संघीय राज्यों का गणतन्त्र
देश भारत बना। उस समय तक भारत देश में अ,ब,स श्रेणी के चवदह राज्य थे।
राजस्थान के मध्य में अजमेर मेरवाड़ा नाम से ‘स’ श्रेणी का राज्य अवस्थित
था।
राजस्थान मंे 31 अक्टूबर 1956ई. तक पच्चीस जिले अवस्थित थे। एक नवम्बर 1956
को अजमेर मेरवाड़ा राज्य को राजस्थान राज्य में समाहित किए जाने पर अजमेर
राजस्थान का छब्बीसवां जिला बनाया गया।
आप देखिये राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत देश का सबसे बड़ा राज्य है।
यह भूभाग मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व से लेकर दक्षिण-पश्चिम तक दो भागों में
बंटा हुआ है। उत्तरी-पूर्वी भाग अरावली पर्वत की श्रृंखला से आच्छांदित है
तो दक्षिणी-पश्चिमी भाग रेगिस्तानी है अर्थात् मेर प्रदेश और मरू प्रदेश दो
भागों में आच्छांदित राजस्थान राज्य है अवस्थित है।
अब हम अपने मुख्य बिन्दु पर आते है। आज राजस्थान को छियेत्तर वर्ष पूरे हुए
आज इन पोन शातब्दी में कितना विकास हो पाया है, यह तस्वीर आपके सामने है।
आज के 76 साल पहले वाली स्थिति ही आज बनी हुई है। बन्जर प्रदेश होने से
जनसंख्या की दृष्टि से भी पिछड़ा हुआ प्रदेश हैं मात्र आठ करोड़ की जनशक्ति
है। जहाँ से शुरु हुआ वहीं पर ठहरा हुआ है। न नदी, न नहर, न रिफाइनरी और न
ही खनिज सम्पदा का दोहन और न ही वन सम्पदा का। अतः राजनीति दृष्टि से इस
प्रदेश का कोई विकास नहीं हुआ। मात्र तैंतिस जिलो पर सिमटा हुआ आठ करोड़ की
आबादी वाला प्रदेश आजादी के पिच्चेवर वर्षाे के बाद भी।
ऐसा क्यों? उत्तर स्पष्ट है अब तक राज्य की व केन्द्र की उत्तरोत्तर सरकारों
द्वारा प्रदेश के विकास में अब तक सृजनात्मक कार्यों का विकास न करना, जबकि
यह प्रदेश भोगोलिक-भूगर्भिय सम्पदा की दृष्टि से भारत देश का सबसे ज्यादा
धनाढ्य प्रदेश है जिनका वैज्ञानिक दोहन होने से अब तक भारत देश का सबसे
सर्वाेत्तम धनाढ्य प्रदेश हो सकता था।
इस प्रदेश मे भूगर्भ के नीचे ठोस, द्रव्य और गैस के अमूल्य भण्डार देबे भरे
बड़े है जिनको उचित तरीके से वैज्ञानिक आधार पर दोहन किया जाना नितान्त
आवश्यक है।
लेखक को खुशी है प्रदेश का पौन शताब्दी बाद प्रदेश को जिलों मे
विकेन्द्रीकरण किया गया है और इनकी संख्या इकतालिस की गई है। अब भी आज
राजस्थान दिवस सप्ताहिक कार्य पर राज्य सरकार, इस प्रदेश के चहूँमुखी
सर्वागीण विकास करने का संकल्प ले तो प्रदेश का त्वरित विकास हो सकता है।
कारण स्पष्ट है अब तो केन्द्र व राज्य दोनों जगह एक ही पार्टी की डबल इंजन
की सरकार हैं। अब तो सियासी रास्ता भी विकास का खुला हुआ है।
आज राजस्थान के साप्ताहिक कार्यक्रम पर प्रदेश की जनता उम्मीद करती है।
प्रदेश रिवर कनेाल प्रोजेक्ट व रिफाइनरी का काम तत्परता से किया जाकर विकास
के पंख शुरू होंगे।
राजस्थान के साप्ताहिक क्रार्यक्रम दिवस पर लेखक व परिजन की ढ़ेर सारी
शुभकामना।
25-03-2025
|
|
ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
Website
http://www.beawarhistory.com
Follow me on Twitter -
https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page-
https://www.facebook.com/vasudeo.mangal Blog-
https://vasudeomangal.blogspot.com
Email id :
http://www.vasudeomangal@gmail.com
|
|
|