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नगरीय सीमा का विस्तार किया जाना
जरूरी है
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सामयिक लेखः वासुदेव मंगल, फ्रीलान्सर, ब्यावर सिटी
चूँकि ब्यावर के पेराफेरी क्षेत्र मे चार ग्राम पंचायत शहरी सीमा से सटी
हुई है। नगरीय सीमा का विस्तार होने पर इनका पूरा हिस्सा नगरीय सीमा में आ
जाएगा इससे वार्डाे की संख्या एवं क्षेत्र और बढ़ेगा। नगरीय सीमा का विस्तार
सन् 1979 के बाद अब किया जाना है। इस बात को 45 वर्ष हो गए। उस समय मात्रा
22 वार्ड थे जो अब बढ़कर करीब 70-80 वार्ड होने है। ज्यादा 92 तक भी हो सकते
है। इससे भी ज्यादा एक सो बीस तक भी।
ब्यावर शहर का यह हाल है कि इन पैतालिस वर्षों से ब्यावर शहर का दायरा बहुत
तेजी से बढ़ा है। शहर मे एक हजार से ज्यादा कालोनियां विकसित हो गई। इनमें
आधी कॉलोनियाँ ही अभी तक स्वीकृत है। इनका विस्तार बाई पास रिंग रोड़ से
बाहर तक पहुँच गया है जो कालोनियां भी विकसित हो चुकी है। यह कार्य तो
राज्य सरकार को बहुत पहले ही करना था। ब्यावर तो व्यापारिक केन्द्र था। इसका
विकास तो जयपुर शहर की तरह होना चाहिया था।
वस्तु स्थिति यह है कि गणेशपुरा, गोविन्दपुरा व मेड़िया ग्राम पंचायतों की
नई कालोनिया विकसित हो गई है जबकि इन ग्रामों को सन् 2012 मे ही बारह वर्ष
पहले ही ब्यावर के मास्टर प्लान मे मिलाकर पंचायतों को मिलाकर लागू कर दिया
गया था शहरी सीमाओं के वास्ते। कितना घोर अन्धेरा है सिस्टम मे जानते हुए
भी। यहाँ तक नून्द्री मालदेव, जालिया तक पूरा विस्तार हो चुका है। उधर
गोहाना, लसाड़िया, केसरपुर, सराधना, सिरोला तक, नरबदखेड़ा आदि इधर दौलतगढ़
सिंगा, देलवाड़ा, रूपा हेली, नरसिंगपुरा, अन्धेरी देवरी, सरमालिया, सरगाव
इससे आगे तक। करीब पचास पेराफेरी गांव ब्यावर मास्टर प्लान मे सम्मिलित है
जैसे सनवा, रामपुरा, मेवातियान आदि आदि। उपरोक्त ग्राम पंचायतें तो
करीब-करीब पूरी तरह शहरी सीमा मे बहुत पहीले तीस-पैंतिस साल से पहले ही शहरी
आबाद हो चुकी थी। इस प्रकार शहर का विस्तार अर्धशताब्दी तक जानबूझ कर रोका
गया। विचित्र विडम्बना है। ऐसे ही विकास किया जाना है भविष्य में जिला
मुख्यालय का। जनसंख्या की दृष्टि से भी त्वरित विस्तार हुआ है शहर का इन
पैंतालिस वर्षों में। सन् 1962 से शहर का विकास अवरुद्ध है। इस बात को 62
वर्ष बीत चुके है। उस समय जनसंख्या 30-35 हजार थी। लेकिन आज तो ब्यावर
जनसंख्या पांच-छ लाख से भी ऊपर तक पहुँच गई है स्वतन्त्रता ब्यावर के लिए
अभिशाप साबित हुई जबकि उम्मीद लगाई थी राम राज्य की। हुआ बिल्कुल उल्टा
विकास के मामले में जो एक शताब्दी का विकास था वह भी इस दरम्यान लगभग पूरा
का पूरा समाप्त कर दिया गया। जय हो ऐसी स्वतन्त्रता के हमारे कर्णधारों की
जिन्होंने कितना शानदार विकास किया है इस दरम्यान आज की तीसरी पीढ़ी के सामने
है किया हुआ उनके द्वारा यह विकास मुँह बोल रहा है खुद व खुद।
आप देखिये मजे की बात तो यह है कि शहर के कार्यालय ग्राम पंचायतों की सरहद
में है जबकि होने चाहिये शहर में क्योंकि शहरी कार्यालय कार्यरत है जैसे कर
कार्यालय, सामाजिक अधिकारिता कार्यालय, साकेत नगर थाना, उपपंजीयक कार्यालय,
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण केन्द्र के कार्यालय ग्राम गणेशपुर, गोविन्दपुरा,
कैसरपुरा की शरहद में है जो अभी तक यह क्षेत्र ग्राम पंचायत हल्के में ही
अवस्थित चले आ रहे हैं जबकि कहलाते है ब्यावर शहर के कार्यालय। मजे की बात
तो यह है कि जनसंख्या की वृद्धि ज्यामितिय प्रणाली से पन्द्रह-बीस गुणा हुई
है इन बासठ बहतर वर्षों मे उस अनुपात मे विकास जीरो प्रतिशत से भी विषम रहा
है निम्नस्तर के ग्राफ में।
चूंकि अब जिला बनाया जा चुका है ब्यावर को पिछले सवा साल से। अब तो इसके
त्वरित विकास की उम्मीद जगी है। अभी तक जितनी बन्दर बाँट होनी थी, हो चुकी,
अब तो इसके विकास के पंख लगने चाहिये माडल जिला बनाये जाने के लिए। अब
गणेशपुरा, गोविन्दपुरा व मेडिया पुरी तरह शहरी कालोनिया है फिर उनको अभी तक
पिछले तीस वर्षों से गांवों की पंचायत में क्यों दिखा रखा है। बडे आश्चर्य
की बात है। इससे सिस्टम की ईमानदारी पर बहम होना लाजिमी है, स्वाभाविक है
अब तो सरकार चेते।
लेखक को उम्मीद है कि शहरी सीमा का विस्तार करीब 20-25 मील की परिधि में
होना है जिसके लिए ब्यावर नगर के वार्डों की संख्या बढ़ने के साथ ब्यावर
निगम और ब्यावर विकास प्राधिकरण स्थानीय निकायों के क्रमोन्नति के साथ साथ
एक नया प्राधिकरण का कार्यालय भी कार्य करने लगगा और ब्यावर का विकास दूर
दूर तक होगा।
लेखक का मानना है कि ब्यावर का विकास सिमेण्ट फैक्ट्री की वजह से एक शताब्दी
पिछे चला गया। इसी कि वजह से तात्कालिक विकास भी अवरूद्ध होकर रसातल में
पहुँच गया ब्यावर का।
03.12.2024
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