‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
www.beawarhistory.com
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com



ब्यावर के उन्नीसवीं, बीसवीं सदी के दास्तान की पाँचवी-किश्
वासुदेव मंगल - फ्रीलान्सर ब्यावर
हाँ, तो लेखक आपको ब्यावर के हाल से रुबरु बता रहा है। रॉयल टाकीज अजमेरी दरवाजे बाहर 1945 मंे शुरू हुआ तब जाकर बाहर चहल पहल-शुरू हुई। फिर भी सन् 1955 तक रामद्वारा के तीन तरफ ट्राईवाल जाति की झूग्गी-झोपड़ियां थीं। सन् 1955 में। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रान्च ब्यावर में खोलने के लिए मूलचन्दजी पहाड़िया ने पोस्ट ऑफिस के सामने हाईवे के दक्षिणी दिशा से बैंक की ईमारत बनाकर बैंक को दी। आप देखिये इस बात को सत्तर साल हो गए। अब आगे बढ़ते हैं जिस होटल विक्रान्त को आप देख रहे हैं यहाँ पर सलावटिये सर्की की छत बनाकर पत्थर टाँचा करते। परकोटे से डिग्गी चौक का रास्ता चालू किया गया। एक रास्ता नगर परिषद् मार्ग से अन्दर शहर के लिए परकोटे से निकाला, एक रास्ता ललन गली मार्ग को परकोटे से बाहर से जोड़ा। तात्पर्य शहर बाहर की आवाजाही इन मार्गों से होने लगी। सन् 1956 मे ब्यावर में उपखण्ड कार्यालय स्थापित हो चुका था। श्री चिम्मनसिंहजी लोढ़ा ब्यावर नगर से पालिका के चेयरमेन थे जो 1952-1963 तक रहे। उन्होंने नगर सेठों को प्रेरित कर बहुत से सामाजिक उत्थान के काम किये। सबसे पहले तो वर्तमान चांदमल मोदी औषधालय एवं वाचनालय व उपवन मंे कत्लखाना था उसे हटाकर शहर के बाहर दूर किया। इस जगह चांदमल मोदी को प्रेरित कर औषधालय और पुस्तकालय की ईमारते बनवाई। फिर रामद्वारा के तीन तरफ ट्राईवाल जाति के लिये पक्के मकान बनाकर उनको शिफ्ट किया। एक जाति को पावर हाऊस के छावनी में उत्तर दिशा मे बसाया। दूसरी ट्राईवाल को देलवाड़ा रोड़ पर बसाया। और गाडुलियों लौहार को चारों दरवाजों बाहर शिफ्ट किया। फिर रामनिवासजी फर्म मालिक फर्म दासूराम-राजाराम को प्रेरित कर हाईवे मार्ग पर कोतवाली के सामने रोडवेज का स्टेण्ड के लिए तिबारा और कार्यालय बनवाकर सर्किल चांग गेट से बस स्टेण्ड को इस जगह शिफ्ट किया। अजमेरी दरवाजे बाहर सुभाष मार्ग पर और रायल टाकीज के रास्ते की पूर्व दिशा में रामद्वारे के बाहर नगर पालिका की दुकानें बनाकर दो मार्केट सुभाष मार्केट और संजय मार्केट बनाकर चालू किए। सीतारामजी पटवारी को प्रेरित कर अजमेरी दरवाजे बाहर सुभाष सर्किल बनाकर सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति स्थापित करवाई जिसका अनावरण तत्कालिन राजस्थान प्रदेश के राज्यपाल सम्पूर्णानन्द जी से करवाया गया। सर्किल का नाम सुभाष मार्केट रखा। अजमेरी दरवाजे के दोनो तरफ छोटे दरवाजे निकाले। पुलिस चौकी हटायी। चंुगी दफ्तर था वह हटाया। इस प्रकार दरवाजे बाहर रोडवेज का बस स्टेण्ड, तहसील कार्यालय, एसबीआई, पोस्ट ऑफीस, कोर्ट, कोतवाली, रायल सिनेमा और छावनी चौराहे के छावनी मार्ग पूर्व दिशा में नगर पालिका की प्रेस काम्प्लेक्स बनाकर नीचे दुकाने और ऊपर प्रेस के लिये कमरे बनाकर