‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


राजस्थान के बजट में ब्यावर जिले को सौगात
वासुदेव मंगल - फ्रीलान्सर, ब्यावर
आज बड़े हर्ष व गर्व के साथ लेखक को लिखते हुए फक्र हो रहा है कि ब्यावर पहली बार जिले के विकास के पायदान पर अपनी यात्रा प्रारम्भ कर रहा है। आज ब्यावर जिले के लिए बड़ा शुभ दिन है कि राजस्थान प्रदेश की सरकार द्वारा आठ नये सृजित किये गए जिलों के लिए एक हजार करोड़ रुपयों की बजट 2025-26 साल के लिए माननीय वित्त मन्त्री ने घोषणा की है वह काबिले तारीफ है। इस प्रकार ब्यावर जिले के हिस्से में भी एक सौ 25 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। आज दिनांक 19 फरवरी 2025 की बजट घोषणा ब्यावर के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इस कार्य के लिए लेखक का वित्त मन्त्रीजी दीया कुमारीजी का हार्दिक अभिनन्दन। पहली बार ब्यावर जिले को विकास हेतु राज्य सरकार से राशि आवंटित हई है। वर्तमान में ब्यावर के कलक्टर महोदय भी बड़े एनर्जेटिक है। उनसे भी लेखक की गुजारिश हैं कि यूँ हीं हर महीने सी एस आर (कारपोरेट सोशल रेस्पोन्सिबिलिटी) की बैठक आयोजित कर ब्यावर में कार्यरत विभिन्न उद्योगों के द्वारा सी एस आर फण्ड की राशि ब्यावर जिले के जन कल्याण में खर्च की जाने की प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करते रहे। लेखक का कटु अनुभव है कि अभी तक तो सन् 1963 के बाद से ऐसी जन कल्याण के विकास की प्रक्रिया लागू नहीं हुई है। अतः अब से सी एस आर फण्ड की राशि सही एवं प्रभावी उपयोग में ही खर्च हो इस बात का मूल्याकंन श्रीमान् जिलाधीश महोदय समय समय पर समीक्षा बैठक के जरिये करते रहें। आपका इतना सा कार्य ब्यावर की प्रगति में चार चांद लगायेगा। कारण इस मद की राशि का हर उद्योग आवंटन तो एकाउण्ट में दिखाता है परन्तु खर्च कहीं ओर कर दी जाती रही है आज तक। इसीलिए ब्यावर की यह सोचनीय दशा हुई है।
आप देखिये ब्यावर सिटी की परिधि लगभग दस पन्द्रह किलोमीटर है जिसकी आबादी पाँच सात लाख होगी। लेकिन आप देखिये किसी भी सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में कोई विकास नजर नहीं आ रहा है। शहर मे हर जगह चारों तरफ प्रदूषण, वायोब्रेसन (कम्पन्न), रेडियेशन (विकीरण) फैला हुआ है जिससे आमजन के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है विशेष कर बच्चों की सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदुषण से स्वास्थ्य और पढ़ाई प्रभावित है।
अतः श्रीमान् इस फण्ड के खर्च की वर्ष भर की पूरी जानकारी प्रशासन रक्खे। तब ही ब्यावर का समुचित एवं सघन विकास सम्भव होगा।
सही जानकर शहर जन के आम हित में आम विकास में शहर के एक जागरूक वरिष्ठ नागरिक एवं सोशल एवटीविट (सामाजिक कार्यकर्ता) की फरियाद है जिसपर गौर जरूर फरमायेंगें ऐसी अपेक्षा है। फिर आप देखियेगा ब्यावर के विकास को।
ब्यावर मे अतीत में समस्त सामाजिक संस्थाएँ चाहे शिक्षण हो, स्वास्थ्य हो, पर्यावरण हो या फिर संरक्षण की है तमाम सब की सब इसी पैटर्न पर आधारित थी। अगर ऐसा होता है तो पब्लिक सेक्टर के सभी जनहित के कार्य इस विधि से पूर्ण हो सकेंगे। लेखक का अग्रिम धन्यवाद।
देखिये एक सो पचिस करोड़ में कई कार्य हो सकेगें। जैसेः- ज्यूडिशियरी विंग, मेडीकल विंग, एडमिनिस्ट्रेटिव विंग आदि आदि। उद्योग की आय से सोशल वेलफेयर के बहुत सारे कार्य जैसे- सड़के बिजली, पानी, सफाई, रोशनी, नाली, कुंए, बावडिये, शिक्षा, चिकित्सा, नारी शाला, अनाथालय, धर्मशाला, पक्षी विहार, उद्यान, अन्नक्षेत्र एवं व्यायाम और स्वास्थ्य आदि आदि। इसी प्रकार ट्रेडिंग से होने वाली सामाजिक सरोकर की आमदनी भी इन्हीं कार्यों में खर्च की जाकर खेलकूद एक्टीविटीज आदि आदि में जिले का सघन सर्वागीण और सुचारू विकास हो सकता है। ऐसी राशि सामाजिक उत्सव-त्यौहारों में या फिर धार्मिक कार्यो आयोजनों में खर्च नहीं की जानी चाहिए। जैसा कि ब्यावर में ऐसा होता चला आ रहा है जिससे विकास के कार्य पिछले सत्तर साल से नहीं हो पा रहा हैं। ये पैसा या तो नीजि संस्थानों के कार्यों में या फिर सोसाईटी के कार्यों में अक्सर खर्च किया जा रहा है, जिससे ब्यावर के विकास कार्य पिछले सत्तर साल से ठप्प हो गए और नीजि संस्थाएं अपार धन कमा रही है इन प्राईवेट संस्थानों के माध्यम से चाहे वो स्कूल कालेज हो या फिर हॉस्पिटल, डिस्पेन्सरी अनुसन्धान शालाएं हो या फिर रोग जाँच डिस्पेन्सरी। या फिर व्यायाम के कार्यों में या फिर मेरिज होम में या फिर फार्म हाऊस में खर्च कर अनाप शनाफ व्यापार किया आ रहा है। यह ट्रेण्ड बन गया है जिससे विकास के कार्य ठप्प हो गए और ब्यावर वीरान हो गया। ब्यावर में ट्रेड एण्ड कामर्स इण्डस्ट्रीज की पोटेशियलिटी भरी पड़ी है, परन्तु स्वार्थ की वजह से ब्यावर की यह दुर्दशा हुई हैं। पिछले पचास साल से तो सिमेण्ट फैक्ट्री सामाजिक सरोकार नहीं निभा रही है जबकि ब्यावर की कमाई से करीब सौ इण्डस्ट्रिज लगा ली परन्तु ब्यावर का विकास नहीं किया जबकि इसकी कमाई से ब्यावर का विकास गजब का हो सकता था। अतः इसकी सी एस आर कहीं और जगह के विकास में ही खर्च होती रही पिछले पचास साल से यह एक सिमेण्ट फैक्ट्री ही ब्यावर के विकास के लिए बहुत थी परन्तु जान बुझकर इसने अपने स्वार्थ की वजह से ब्यावर का विकास नहीं किया बल्कि पिछले ब्यावर क विकास को भी खतम कर दिया।
20.02.2025
 
 

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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