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‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
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छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com
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1 अगस्त 2025 को दूर दर्शन की 50वीं वर्षगाँठ
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आलेख: वासुदेव मंगल, ब्यावर
यह खुशी की बात है कि लेखक ने शताब्दी का सुर-संसार प्रथम
चतुर्थ अंश 1950 में सुर साधना का संसार देखा। 1950 के दशक में रेडियो, का चलन
चालू हो गया था जिस पर सुरीले फिल्मी गाने चलाये जाने लगे। जैसे- बिनाका गीत
माला मंे सोलह पायदान तक एक घण्टे के रेडियो कार्यक्रम में हर मंगलवार की रात्री
को आठ बजे अमीन सयानी के द्वारा। सिनेमा का क्रेज तो 1925 से ही आरम्भ हो चुका
था। जहाँ श्याम-श्वेत मूक चल चित्र थियेटरों मे दिखाये जाने की फिल्मों का
क्रेज चालू हो चुका था।
सन् 1975 में दूर दर्शन (टेली विजन) का क्रेज रेडियो - सिनेमा थियेटरों के साथ
शुरू हुआ। जहां पर दूर के चरणबद्ध - समयबद्ध टेली फिल्मों के साथ साथ चरण बद्ध,
समयबद्ध, सामाजिक अर्थात सब तरह के मल्टी कार्यक्रम राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय
घटनाओ पर आधारित 24 घण्टे दूर दर्शन पर मल्टी कार्यक्रम दिखाये जाने लगे। यह
समय था शताब्दी का दूसरा चतुर्थअंश यानि सन् 1975 के 1 अगस्त का आज का दिन पचास
वर्ष पहले का। आज आप दूरदर्शन की स्वर्ण जयन्ती भी कह सकते है। लेखक शताब्दी के
दो चतुर्थ अंश सन् 1999 तक देखे। संयुक्त शताब्दी का।
अब विज्ञान का तीसरा चतुर्थ अंश, अर्थात सन् 2001 अर्थात् नई इक्कीसवीं शताब्दी
का आरम्भ होता है जहाँ पर तीसरे चतुर्थ अंश मे कम्प्युटर प्रणाली शुरू होती है
भारत देश में - यह विकास की तीसरी पायदान भी कम्प्युटर वाली नई शताब्दी में यह
भी विज्ञान का संसार मे तकनीकी विकास जहां पर सभी काम मशीन से किये जाने लगे।
मेन्यूवल वर्क नहीं के बराबर हो गया इस जमाने में।
अब सर 2025 के चौथे चतुर्थ अंश में अर्थात 75 बरस बाद विज्ञान का चौथा चतुर्थ
अंशकाल डिजिटल का इलैक्ट्रानिक आर्टिफिशियल इन्टेलीजेन्सी का काल आरम्भ हो चुका
है कार्य के सभी स्तरों पर जहां पर सभी काम रोबोट अर्थात् मशीन रूपी मनुष्य से
रिमोट के माध्यम से कराये जाते है सभी कार्यों में। रिमोट कण्ट्रोल से सभी
फंक्शनस मशीन रूपी मानव रोबोट से। यहाँ तक कि युद्ध भी।
अब तो स्पेश सेटेलाईट से सब प्रकार का कण्ट्रोल होने लगा है। मिसाइल और ड्रोन
से कहीं भी तकनीकी विज्ञान से किसी भी किसी भी वक्त निर्णायक युद्ध किए जाने लगे
है। ड्रोन से ग्रेनेड वार होने लगी है। मिसाइल से कहीं भी टारगेट किया जा सकता
है अर्थात् लड़ाई का फोकस मिसाईल और ड्रोन हो गए है। अतः दुनिया विस्तार और
विध्वंस के मुहाने पर खड़ी है। कभी भी कहीं भी विनाश हो सकता है कह नहीं सकते।
दुनिया मुट्ठी मे सिमट गई।
आप देखिये भूकम्प, सुनामी व ज्वालामुखी मुहाने पर खड़ा है पूरा विश्व। भगवान ही
मालिक है। भगवान मानव को सद्बुद्धि दे इसी प्रार्थना के साथ।
01-08-2025
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ब्यावर के गौरवमयी अतीत के पुर्नस्थापन हेतु कृत-संकल्प
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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