इस क्षेत्र को गुलजार किया। इस प्रकार तीनों दरवाजों के साईड में दोनो तरफ दरवाजे बनाये और सुरजपोल, चांग पोल और मेवाडी पोल बाहर नगर पालिका की पक्की दुकानें बनाकर मार्केट चालू किए। इस प्रकार चारों दरवाजों बाहर चहल पहल रहने लगी। इससे पहले पावर हाऊस, रेल्वे स्टेशन, तीन मिले, प्रेस, रुपबानी सिनेमा, मिशन बॉयज गर्ल्स स्कूल, पटेल स्कूल, म्युनिसिपल टाऊन हॉल, अमृतकौर अस्पताल, मोहम्मदली स्कूल ये सब कार्यरत थे। शहर के चारों मुख्य बाजारों मे सिमेण्ट की सड़क और दोनों तरफ की पटरी सिमेण्ट की बनाई। सब्जी मण्डी तेजा चौक प्रांगण व चांग गेट के अन्दर चर्च मार्ग प्रागण पर पक्की दुकानें थड़िये बनाकर शुरू की। सुभाष उधान मंे राठीजी को प्रेरित कर राठी पवेलियन और पक्षी-पशु विहार बनाया। सेवाराम हंसराज को प्रेरित कर बन्दे पर मर्दाना जनाना स्नानाघर बनवाया। इसी प्रकार जालिया तालाब पानी का वाटर स्टोरेज, चांग गेट बाहर बनवाया। मकरेड़ा तालाब के वाटर स्टोरेज की टंकी माताजी की डूंगरी पर बनाई। इधर दक्षिण दिशा में गिब्सन होस्टल के पास कोर्ट (परकोटे) मे खड़की निकाल कर बाहर के आवागमन को शहर से जोड़ा। टाटगढ़ रोड में लेबर कालोनी और आगे चलकर हरिजन कालोनी बनाई। इसके आगे कॉलेज के सामने मार्ग के पूर्व में ई. एस. आई. डिस्पेन्सरी बनाई। तात्पर्य यह है कि शहर बाहर चारों तरफ होने लगा। शहर के अन्दर आज भी अनेक नोहरे विद्यमान है। जैसे गोपालजी मोहल्ले में, मेम साहिब की गली में, पूर्व दिशा में भैरूंजी का नोहरा, गोपालजी के मन्दिर के आगे सामने छोगालाल मोतीलाल को नोहरा। पाली बाजार में शिकारपुरी नोहरा, बैंक नोहरे मे डी ए वी कालेज बन गया। डिग्गी मोहल्ले में बह्म कुमारी नोहरा, डिग्गी चौक में आगे जाकर केवल रामजी चुन्नीलाल केडिया की हवेली, नगर परिषद् मार्ग पर नाले पर अग्रसेन भवन, पिनारान मार्ग चौराहे के दक्षिण-पूर्व कोने मे पण्डित मार्केट का नोहरा, पिनारान मार्ग पर लाल पत्थर की हवेली आदि आदि। तेजा चौक, तम्बाकू गली मे अभी भी नोहरे है। रायली कम्पाउण्ड नोहरे का पूर्वी दक्षिण कोने में चार मंजिल का करीब पचास से सौ दुकानों का टेठ सुनाराम चौराहे के पश्चिम-दक्षिण कोने तक मेने मार्केट में इन्डोर मार्केट बन गया है। इसी प्रकार भैरुजी के खेजड़े के सामने शिवगंगा मार्केट वाला नोहरा, इधर लाल प्याऊ वाला नोहरा आदि आदि आज भी बहुत सारे नोहरे स्थित है। फत्तेहपुरिया बाजार - पुरानी सिनेमा गली में दो नोहरे, महादेव छत्री के पश्चिम दरजी गली के चौराहे के नृसिहं गली में बुरड़ नोहरा, शाहजी का नोहरा, आगे जाकर हलवाई गली में बारदाना कटला जो अब बुरड मार्केट है। इसी प्रकार खजान्ची गली मंे भी नोहरे है। कहने का तात्पर्य बहुत सारे नोहरे आज भी कायम है।
16.02.2025

 
 

ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

Website http://www.beawarhistory.com
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

Email id : http://www.vasudeomangal@gmail.com 
 



 


Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved