‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com

पुनः ब्यावर जिले के विकास की कहानी की इबारत
लेखक: वासुदेव मंगल
सन् 1980 में ब्यावर विधान सभा से जन प्रतिनिधि विधायक श्री विष्णु प्रकाशजी बाजारीजी कांग्रेस पार्टी से चुने गए। उन्होंने पब्लिक इन्टरेस्ट में काबिले तारिफ काम किया। ब्यावर के लिए, यह आधारभूत समस्या पानी की थी। उन्होंने सीधा, तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी से सम्पर्क किया दिल्ली जाकर 1980 में अजमेर सांसद आचार्य भगवान देव थे। गांधीजी ने बाजारीजी से पूछा आपके मुख्यमन्त्री कौन है? बाजारीजी ने कहा शिवचरणजी माथुर। श्रीमती गाँधी ने तुरन्त शिवचरण माथुर को फोन किया ब्यावर को स्थाई पानी सप्लाई के लिये कौनसा प्रोजेक्ट सम्भव हो सकता है। माथुर साहिब ने बाजारीजी से फोन पर ही मन्त्रणा कर बनास नदी के बिसलपुर बांध से कनैक्शन का प्लान गांधी को बताया कि उस बांध से पाईपलाईन डालकर इस मानवीय समस्या का निराकरण हो सकता है। अतः प्रधान मन्त्री ने उसी वक्त इसे क्रियान्वित करने का आदेश प्रदान किया मुख्यमन्त्री जी को। अतएव 1981 से काम आरम्भ होकर 1984 तक तो ब्यावर में बिसलपुर की पाईप लाईन चालू हो गई। इस प्रक्रिया में रास्ते में केकड़ी, सरवाड़ और नसीराबाद सिटी भी लाभान्चित हो गए और बाद में इसी की एक लाईन नसीराबाद से अजमेर के लिए भी डाली गई। तात्पर्य यह है कि जन प्रतिनिधि ऐसे होते है जो तत्परता से अपने क्षेत्र की ज्वलन्त समस्या का स्थाई समाधान करे वो होता है जनता का सच्चा ट्रस्टी सेवक। इस प्रोजेक्ट से अब तो जयपुर महानगर भी लाभान्चित हो रहा है। आप को बता दें कि ब्यावर की श्री भी पावर प्लाट के जरिये इस प्रोजेक्ट से सीधा लाभान्वित हो रही है पिछले पच्चीस साल।
दूसरे सेवक राजसमन्द संसदीय क्षेत्र की सांसद दीया कुमारीजी। हुआ यों कि जोग ही था सांसद के चुनाव में लेखक का सामना वोट स्थल पर बाहर प्रत्यासी दीया कुमारीजी से हुआ वो बूथ निरीक्षण हेतु आई ही थी। साक्षातकार में लेखक ने उनको जीत की अग्रिम बधाई देते हुए पूछा यदि आप विजयी हुई तो क्षेत्र के विकास में आपकी क्या प्राथमिकता होगी? उन्होंने मुझ से ही पूछ लिया कि आप ही बताईये क्या प्राथामिकता होनी चाहिए?
मैने कहा ब्यावर से भीम, गोमती चौराहे होते हुए राजसमन्द, नाथद्वारा मार्ग को मारवाड़ से सीधा जोड़ना आप यकीन न करेंगें कि सांसद दीया कुमारी ने वो ही क्रियान्वित करके अपने सांसद काल में प्रत्यक्ष करके बताई जो आज तक कोई नहीं कर पाया दीया कुमारी इस कार्य के लिये बधाई को पात्र है। तो जनप्रतिनिधि तो ऐसा होना चाहिये जो समस्या का समाधान करे।
तीसरा काम पिछली बार और इस चुनाव में उत्तर-पूरब दिशा में भरतपुर से आरम्भ होकर एक्सप्रेस हाईवे दक्षिण-पश्चिम दिशा में होकर ब्यावर तक हाईवे भी ब्यावर जिले के सघन विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इससे फास्ट जर्नी सुगम और सुलभ होगी। ये इन्फास्ट्रेक्चर भी फायदेमन्द होगा। मारवाड़ मेवाड़ रूट की कनेक्टीविटी के साथ साथ फास्ट जर्नी का फायदा मिलेगा यह तो हुई नेशनल रोड़ ट्रांसपोर्ट की बात।
देवगढ़ से बर तक रेल्वे लाईन का काम प्रगति पर है। यह पूरा हो जाने पर ब्यावर सीधा चितौड़ और उदयपुर से जुड़ जायेगा। ब्यावर जिले के विकास में यह रूट भी मील का पत्थर साबित होगा। ब्यावर सिटी सीधा सीधा दोनों ही तरह के रेल और रोड रूठ से जिले की परिधि से जुड़ जायेगा पर्यटन के लिये। ब्यावर जिला चारों तरफ अरावली की श्रृंखला से आच्छादित घने जंगलो, नैसर्गिक, प्राकृतिक छटा वाला नयनाभिराम स्थल है जिसकी सुन्दरता देखते ही बनती है। ब्यावर के चारों तरफ पर्यटन स्थल है आबू रोड़ उदयपुर नाथद्वारा, कुम्भलगढ़, चित्तौड़गढ़, रणकपुर, जोधपुर, मेड़ता, पुष्कर, अजमेर, जयपुर आदि आदि। अरावली सफारी पार्क अपने आप में पर्यटन का सुन्दर और चित्र आकर्षक उद्यान है।
