‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com |
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राज्य सरकार को प्रदेश के विकास के
साथ ब्यावर जिले के विकास में भी एम ओ यू को रचनात्मक स्वरूप देना चाहिए
सामयिक लेख - वासुदेव मंगल, ब्यावर
योजना को धरातल पर लागू करना सरकार का उद्देश्य होना चाहिए। शिक्षा जीवन का
प्रमुख आधार है। प्रदेश का प्रमुख आधार शिक्षा होता है। राजस्थान में निवेश
की अपार सम्भावना। अठारह लाख करोड़ के जो एम ओ यू हुए हैं वो वास्तव में
धरातल पर उतरने चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र मे ब्यावर आरम्भ स्थापना है से ही
विकसित रहा है। 1850 से ब्यावर में सब स्तर की शिक्षा दी जाती रही है। अतः
175 साल की ब्यावर की शिक्षा की कालावधि राजपूताना पश्चात 1950 से राजस्थान
प्रदेश जैसे सामन्त शाही प्रदेश का ब्यावर मेरवाड़ा बफर स्टेट हर स्तर के
मायने में शिक्षा में अग्रणी रहा है। परन्तु 1975 के बाद से 2024 तक पचास
साल की कालावधि में ब्यावर में शिक्षा के विकास में ठहराव सा राज्य सरकार
की उदासीनता के कारण आ गया है।
अतः अब समय आ गया है कि चूँकि ब्यावर को 66 साल बाद ही सही जिला बना दिया
है तो अब ब्यावर में मेडीकल इंजिनियरिंग व ला कालेज के लिये प्रायोरिटी में
डिजर्व करता है। चूंकि ब्यावर अजमेर जिले का 2005 तक मुख्य चिकित्सा एवं
स्वास्थ्य अधिकारी का मुख्यावास रहा है व सन् 1978-80 तक ला की कानून (लॉ
की पढ़ाई) भी ब्यावर सनातन कालेज में कराई जाती रही बाद में यह कहते हुए
बन्द कर दी गई कि ब्यावर जिला हेड क्वाटर नहीं है।
इन सब कारक घटकों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को तुरन्त प्रभाव से
मेडीकल कालेज व इंजिनियरिंग कॉलेज ब्यावर में आरम्भ करने चाहिए क्योंकि
ब्यावर से लगते हुए राजसमन्द, भीलवाड़ा व पाली जिलों में ऐसे विषयों की पढ़ाई
की सुविधा नहीं है। अतएव इन क्षेत्रों के विद्यार्थी भी ऐसी आधारभूत तकनीक
पढ़ाई के लिए भरपूर मात्रा में हैं जिनको बहुत दूर जयपुर, जोधपुर जाना पड़ता
है।
ऐसी सूरत में ब्यावर इस प्रकार की शिक्षा का मिङ-वे होने के साथ साथ
प्रोद्यौगिक पार्क व्यापार का भी बड़ा भारी उपयुक्त केन्द्र बन सकता है जिसमे
सिरेमिक टाईल्स व ग्रेनाइट स्टोन का भी ग्रेट मार्केट बन सकता है जिनके लिए
ब्यावर में सभी प्रकार की सुविधाएँ सुलभ उपलब्ध है। जैसे कच्चा माल (रा-मटीरियल),
सस्ती पावर (बिजली), स्किल्ड लेबर, पूँजी बाजार, विपणन केन्द्र ,स्टोरेज,
गैस, ट्रांसपोर्ट की सुविधा, मानव श्रम शक्ति आदि आदि। ब्यावर का ए. के.
