‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
www.beawarhistory.com
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com

 

ब्यावर मे शिक्षा की शुरुआत

हली किश्‍त

दूसरी किश्त
---------------------------
आर्टिकल द्वारा वासुदेव मंगल: फ्रीलांसर, ब्यावर सिटी
आप देखिये सन् 1904 में स्वामी प्रकाशानन्दजी ब्यावर में पधारे। उन्होंने विनोदीलाल गली में बांके बिहारी मन्दिर में सनातन धरम प्रकाशनीय पाठशाला खोली यह पाठशाला बाद में मुकुट बिहारी लालजी भार्गव के नोहरे में बाद में शिफ्ट करदी गई। यहाँ से यह डिग्गी मोहल्लंे में नवरंग रायजी के नोहरे में शिफ्ट हुई। फिर राठीजी की हवेली के सामने सन् 1910 में सनातन धरम ट्रस्ट के मातहत दो मंजिल की विशाल ईमारत बनाकर सनातन धरम प्रकाशनीय विद्यालय को शिफ्ट कर दिया गया। उस समय तक ब्यावर में 1850 में सबसे पहले हॉलेण्ड वर्नाक्यूलर प्राईमरी स्कूल डिक्सन ने, 1872 में मिशन बॉय्ज स्कूल मिशन ग्राउण्ड में 1900 मे, मिशन गर्ल्स स्कूल हाईवे पर, फिर 1904 में यह सनातन धरम पाठशाला खोली गई इस बात को एक सो बीस बरस हो गए। पिछले एक शताब्दी तक तो इस विद्यालय का डंका राजपूताना में ही नही अपित् भारतवर्ष में दूर दूर तक बजता रहा। पिछले बीस बरस से इस विद्यालय के वर्तमान प्रबन्धन ने चलाते चलाते बन्द कर दी और इस इमारत को वाणिज्यिक रूप से काम में लेना शुरू कर दिया। यह दुर्दशा की इस पाठशाला की हालांकि इसकी गिब्सन हॉस्टल के नाम से एक ओर ईमारत को भी निष्क्रिय कर रखा है सन् 1950 के बाद से।
सन् 1928 में टाटगढ़ रोड़ पर सनातन ट्रस्ट प्रबन्धन को, रायबहादुर प्यारेलालजी भार्गव ने सनातन धरम कालेज के लिये एक बहुत बड़ा भूखण्ड़ सेन्दड़ा रोड़ के मैदा मिल्स के कॉर्नर से भार्गव कालोनी से होता हुआ टाटगढ़ रोड साँखला कालोनी से लेकर दक्षिण मे गणेशपुरा रोड़ से मैदा फैक्ट्री तक का पूरा का पूरा भूभाग कालेज के लिये दान में दिया था जिसका कालेज तो एक टुकड़े पर 1932 मंे ट्रस्ट के प्रबन्धन ने बनाकर नवमी से इण्टर बारवी तक की कक्षाएं प्रिन्सीपल बिहारीलालजी वर्मा के संरक्षण में मैट्रीक और इण्टर तक की परीक्षा आगरा यूनिवर्सिटी से दिलवाई जाने लगी। अतः शाहपुरा मोहल्ले वाली सनातन स्कूल बिल्डिंग मे मिडिल तक की पढ़ाई जारी रही जिसको पुन मैट्रीक तक की पढ़ाई, कालेज मे 1954 में डिग्री की कक्षाएं चालू करने से, स्कूल मे कराई जाने लगी, जो सन् 1960 में हायर सेकेण्डरी स्तर की हुई। इस बिल्डिंग में दो शिफ्ट चलती थी। दूसरी शिफ्ट में संस्कृत पाठशाला की कक्षाएं चलती थी। अतः नवीं