‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


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नगरिय सीमा का विस्तार
किश्त नम्बर तीन
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फ्रीलान्सर - वासुदेव मंगल, ब्यावर
आपको बता दे कि लेखक सन् 1966 में सींधी केम्प के रोड़वेज के रीजनल ऑफिस में एल डी सी अर्थात लोवर डिविजन र्क्लक के पद पर कार्यरत थे तब जयपुर की बसावट की घटना की स्थिति इस प्रकार थी। एम आई रोड, सी स्किम जहां कलेक्ट्रेड है वह कॉलोनी, संसारचन्द्र रोड़ आदि-आदि सभी जगह सुनसान थी। करीब-करीब जंगल था।
इस बात अट्ठावन सालों हुए हैं। आप देखिये जयपुर महानगर आज लगभग चालीस मील की परिधि में फैल गया है। इतनी त्वरित गति से जयपुर महानगर का विकास होना इतने अल्पकाल अर्द्ध शताब्दी में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। सन् 66 में जयपुर की जनसंख्या भी लगभग पांच-छ लाख थी जो उछाला मारकर पचास साठ लाख हो गई। कमाल है जयपुर को सघन विकास का एक जादू हो गया है। यह सब लेखक ब्यावर के विकास की तुलनात्मक अध्ययन से जनसाधारण को समझा रहा है।
अब आपको सन् 1962 में ब्यावर की स्थिति ठीक जयपुर की तरह ही थीं अर्थात् 20-22 वार्ड तीस पैंतिस हजार आबादी जयपुर के परकोटे की तरह ही ब्यावर के परकोटे की थी अर्थात् जयपुर का दंसवा हिस्सा ब्यावर था 62 में। इतना बड़ा फर्क क्यों?
इसका सीधा सा उत्तर है ब्यावर के तत्कालिन विकसित विकास को अवरुद्ध कर दिया गया। करटेल कर दिया गया, रोक दिया गया। कारण साफ है कि ब्यावर के साथ सोतेला राजनैतिक व्यवहार किया गया। उसके एक शताब्दी के विकास को भी करीब करीब इन बॉसठ सालों मे समाप्त कर रसातल मे लाकर पटक दिया इस तरह का दोगला व्यवहार करके राज्य सरकार द्वारा क्या मिला उसे ऐसा करने से यह तो वो ही जाने?
अगर ब्यावर राजस्थान में सन् 56 मे नही मिलता तो वह तो स्वतन्त्र मेवाड़ा बफर राज्य का ही एक भाग था परन्तु राज्य और केन्द्र सरकार के तत्कालिन प्रसंविदे के अनुसार जिला बनाये जाने की शर्त थी जिसे नागवार कर जबरिया सब डिविजन बनाया और यह ही कहानी है तब से लेकर अब तक की ब्यावर के पतन की। इसी कारण विकास की दौड़ से इस अवधि में ब्यावर डेड शताब्दी पीछे हो गया और रसातल में पहुँच गया। इसके लिये सीधे सीधे राज्य सरकार जिम्मेवार है, दोषी है।
आप देखिये सन् 62 से ब्यावर के विकास को करटेल किया है। इससे पहले ब्यावर भारत के मानचित्र पर ऊन व कपास के व्यापार में राष्ट्रीय स्तर की मण्डी थी सन् 1838 से लगभग एक सौ पच्चीस वर्ष (सवाशताब्दी तक) मात्र एक अंग्रेज के बसाये जाने के कारण ईष्यावश ब्यावर के विकास, व्यापार, उद्योग, क्रोनिकल को सरकार ने बर्बाद कर दिया और तब से लेकर अब तक अठ्ठावन वर्ष तक कोई विकास नहीं करना इस बात का द्योतक है कि जानबूझ कर राज्य सरकार ब्यावर के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया। धोखा किया है और विकास की डींगें हाँकती है। आप स्वयं देख लो इस विनाशरूपी विकास को। आने वाली पीढ़ी तो कभी माफ नहीं करेगी इन्हें।