हस्पिटल ‘ए’ श्रेणी का अस्पताल रहा है।
वाजिब जानकर ब्यावर के जागरूक तजुर्बेकार सीनियर सिटीजन फ्रीलान्सर ने अपने
व्यवहारिक ज्ञान के आधार पर सरकार को अपने अनुभव के उद्गार बताए है उम्मीद
की जा रही है कि सरकार ब्यावर जिले के विकास के लिए इन क्षेत्रों में जरूर
जरूर सार्थक व सृजनात्मक कार्य अतिशीघ्र करेगी ऐसी राज्य और केन्द्र दोनों
सरकारों से अपेक्षा है ताकि इस जिले का सघन और सर्वागींण विकास सम्भव हो सके।
ब्यावर तो 180 साल पहले भी व्यापार और उद्योग में अतीत का गौरव रहा है।
स्वतन्त्रता के बाद से हमारे ही नगमा -निगारों ने जनता के पेरोकारों ने
स्वहित के ध्यान में प्रजा को भूला दिया जिससे ऐसी विस्फोटक दयनीय बेरोजगारी
की स्थिति पैदा हो गई। अब आपकी दूरदृष्टि ही इस बिमारी को दूर करने का एक
मात्र उपचार है। वाजिब जानकार लिखे हुए पर गौर फरमाकर धरातल पर राज्य सरकार
शीघ्रताशीघ्र अमलीजामा पहनायेगी। इसी उम्मीद के अग्रीम धन्यवाद के साथ।
ब्यावर अब से 66 साल पहले भी 120 साल तक ऊन और कपास की राष्ट्रीय मण्डी होने
के साथ साथ तीन टेक्सटाईल्स क्लोथ मिल्स् व दस बारह कॉटन जिनिग प्रेसेज का
औद्योगिक केन्द्र रहा है व बूलियन व ग्रेन के व्यापार का भी केन्द्र रहा है
साथ ही राजपूताना में सबसे पहले क्रिश्चियन मिशनरी ने 1850 में डिक्सन ने
फिर आर्य समाज ने, सनातन धरम ने, फिर जैन धरम ने और अन्त में मुस्लिम समाज
अपनी अपनी शिक्षण संस्थाएँ आरम्भ 180 साल से अनवरत चालू कर रक्खी है। अब
सरकार निरन्तर शिक्षा के प्रसार प्रचार के अन्तर्गत प्रोत्साहन दे रही है।
सबसे पहले 1850 में ब्यावर के संस्थापक कर्नल चार्ल्स जॉर्ज डिक्सन द्वारा
1863 में क्रिश्चियन मिशनरी द्वारा 1881 में आर्य समाज द्वारा 1904 में
स्वामी प्रकाशानन्दजी द्वारा सनातन धरम प्रकाशनी पाठशाला 1912 में गोदावरी
कन्या विद्यालय 1920 में जैन धरम द्वारा शान्ति जैन पाठशाला और अन्त में
मुस्लिम समाज द्वारा स्कूल चलाई जा रही है जो कालान्तर में सरकार द्वारा
अधिग्रहित कर ली गई। 1928 में टाटगढ़ रोड पर सनातन धरम कालेज में 1932 से
निरन्तर अनवरत चल रहा है जहां आरम्भ में 1932 मे मेट्रीक व इण्टर की कक्षाएँ
चलाई जा रही। तत्पश्चात 1954 में इसे डिग्री कालेज बना दिया गया और 1956 से
पोस्ट ग्रेजूएट कालेज बना दिया गया छात्राओं के लिए भी 1948 से डिग्गी
बालिका विद्यालय व 1960 से छावनी गर्ल्स स्कूल चल रहा है।
अब आवश्यकता है मेडीकल लॉ और इंजिनियरिंग कालेज की जिनकी राज्य सरकार ही
तत्परता ही पूर्ति कर सकती है।
इसी प्रकार जिस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में पोटेन्शियलिटी है उसी प्रकार
चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी पोटेन्शियलिटी है। अतः सरकार को
1954 से चालू अमृतकौर अस्पताल जो ‘ए’ श्रेणी का हस्पिटल रहा है। पुनः ‘ए’
श्रेणी में अपग्रेड करने का श्रम करें क्योंकि ब्यावर ए. के. अस्पताल
स्थानीय ब्यावर सिटी में मेरवाड़ा के साथ साथ मारवाड़ और मेवाड़ के गांवों का
एरिया भी लगता है।
अतः राजस्थान प्रदेश की सरकार द्वारा सारे प्रोजेक्टस शीघ्रताशीघ्र ब्यावर
जिले मे चालू किये जाने चाहिए जिससे ब्यावर जिले का सर्वागीण विकास हो सके।
सरकार को भी ऐसा करने पर राजस्व की इस क्षेत्र से भरपूर अपरिमित राशि
प्राप्त होगी।
07.11.2024
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इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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