‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


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ब्यावर मे टाईल्स उद्योग की विपुल सम्भावना
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औद्योगिक लेख (करेण्ट अफेयर): वासुदेव मंगल, ब्यावर
प्रदेश की सरकार सच्चे दिल से काम करे और ब्यावर के उद्योगपतियों, को तह दिल से सक्रिय सहयोग करे तो सरकार को फेल्सपार उद्योग में ब्यावर से सिमेण्ट उद्योग के साथ साथ भरपूर राजस्व की इन्कम हो सकती है।
ब्यावर एक नजर में फेल्सपार खनिज पाऊडर पर जिससे ब्यावर मे टाइल्स को सिरोमिक उद्योग पनप सकेः-
पहलाः ग्यार सो कुल मिनरल युनिट संचालित।
दूसराः तैंतिस हजार टन प्रतिदिन पाउडर उत्पादन क्षमता।
तीसरा: तीस हजार टन फैल्सपार पाउडर जा रहा मोलवी।
चौथा: चालिस हजार श्रमिकों को मिलता है रोजगार।
पाँचवा: एक हजार ट्रक लदान प्रतिदिन का।
समस्या:-फेल्सपार यूनिट के लिए जमीन महंगी, बिजली की दरें भी अधिक।
ब्यावर मे कच्चे माल की आवकः- खरवा, पिपलाज, आसीन्द, बदनौर, मसूदा, जवाजा, भीम, ब्यावर खास, रास बाबरा समेत अन्य क्षेत्रों से कच्चे माल की आवक होती है। भीलवाड़ा, राजसमन्द, टोंक, उदयपुर, सलुम्बर से भी कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में है। इस उद्योग को प्रदूषण मुक्त किया जाए तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में योगदान दे सकता है।
प्रदेश से बाहर जाने वाले कच्चे फैल्सपार पर छ गुना रायल्टी लगे तो तीन हजार नये उद्योग खुलने की राह खुले। अतः ऐसी सूरत में उधम प्रदेश के औद्योगिक विकास की नयी दिशा तय करेगी।
बड़े उनमने मन से लेखक को लिखना पड़ रहा है कि ब्यावर से प्रतिदिन 33000 टन पाउडर मोरवी जाता है। ब्यावर क्षेत्र में करीब 1100 मिनरल यूनिट संचालित है। इससे करीब 40000 परिवारों का रोजगार जुड़ा हुआ है। मोरवी मे ग्राइन्डिंग मिनरल यूनिट के बड़े प्लाण्ट लगने से ब्यावर का मिनरल व्यापार प्रभावित हुआ है। क्योंकि कच्चे फैल्सपार की मांग कम हुई जिसका सीधा असर यह हुआ कि ब्यावर की कई यूनिट बन्द पड़ी है। अतः ऐसी सूरत में राज्य सरकार ब्यावर से बाहर कच्चे ही निर्गमित हो रहें खनिजों पर छ गुना ज्यादा रायल्टी वसूलने की नीति राज्य सरकार को बनानी चाहिए ताकि राज्य में कच्चा माल सस्ता उपलब्ध हो सके। साथ ही बिजली खर्च पर भी छूट का प्रावधान किया जावे।
ब्यावर के मिनरल उद्यमयों को प्रोत्साहन देने के लिए ब्यावर क्षेत्र से 20 मध्यम व वृहद सिरेमिक टाईल उद्योग स्थापित हो, ताकि बड़ी मात्रा में उत्पादित फैल्सपार की खपत स्थानीय स्तर पर हो जाय। निर्मित टाईल्स का वितरण मध्य, उत्तर, पूर्व भारत व निर्यात के माध्यम से विदेशी बाजार से अनुबन्ध कर टाईल कम्पनियां मुनाफे में रह सकती है।
अतः आने वाले बजट में माननीय वितमन्त्री जी राजस्थान सरकार कृपया ब्यावर के लिये इस उद्योग की नीति परक घोषणा करे ताकि ब्यावर जिले का सघन और सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके। बाजिफ जानकर ब्यावर का विजिलेण्ट सीनियर सिटीजन एवं फ्रीलान्सर लेखक यह औद्योगिक विशेष लेख आपकी सेवा में प्रस्तुत किया है। इसे क्रियान्वित करने की कृपा करेंगे ऐसी आपसे अपेक्षा ही नहीं अपित् पक्का विश्वास है। अग्रिम धन्यवाद के साथ।
29.01.2025

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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