‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com |
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108 साल बाद मारवाड़ से मेवाड़ को
जोड़ने की सुध ली रेल्वे विभाग ने
सामयिक लेख: वासुदेव मंगल, ब्यावर ूूूण्इमंूंतीपेजवतलण्बवउ
सबसे पहले सन् 1876-80 मे रेल्वे विभाग ने राजपुताना मे अजमेर डिविजन में
रेल्वे लाईन के विस्तार की सुध ली थी जब दिल्ली से अहमदाबाद और उससे आगे
बम्बई तक रेल्वे लाईन डालकर यात्री और मालगाड़ियों की आवाजाही काम शुरू की।
ब्यावर प्रथम बार मे ही व्यापार का बड़ा भारी केन्द्र होने से रेल्वे रूठ का
महत्वपूर्ण स्टेशन बना जिसको लगभग एक सो पचास साल हो गए। उसी समय मारवाड़
जंक्शन स्टेशन से कामली घाट गोरमघाट की के रास्ते मावली जंक्शन तक आमान
रेल्वे डाली गई जिससे चित्तौड़गढ़ के रास्ते और उदयपुर और आगे अहमदाबाद सिटी
तक यातायात सुगम हो गया।
इसीलिये ब्यावार ऊन और कपास के व्यापार की राष्ट्रीय मण्डी तो स्थापना से
बन गई थी। परन्तु द्वितीय चरण मे रेल्वे का जाल बिछने से लगभग चालीस पचास
साल बाद उद्योग का भी बड़ा भारी केन्द्र, व्यापार के साथ साथ ब्यावर सन्
1880 तक बन गया था और सन् 1900 आते आते ब्यावर व्यापार और उद्योग का भारत
देश का प्रमुख केन्द्र बन गया था।
अंग्रेजी राज होने के कारण सन् 1916 में ब्यावर से देवगढ़ स्टेशन तक रेल्वे
लाईन बिछाने बाबत सर्वे हुआ था परन्तु इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका और
एक सो आठ साल पहले जो काम हो जाना चाहिये था वह जाकर अब हो रहा है।
ब्यावर स्थापना से ही मेरवाड़ा बफर स्टेट रहा है। यदि इसका बीच में विकास
रोका नहीं जाता तो यह तो आरम्भ से विकसित क्षेत्र होता परन्तु स्वतन्त्रता
प्राप्ति के बाद इसके विकास में जो पिचेत्तर साल का ठहराव आया है यह ब्यावर
के पतन का मुख्य कारण बना शायद नियती को ये ही मन्जूर था। परन्तु खुशी है
कि, देर से ही सही दुरूस्त आ गई सरकार। अब ब्यावर के विकास के पंख फिर से
लग सकेंगें और एक बार फिर से भारत के ही नही अपित् विश्व क्षितिज पर विकसित
क्षेत्र दिखलाई देने लगेगा।
राज्य और केन्द्र दोनों सरकारो ने इसकी अहमियत को समझ कर इसको विकास के
रास्ते पर लाने का जो भागीरथ प्रयत्न किया है वास्तव में दोनो सरकारे
ब्यावर जिले की जनता की नजरों में बधाई की पात्र है। ब्यावर जिले के नागरिकों
को दोनो सरकारों का तह दिल से शुक्रगुजार है। यह अटल सत्य है कि जब तक
यातायात के साधन सुगम नहीं होते विकास नहीं होता है अतः व्यापार का परिचक्र
यातायात पर ही निर्भर होता है अब ब्यावर ध्रुत गति से पर्यटन हब बन सकेगा
क्योंकि यहाँ पर नैसर्गिक धरोहर प्रर्याप्त मात्रा मे चारों ओर सुलभ है
जिनका वैज्ञानिक तरीकों से दोहन किया जाना है।
एक बार लेखक दोनों सरकारों का पुनः धन्यवाद करते है कि जन साधारण का महत्व
समझते हुए सरकारी नुमाइन्दा नेसमय रहते इसके महत्व को पहचाना और विकास शुरू
किया।
यह बात सही है कि बर स्टेशन ब्यावर सिटी का जवंशन होने के साथ साथ ब्यावर
मेरवाड़ा बफर जोन के साथ साथ मारवाड़ और मेवाड़ देशी सियासता के भाग भी सघन
विकास कर पायेंगें जिनकी प्राकृतिक वन एवं भूगर्भिय सम्पदा का दोहन नहीं हो
पाया है
अतः यह उपसंहार में यह कहा जा सकता है कि ब्यावर जिले का भविष्य सुनहरी है
जो प्रयास करने पर चतुर्दिक विकास का सोपान बनेगा क्योंकि राजस्थान का
मध्यवर्ती जिला होने के साथ साथ दिल्ली, अहमदाबाद एवं इन्दौर व्यापारिक
केन्द्रों का भी मध्यवर्ती शहर है।
यहां पर अनेक कई अनेक प्रकार के मिनरल उद्योग लगाये जा सकेंगे जिससे रोजगार
का सृजन होगा तथा जिले के विस्तार को गति मिलेगी।
कहने का तात्पर्य यह है कि लघु, मध्यम, सुक्ष्म उद्योगों के साथ साथ वृहत्त
स्तर के उद्योग भी लगाए जा सकेंगें। सफारी गार्डन के साथ साथ पर्यटन उद्योग
को बढ़ावा मिलेगा। विनिवेश का बड़ा केन्द्र बनेगा। रियल स्टेट का हब बन सकेगा
। कई प्रकार के व्यापार का केन्द्र बन सकेगा।
राज्य और केन्द्र दोनों सरकारें इसको गतिशील बनायें। यह जिला चिकित्सा का
प्रमुख केन्द्र बनेगा। यहां पर सभी प्रकार की सहुलियते विद्यमान है जिनकों
सरकार उत्पादकों को साथ साथ उपभोक्ताओं को भी समान रूप से सुलभ कराये जिससे
बड़ा भारी उत्पादकों और उपयोक्ताओं का बाजार मार्केट बन सके। उर्जा, कच्चा
माल, पूँजी, स्किल्ड श्रम, आदि आदि जमीन, जल, यातायात, गोदाम आदि सभी
सुविधाएँ प्रदान करे और तैय्यार माल को बेचने पर सब्सीडी देंवे।
ट्रान्सपोर्ट की सुचारू व्यवस्था करे। सभी तरह की पैसेन्जर ट्रेनों के
ठहराव की व्यवस्था करें।
25.10.2024
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इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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