‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से....... 
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......  

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
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नकली खाद-बीज खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालने वाला
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सामयिक लेख: वासुदेव मंगल, ब्यावर
आजकल देशभर मे नकली खाद बीज उर्वरक और कीटनाशकों के मामले चिंता को बढ़ा रहे है। राजस्थान में प्रदेश के कृषि मन्त्री ने एक दर्जन फैक्ट्रियों पर छापा मारकर नकली उर्वरक बनाने वाली लाखांे टन कच्चा माल जब्त किया है। हैरत की बात तो यह है कि मार्बल की स्लरी और मिट्टी को मिलाकर इन फैक्ट्रियों में डीएपी, एसएफ और पोटाश जैसे नकली उर्वरक बनाये जा रहे थे।
मध्य प्रदेश में भी नकली खाद-बीज उर्वरकों की बढ़ती बिक्री के कारण कृषि अधिकारी सिर्फ पंजीकृत दुकानों से ही खरीदारी का सुझाव दे रहे है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सब कुछ जानते बुझते भी जिम्मेदार बाजार में मिलावटी खाद-बीज क्यों आने दे रहे है? जाहिर है मिलीभगत के बिना यह सम्भव नहीं हो सकता। ऐसे में सिस्टम मंे घुसे भ्रष्टाचार पर प्रहार करना ही होगा।
देश का किसान फसल बीमा से लेकर किसान कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं को लेकर ठगी का शिकार होता रहा है। राजस्थान, मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्यों में भी नकली उर्वरक व बीज की बिक्री होती है लेकिन सख्ती के बिना इसे रोकना आसान नहीं है।
सरकार को चाहिए कि बीज अधिनियम, 1966 और उर्वरक, (नियन्त्रण) आदेश, 1985 जैसे कानूनों को और सख्ती से लागू करें। रजिस्टर्ड दुकानों की जाँच, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम और कठोर दण्ड व्यवस्था से इस काले कारोबार को जड़ से उखाड़ा जा सकता है। जब तक हर किसान को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक और बीज नहीं मिलेगा, तब तक खेती और किसानी का भविष्य अधर में रहेगा।
10-06-2025
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ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
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