लेखक की समझ से हुआ यह होगा कि अजमेर को तो विकल्प में राजधानी की जगह आर पी एस सी, रेवेन्यु बोर्ड और बोर्ड आफ सेकेण्डरी एज्युकेशन के दफ्तर देकर खुश कर दिया पर ब्यावर को क्या दिया। हुआ यह होगा कि लेखक की समझ से ब्यावर अंग्रेजी सल्तनत थी इसलिये स्वतन्त्रता के बाद इसके अतीत में डेड शताब्दी के व्यापार और उद्योग के क्रॉनिकल विकास को इसलिये अवरुद्ध किया होगा ताकि इसके स्वतंत्र जल, जंगल, जमीन पर अधिकार कर सके। आप देखिये एक सोची समझी चाल के अन्तर्गत यह सब बड़ी होशियारी से सफाई की गई। एक नई सिमेण्ट फैक्ट्री लगाने के बहाने ब्यावर के सारे जल, जंगल, जमीन पर अधिकार करने के लिये सरकार ने ऐसा किया होगा। आप देखिये सन् 1998 में ब्यावर में एक एडीएम की पोस्ट क्रियेट कर एडीएम लगाया उनके द्वारा 90 बी में ब्यावर की जमीन को इस्किन अधिग्रहित कर ब्यावर से मसूदा पंचायत समिति ब्यावर उपखण्ड से अलग कर मसूदा के नाम से एक नया उपखण्ड बनाकर सिमेण्ट फैक्ट्री को रूरल के सारे फायदे देने के लिए मसूदा में दिखाई फिर ब्यावर से एडीएम का मसूदा एस डी एम ट्रान्सफर कर पिछले इक्कीस साल ब्यावर के एडीएम की पोस्ट को वेकेंट रखा अर्थात इक्कीस साल तक जानबूझ कर ब्यावर के एडीएम की पोस्ट को खाली रखकर सिमेण्ट फैक्ट्री व पावर प्लाण्ट को नाजायज तरीके से उपकृत किया जाता रहा पचास साल तक ब्यावर के विकास को अवरूद्ध करके। इसी कारण सन् 62 से ब्यावर के अगले 62 साल तक विकास को बाँगड़ कोरपोरेट घराने को पनपाने के लिये रोककर रखा गया। इस दरम्यान जल, जंगल और जमीन का भरपूर दोहन हुआ। अब 2023 में जिला बना तब फिर से ए डी एम की पोस्ट पर अधिकारी लगाया। कितना भयंकर अन्याय हुआ है ऐसा तो कभी कोई सपने में भी नहीं सोच सकता पच्चीस साल तक ए डी एम की पोस्ट जानबूझकर खाली रखी गई मात्र बांगड कोरपोरेट घराने को उपकृत करने के लिए।
अब आप देखिये ब्यावर के विकास के दायरे को ब्यावर सिटी की सीमा की परिधि लगभग दस पन्द्रह मील होगी। आठ-दस लाख तक की आबादी होगी और लगभग दो हजार विकसित कालोनिया वाला ब्यावर शहर होगा जो निगम के साथ प्राधिकरण के स्तर का कार्यालय भी होगा। इस विकास को पिछले सत्तर साल रोककर रखा था सरकार ने जानबूझ कर।
ब्यावर जिले का दायरा चारों दिशाओं मे विशाल होगा जो भीलवाड़ा राजसमन्द पाली, नागौर और अजमेर जिलों से लगता हुआ है। राजस्थान राज्य का मध्यवर्ती जिला होने के साथ साथ उद्यम वैराइटी, पर्यटन सौन्दर्य रूपी संरक्षण, संवर्धन वाला कलस्टर मेन्यूफैक्चरिंग वाला जिला, कौशल उद्यमशीलता वाला जिला होगा।
06.12.2024
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इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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