‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


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देश की विशाल जनसंख्या को रोजगार चाहिए
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सामयिक लेखः वासुदेव मंगल, ब्यावर
आप देखिये भारत की जन शक्ति एक सो चालिस करोड अर्थात् इन हाथों को काम देना भारत सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिये। भारत वर्ष विविधता मे सामाजिक परिपेक्ष में एकता वाला देश है। तद्नुसार ही संविधान निर्माताओं ने बड़े चिन्तन के साथ 448 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ वाला हमारे देश का एक पवित्र ग्रन्थ है, संविधान प्रदत किया है हम देशवासीयों को।
पोन शाताब्दी बीत जाने पर तो भारतवासी अपनी सरकार से रोजगार पाने की अपेक्षा करते हैं। संविधान भारत की विविधता को दर्शाता है। लोकतन्त्र, गणतन्त्र का सुदृढ़ आधार है, प्रहरी है। सामूहिक और व्यक्तिगत अभिमान को सुनिश्चित करता है। अतः रोजगार के मामले पर देशवासियों का मूल अधिकार है जिसे राजा अर्थात् सरकार को रोजगार मुहैया कराना चाहिए अपनी प्रजा को और यह ही राजा का पहला कर्त्तव्य है। जब प्रजा क्षुधा तृप्त होगी तो देश स्वाभाविक रूप से विकसित होता जाएगा। एक श्लोक मंे भी भगवान से भी यही कहा गया है कि भूखा भजन न होई गोपाला।
भारत में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भण्डार भरा पड़ा है सरकार की पालिसी के अनुसार बनाये गए कानून की वैधता समाज मे कितनी है उसी कसौटी पर न्याय की पारदर्शिता निर्भर है। अतः मानवीय गरिमा के आधार पर सरकार को धार्मिक उन्माद से परे अपनी प्रजा को काम रोजगार सुलभ कराना मुख्य कार्य है। अब पिचेत्तर वर्ष में भारत का लोकतन्त्र परिपक्व हो गया है। परन्तु जनशक्ति के अनुरूप इस काल मे विकास के कार्यों का अनुपात में न होना लेखक भूखमरी, कुपोषण, अशिक्षा, रोजगार के अभाव को देश की गरीबी को मुख्य मुद्दा मानते है। सबसे बडी समस्या नैतिकता आचरण की कमी, भ्रष्टाचार और प्राकृति संसाधनो का दुरुपयोग जो सरकारी मशीनरी द्वारा आज पिचेत्तर साल बाद भी निर्बाध रूप से किया जा रहा है वर्तमान समस्या के लिये दोषी है जिसे जितनी जल्दी हो सके चुस्त दुरुस्त किया जाना वो भी त्वरित रूप से आज का तकाजा है तब ही यह मानवीय ज्वलन्त समस्या हल हो सकेगी नहीं तो कदापि नहीं। भारत में साधनों की कमी नहीं है कमी इन साधनों को उपयोग में नहीं लेने की।
इसके लिए सबसे पहले तो शासन को स्वयं को आचरण में ईमानदारी से बेशक चुस्त दुरुस्त होना पड़ेगा। कठोर अनुशासन, आवंटित काम की अल्प अन्तराल पर समीक्षा गुण दोष के आधार पर विकास का अल्पावधि में होना आदि आदि कई फैक्टर्स है जिनको उपयोग में लिया जाना जरूरी है। ऐसा ही नजरिया समूचे देश मे प्रशासन में त्वरितरूप से लागू कर वर्तमान में रोजगार और महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। सबको काम देना और और देश के सब नागरिको का सम्मान करना ही संविधान की आत्मा है। हर हाथ को काम मिले, ये ही सरकार का सोच होना चाहिये। कोई भी देशवासी भूखा ना रहे व भूखा नहीं सोवे ऐसा सरकार का नजरिया होना चाहिये। आज के युवा कल के भविष्य। परन्तु भारतीय सरकार युवाओं को रोजगार देने में असफल रही है। परिणाम स्वरूप युवा विदेशों का रुख कर रहे है। यह सरकार की नाकामी ऊजागर करती है। सरकार ने प्रतियोगी परीक्षा को व्यापार का माध्यम बना लिया है जिससे वह कमा रही है। विकल्प में नौकरी देने के अतिरिक्त एम एस एम ई से रोजगार सुलभ कराकर इस समस्या का बहुत कुछ हद तक समाधान कर सकती है। लेकिन इस सेक्टर मे ईमानदारी से त्वरित काम होना चाहिये। तभी इस मानवीय समस्या का समाधान कुछ हद तक सम्भव हो सकता है कारण भारत में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध है जिनका वैज्ञानिक दोहन किया जाकर रोजगार दिया जा सकता है। अतः सरकारे इस सेक्टर में गौर फरमाकर काम करे। सुक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग के साधन से रोजगार सम्भव है। सरकार ऐसे में एन्टरप्रेन्यूर्स को जमीन उपलब्ध कराकर और बैंकों से सुगम लोन दिलाकर विभिन्न प्रकार के नये उद्योगों के द्वारा बेरोजगारी का समाधान करे। यह उपाय कारगर साबित होगा जिससे, त्वरित विकास होगा। ग्रोथ बढेगी। इसी प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश कितना आगे बढ़ा है। ऐसी प्रक्रिया हरियाणा मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी अपनाई जा रही है। शासक राज करने के लिये होता है न कि व्यापार करने के लिये। यदि राजा व्यापार करने लग जायेगा तो व्यापारी क्या करेंगें
01.12.2024
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इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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