से लेकर ग्यारहवीं तक की कक्षाएं सरकारी अर्थात् गवर्नमेण्ट द्वारा मसूदा हाऊस मे चलाई जाने लगी जो बाद मे देलवाड़ा रोड नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर वर्तमान में चलाई जा रही है। शाहपुरा मोहल्ला बिल्डिंग में संस्कृत पाठशाला बाद में संस्कृत कॉलेज में क्रमोन्नत हो गई जो सेकेण्ड शिफ्ट में चलती रही। इधर कॉलेज में 1956 में पोस्ट ग्रेज्यूट की कक्षाएं सोशोलोजी विषय मे चालू कर क्रमोन्नत कर दिया गया जहाँ बाद में लॉ की पढ़ाई भी कराई जाने लगी थी जिसे बाद में यह कहकर बन्द कर दी गई थी कि ब्यावर डिस्ट्रीक्ट हेडक्वाटर नहीं है, इसलिए। आपको बता दे कि ब्यावर का सनातन धरम कालेज ही सबसे पुराना कॉमर्स कॉलेज है जहाँ पर राजपूताना से दूर दूर से आकर विद्यार्थी अध्ययन करते थे। आप देखिये इस कालेज को 93 में बरस हो चुके है। अन्य डिग्री स्तर तक की पढ़ाई ब्यावर के विद्यार्थी अजमेर के गवर्नमेण्ट कालेज से सन् 1953 तक करते रहे जब तक यह डिग्री कालेज नहीं बनाया अब ब्यावर डिस्ट्रिक है। अब लॉ की पढ़ाई सरकार को यहां पर पुनः शुरू करनी चाहिए क्योंकि इसकी पृष्ठ भूमि मेवाड़ मारवाड़ से लगती हुई दूर दूर तक है। जहां पर इस प्रकार की पढ़ाई का कोई साधन नहीं है।
आप देखिये ब्यावर में शिक्षा का क्रेज एक सो पिचेत्तर साल सन् 1850 से ही है 1885 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी बनी थी तब से राजपूताना की पढ़ाई की मान्यता 1948 तक वहीं से रही 1949 में राजस्थान यूनिवर्सिटी बनी औरएज्यूकेशन बोर्ड बना तब से मान्यता राजस्थान में इनसे मिलने लगी। तो राजपूताना में पढ़ाई का सिनेरियो ब्यावर में इस प्रकार का था स्वतन्त्रा से पहले तक का।
अतः ब्यावर में शिक्षा का स्तर इसकी स्थापना से ही रहा है। दीवान बहादुर भार्गव प्यारेलालजी ने 1928 में जो जमीन कालेज के लिए दान में दी थीं आप देखिये इतनी बड़ी थीं सेन्दडा रोड पर उधर मेदा फैक्ट्री वाला उत्तर पूर्व का कोना सेन्दड़ा रोड़ पर इधर भार्गव कालोनी का दक्षिण-पूरब वाला कोना और टाटगढ़ रोड पर इधर साँखला कालोनी का पश्चिम-दक्षिण वाला कौना और उधर गणेशपुरा रोड़ पर पश्चिम-उत्तर वाला कोना। कालेज तो मात्र बीच वाली जमीन मे बनाया बाकी सारी जमीन यों ही खुली रही। उस समय जंगल था सन् 1932 में सारी जमीन कालेज के लिये बक्शीश की थी। अतः कालेज प्रबन्धन के सार सम्भाल की कमी के कारण जमीन का क्या हश्र हुआ है आप देखिये इतनी बड़ी जमीन पर अभी कालेज के कई विंग होते। यहां तक की एक युनिवर्सिटी तक बन सकती है। सारी जमीन अतिक्रमण की के भेंट चढ़ गई।
 

