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‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
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छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com
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वैश्विक आतंक के खिलाफ अमेरिका की
दोहरी नीति
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सामयिक लेख: वासुदेव मंगल, ब्यावर
भारत सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंक से निपटने की नीति में बदलाव लाकर
इस लड़ाई को नई दिशा दे दी है।
दूसरी ओर पाकिस्तान, आतंकियों और उनकी हरकतों को राजनीति की मुख्य धारा में
लाने का प्रयास कर रहा है।
इस पृष्ठभूमि में एक और बात उतनी ही महत्वपूर्ण है- आतंक के खिलाफ् बने
अमेरिका की दोहरी कूटनीति। वैश्विक आतंक के खिलाफ लड़ाई मे स्वयंभू अगुवा बने
अमेरिका की नीति पाकिस्तान को लेकर भी हमेशा से लचीली रही है। आप देखिए के
आतंकिस्तान होते हुए भी संयुक्त राष्ट्र पाकिस्तान का खुल्लम खुल्ला पक्ष
लेकर उसे अभयदान दे रहा है। यह यू. एन. में अमेरिका की शह पर हो रहा है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि भारत दुनियां में एकजूटता का बखान कर रहा है परन्तु
देश के अन्दर सियासी घमासान मचा हुआ है। पाक को यू.एन. में काउण्टर टरर
समिति का सदस्य बनाये जाना ऐसा लगता है कूटनीति के मोर्चे पर सरकार फेल हो
गई। इतिहास गवाह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ संस्था हमेशा पाक के साथ खड़ी रही
है। आई. एम.एफ.(इन्टरनेशनल मोनेट्री फण्ड) और विश्व बैंक जैसी फायनन्शियल
संस्थाएँ पाकिस्तान के आतंकिस्तान होते हुए भी जानते हुए भी पाकिस्तान को
कर्ज देते हैं। इसका मतलब अमेरिका भारत के साथ नहीं है पिछले सात दशक में
यह बार-बार साबित हुआ है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पाकिस्तान से
अमेरिका के रिश्ते अडिग रहे हैं। यह अर्थात् अमेरिका दशकों से पाक को
दक्षिणी एशिया और मध्य पूर्व के बीच रणनीतिक सहयोगी के रूप में इस्तेमाल
करता रहा है। वैसे भी भारत में आतंकी हमलों पर अमेरिकी सरकार की प्रतिक्रिया
मात्र निन्दा करने तक सीमित रही है। वजह साफ है कि अमेरिका की इसमें कूटनीति
दोहरी है। दरअसल, अमेरिका की नीति, मू-राजनीतिक अवसरवाद पर आधारित है।
अमेरिका एक तरफश् भारत की बढ़ती आर्थिक हैसियत का व्यापार में फायदा उठाना
चाहता है तो दूसरी तरफ भारत और चीन के बढ़ते वैश्विक कद को कमतर करने के लिए
पाकिस्तान का इस्तेमाल भी करना चाहता है। यह दोहरा और-परस्पर विपरीत बर्ताव
अमेरिका के लिए नार्मल है।
अब समय है जब भारत अमेरिका के इस दोहरे रवैये को वैश्विक मंच पर चुनौती देते
हुए अपनी विदेश नीति में आत्मनिर्भरता और स्पष्टता का परिचय दे। आतंकवाद के
विरुद्ध लड़ाई किसी रणनीतिक संतुलन की मोहताज होने के बजाय मानवता के पक्ष
में निष्ठावान संकल्प होना चाहिए।
13.06.2025
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ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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