ब्यावर जिले की चारों ओर की पहाड़ियाँ विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है जहाँ अनमोल कीमती खनिज पदार्थ जमीन में दबा भरा पड़ा है। आवश्यकता मात्र इसके वैज्ञानिक तरीके से दोहन करने की। जिला बनने के बाद राज्य और केन्द्र दोनों सरकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ है। खेती के क्षेत्र में गेहूँ की खेती ब्यावर जिले की पहचान बनेगी। एक जिला एक फसल योजना के अन्तर्गत 44 हजार हेक्टेयर जमीन पर सिर्फ गेहूँ की फसल की जायेगी। जिला ब्यावर जिले को गेहूं के उत्पादन में विशेष दर्जा मिला है। गेहूं और जो दोनों अनाज की श्रेणी में आते है। गेहूं 44 हेक्टेयर, और जौ 19 हेक्टेयर, दलहन 18, तिलहन 10, अन्य 5 कुल मिलाकर 66 हजार हेक्टेयर जमीन में इन फसलों के उत्पादन का 2024-25 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मसालों की अन्य फसलों में धनिया, सौंफ, जीरा, मैथी, इसलगोल, लहसून शामिल है। तिलहन में सरसों व तारामीरा वहीं दलहन में चना।
ट्रेनों का ठहराव:- ब्यावर में पहला गरीब रथ जो दिल्ली की सराय रोहिल्ला स्टेशन से बम्बई की बाँदरा स्टेशन तक, दूसरी ट्रेन जनसाधारण एक्सप्रेस जो साबरमति-मुज्जफरपुर तक है, तीसरी ट्रेन गोरखपुर एक्सप्रेस अहमदाबाद-गोरखपुर, चौथी सुल्तानपुर एक्सप्रेस, पांचवी दिल्ली बान्द्रा और छठी राजधारी एक्सप्रेस ट्रेनों का ब्यावर रेल्वे स्टेशन पर ठहराव के लिए रेल मन्त्री आश्विनी जी वैष्णव से गुजारिश है कि ब्यावर सिटी का सभी प्रकार से महत्व को ध्यान में रखते हुए सभी इन वर्णित यात्री ट्रेनों के ठहराव की ब्यावर की रेल्वे स्टेशन पर ठहराव की शीघ्रताशीघ्र व्यवस्था सुनिश्चित करने की कृपा करेगें। ऐसी आपसे उम्मीद है। चूंकि ब्यावर सिटी की आबादी अब साढ़े पांच लाख हो गई है। ब्यावर में विभिन्न उद्योग और व्यापार मे लगे कामगार की आवाजाही के लिये इन ट्रेनो का ब्यावर में ठहराव करना अत्यन्त आवश्यक है श्रीमान रेलमन्त्रीजी ब्यावर में अकेले सिटी में 1000 युनिट फेल्सपार व जिप्सम पाऊडर की है जहाँ पर असंख्य कामगार काम करते है। सैनिक का आस पास के गाँवों में निवास है व्यापार हेतु बाहर से आवाजाही करने वाले यात्रीयों को आवाजाही के लिए इन ट्रेनों को ब्यावर में रोकने की व्यवस्था निहायत आवश्यक है। अतः वाजिफ जानकर लिखे हुए पर गौर फरमाकर ठहराव की व्यवस्था शीघ्रताशीघ्र सुनिश्चित करने की कृपा करेगेें। अग्रिम धन्यवाद के साथ आपका बहुत बहुत लेखक का आभार।
ब्यावर मे स्टार सीमेण्ट भी:- ब्यावर मे श्री सीमेन्ट लिमिटेड, अम्बुजा सीमेण्ट, निरपेक्ष सीमेंट, अल्ट्राटेक सीमेण्ट के साथ साथ अब स्टार सीमेण्ट भी ब्यावर की धरा पर स्थापित होने जा रही है। आपको बता दें कि वर्तमान में ब्यावर में सीमेण्ट की प्रन्द्रह इकाईयों में करीब डेढ लाख टन सीमेण्ट का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। स्टार सीमेण्ट के आने से यह उत्पादन और भी बढ़ जायेगा। सेन्दडा, बर, रायपुर, रास आदि इलाकों में सीमेण्ट निर्माता कम्पनियों की ओर से उद्योग स्थापित करने के लिए अवसर तलाशें जा रहे है।
आपको बता दें कि आने वाले टाइम में निकट भविष्य में ब्यावर में फेल्सपार पाऊडर से सिरेमिक टाईल्स बनाने के कारखाने लगाने की सभावना है। अभी फेल्सपार पाऊडर की एक हजार यूनिट काम कर रही है।
ग्रेनाईट स्टोन के फील्ड में भी असीम सम्भावनाएं है। हाई क्वालिटी का ग्रेनाइट स्टोन का स्थानीय आस पास की पहाड़ियों में अकूत भण्डार भरा पड़ा है जिसके दोहन किये जाने की आवश्यकता है। अतः निकट भविष्य मे ब्यावर मे ग्रेनाइट का बडा मार्केट बनने की सम्भावना है।
इन सब बातों को ध्यान मे रखकर सरकार को अभी से प्रयास करना आरम्भ कर देना चाहिए ताकि ब्यावर जिले का चहुँमुखी सघन और सर्वागीण विकास सम्भव हो सके और ब्यावर एक मॉडल डिस्ट्रीक्ट बन सके। इसी आकाँक्षा के साथ। एक बार लेखक का सभी का धन्यवाद ।
21.11.2024
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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