 

ब्यावर मे शिक्षा की शुरुआत
दूसरी किश्
---------------------------
आर्टिकल द्वारा वासुदेव मंगल: फ्रीलांसर, ब्यावर सिटी
चूंकि व्यावर एक एक करके सभी धर्माे की स्थली थी। अतः ब्यावर मे सभी धर्माे द्वारा शिक्षा निकेतन खोले गए। आप देखिये सबसे पहले ईसाई मिशनरी द्वारा मिशन बायज् एण्ड गर्ल्स स्कूल सन् 1872 व 1900 में खोले गए। फिर सनातन धरम द्वारा पाठशाला प्रकाशनी खोली गई 1904 में। फिर 1912 में श्रीमती गोदावरी आर्य कन्या पाठशाला खोली गई आर्य समाज गली में। फिर जैन धरम द्वारा पिपलिया बाजार मे शान्ति जैन स्कूल सन् 1920में खोली गई। फिर मुस्लिम संस्था द्वारा मोहम्मदली स्कूल खोली गई। फिर आनरेरी मजिस्ट्रेट श्री सोहनलाल जी शर्मा की प्रेरणा से डिग्गी मोहल्ले के चौराहे के पश्चिम-दक्षिण के कोने मे श्री मोतीलाल जी चौखानी द्वारा डिग्गी कन्या पाठशाला खोली गई। इससे पहले जैन धरम द्वारा श्री जैन गुरुकुल स्कूल 1940 मे खोली गई। इस प्रकार एक एक करके कई बॉयज् एण्ड गर्ल्स स्कूलें खोली गई। डिग्गी मोहल्ले के बाद छावनी रोड़ पर सैय्यद की मजार के पास सन् 1960 में गर्ल्स स्कूल और खोली गई।
फिर ब्यावर को सन् 1947 मे स्वतन्त्रता मिली। तब ऋषिकेशजी डाणीजी ने 1948 मे प्राईमेरी छावनी में पाठशाला खोली। 1948 मे ही शाहपुरा मोहल्ला में कन्या पाठशाला खोली व बाद मे 1948 में ही गोपालजी मोहल्ला मे प्राइमरी स्कूल खोली दो शिफ्ट में। प्रातःकाल बॉयज् और दोपहर में कन्या पाठशाला शिफ्ट चलाई जाने लगी पटेल स्कूल की देख रेख मंे। आजादी के बाद सिक्ख समाज द्वारा श्री गुरुद्वारा में उनके द्वारा स्कूल चलाई।
अब आप देखिये बाद में अजमेर राज्य के शिक्षा विभाग के प्रबन्धन में इन स्कूलों का सरकारीकरण एक एक करके होता गया। इसके पश्चात् पूर्व प्राइमरी पाठशाला भी खोली जाने लगी। सन् 1975 मे डी.ए.वी. कन्या महाविद्यालय आर्य समाज गली में बैंक नोहरे मे विशाल बिल्डिंग बनाकर खोला गया जो भी शायद 2025 मे अपनी गोल्डस जुबली मनायेगा दयानन्द आर्य कन्या महाविद्यालय आर्य समाज संस्था के अन्तर्गत।
तत्पश्चात् सन् 1994 में ओसवाल समाज द्वारा श्री वर्द्धमान कन्या महाविद्यालय नेहरू नगर मे खोला गया। इन दोनों महाविद्यालयों का प्रबन्धन प्राईवेट संस्थाओं क्रमशः आर्य समाज व ओसवाल समाज द्वारा किया जाता है। वर्धमान कालेज तो अब पोस्ट ग्रेज्यूएट कालेज हो गया है। इस कॉलेज को भी तीस साल हो चुके है। आवश्यकता थी एक गर्ल्स गवर्नमेण्ट कालेज की। जिसकी घोषणा भी पिछले साल राज्य सरकार ने कर दी थी। अब उसकी बिल्डिंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह कालेज भी सनातन धरम कालेज केम्पस के पिछवाड़े मे बनाया जा रहा है
अब चूँकि ब्यावर जिला मुख्यालय है। आस पास के क्षेत्र के सघन पृष्टभूमि में मारवाड़, मेवाड़, मगरे के क्षेत्र को शिक्षा के उत्थान हेतु अब ब्यावर मे मेडीकल कालेज के साथ तकनीक के क्षेत्र में इंजिनियरिंग कालेज व कानून के लिये लॉ कालेज खोले जाने निहायत आवश्यक हो गए है जिससे चिकित्सा, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं कानून की शिक्षा इस क्षेत्र के विद्यार्थियों को सुलभ हो सके। कारण ब्यावर व्यापार और उद्योग का बड़ा भारी केन्द्र है जिससे इसे प्रकार की स्थानीय शिक्षा की व्यवस्था प्रदान करना जरूरी हो गया है। अतः राज्य सरकार से लेखक की गुजारिश है कि इस ज्वलन्त आवश्यकता पर गौर फरमाया जाकर इस पहलू को सृजनात्मक रूप शीघ्रताशीघ्र प्रदान करने की महरबानी करेंगें। लेखक के अग्रिम धन्यवाद के साथ।
लेखक 1960 में जब सनातन स्कूल में हाई स्कूल के बेच में आये तो हायर सेकेण्डरी हो गई और कालेज मंे 1963 में जब इण्टर के बेच मे आये तो इण्टर की जगह थ्री ईयर्स डिग्री कोर्स लागू होकर एक्सपेरीमेण्ट हो गया।
08-12-2024


-----------------------------------
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
My social account links:
1. Website http://www.beawarhistory.com
2. Facebook : /vasudeo.mangal
3. Email id : http://www.vasudeomangal@gmail.com
4. Blogger id : https://vasudeomangal.blogspot.com
contact no. 9983724100
 

इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

Website http://www.beawarhistory.com
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

Email id : http://www.vasudeomangal@gmail.com 
 

Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved