‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com |
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ब्यावर की अवनति
की दूसरी किश्त
सामयिक लेख: वासुदेव मंगल, ब्यावर
ये आक्रोश दिनों दिन बढ़ता गया। 1963 में बृज मोहनलालजी शर्मा गुट के श्री
गंगा विशन जी जोशी ब्यांवर नगर पालिका के चेयरमेन बने जो 1975 तक रहे। 1975
में उन्हें बरखास्त कर प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई। इससे पहले 1957 में
चिम्मना सिंहजी ने डिक्सन छत्री पर विठ्ठल टावर बना दिया जिसे राजस्थान
उच्च न्यायालय के आदेश पर 1972 में हटाया गया जिसके साथ साथ डिक्सन छत्री
भी जोशी जी ने हटा दी और उसकी जगह पाँच बत्ती लगवा दी 1975 में ब्यावर में
अरबन इम्प्रूमेण्ट ट्रस्ट बनाया गया जिसे 1978 में तत्कालीन विधायक श्री
उगम राजजी महता ने हटवा दिया कारण श्री सिमेण्ट प्लाण्ट ब्यावर में लगाया
जाना प्रस्तावित था इसलिए। 1972 में एडवर्ड मिल्स व श्री महालक्ष्मी मिल्स
को नेशनल टेक्सटाईल कोरपोरेशन (एन०टी०सी०) ने टेकओवर करली। 1996 में कृष्णा
मिल्स बन्द कर बेच दी गई। सारे मजदूरों को हटा दिया गया था। 1980 में श्री
सिमेण्ट प्लाण्ट प्रोडक्शन में आ गया अब एक एक कर सारे कॉटन जिनिग प्रेस
बन्द होने लगे ऐसा सरकार की उदासीन नीति के कारण हुआ। इस प्रकार 1961 से
1970 तक ब्यावर के पहले तो एक एक कर व्यापार बन्द किए। सबसे पहले 1960 में
बूलियन ट्रेड, फिर बूल, फिर कॉटन और अन्त में ग्रेन का ट्रेड। फिर एक एक कर
ब्यावर से स्टेट लेवल के दफ्तर हटाये जाने लगे। और बाद में एक एक करके सन्
2000 आते आते सारे क्रानिकल इण्डस्ट्री बन कर दी गई। तब तक सिमेण्ट ने अपने
मजबूती से पाँव जमा लिये थे। श्री जंग रोधक सिमेण्ट का एक प्लाण्ट और लगा
लिया था। सरकार ने यहीं तक भी सब नही ली। इक्कसवीं शताब्दी शुरू होते ही
ब्यावर में पोलेटिकल के साथ साथ एडमिनिस्ट्रेटिव एटेक शुरु कर दिये राज्य
सरकार ने। सबसे पहले 2002 में मसुदा पंचायत समिति को ब्यावर सब डिविजन से
अलग कर मसूदा नाम से अलग अजमेर जिले का उपखण्ड बनाया गया। जिसमे श्री
सिमेण्ट प्लाण्ट को मसूदा रूलर एरिया में बताकर तब से श्री सिमेण्ट को
राज्य व केन्द्र सरकार दोनों ही उपकृत करती आ रही है अतः इससे पिछले पचास
सालों से ग्यावर का सारा विकास अवरुद्ध होकर विनाश के कगार पर आ गया। राज्य
सरकार ने और केन्द्र सरकार ने ऐसा क्यों किया? यह तो वो ही जाने। परन्तु
ब्यावर एरिया पूरी तरह से नेशनाबूद हो गया इन पचास साल में। यहां पर भी
राज्य ने सब्र नहीं किया। सन् 2013 में टाटगढ़ तहसील ब्यावर उपखण्ड से अलग
कर अजमेर जिले का उपखण्ड मनाकर ब्यावर उपखण्ड को मात्र ब्यावर की एक तहसील
का उपखण्ड बना दिया। इससे पहले सन् 2005 में ब्यावर में सन् 1952 से
स्थापित सी एम एण्ड एच ओ अजमेर जिले के आफिस को तत्कालिन ब्यावर विधायक श्री
देवीशंकर भूतड़ाजी ने अजमेर स्थानतरित करवा दिया जो राजस्थान में एक अपवाद
था। इस प्रकार श्री सिमेण्ट प्लाण्ट ने ब्यावर की जिप्सम मिट्टी से कमाई कर
ब्यावर को ही बर्बाद किया। ऐसा उदाहरण तो सिर्फ यहीं देखने को मिला कि
बाँगड़ कोरपोरेट घराने ने ब्यावर का नमक खाकर ब्यावर को ही बर्बाद किया।
अपने अपने किस्मत की बात। ब्यावर के किस्मत में शायद यह ही लिखा था जिसके
नसीब मे लिखा होता है उसको मिलता है। ब्यावर की जनता यह सोचकर सब्र लेगी।
अब तो श्री सिमेण्ट पॉवर प्लान्ट से भी अनाप शनाप भरपूर पैसा कमा रहा। कहते
है ना कि समय बदलता है तब जगह का नसीब भी बदलता। अब ब्यावर को अतीत की के
मेरवाड़ा बफर स्टेट की तरह वर्तमान मे राजस्थान प्रदेश की सरकार ने जिला 7
अगस्त 2023 को राज्य सरकार ने अधिसूचित किया है जो अतीत के मेरवाड़ा बफर
स्टेट के समकक्ष है। अब ब्यावर अतीत की खोई हुई प्रतिष्ठा को जल्द से जल्द
पुनः हासिल करेगा ऐसा लेखक को विश्वास है। ग्यावर का नमक श्री सिमेण्ट के
नसीब में लिखा था। अतः पिछले पचास वर्षाे से उसे मिल रहा है साथ ही पिछले
पच्चीस साल से भी सिमेण्ट को मिट्टी से कमाई हो रही है तो पिछले तीस सालों
से मिट्टी के साथ साथ ब्यावर के पानी से भी पावर प्लाण्ट के जरिये अपरिमित
दोहरी कमाई हो रही है श्री को। ब्यावर का तो श्री ने कभी भला किया नहीं।
11.11.2024
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इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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