‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


नगरिय सीमा का विस्तार - किश्त नम्बर दो
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फ्रीलान्सर . वासुदेव मंगल, ब्यावर
आप देखिये भारत स्वतन्त्र सन् 1947 में हुआ। राजपूताना मे राजा रजवाड़ो का राज्य था ब्यावर बसाने के पहले यहां पर मेरे जाति घुमन्तु यहां के जंगलए पहाडो पर निवास करती थीं। सातवी सदी मे शाकम्बरी के राजा अज ने अजमेर पर आधिपत्य किया जिससे इस शहर का नाम अजमेर पड़ा। पश्चात्वर्ती सत्रहवी शताब्दी के राजाओं द्वारा तलहटी के वासिन्दों को दक्षिण में खदेड़ दिया। अतः ये लोग दक्षिण की पहाडियो और जंगलो मे निवास करने लगे। मेर पर्वत को कहते है। इस वजह से ट्राइवाल जाति मेर मे रावत और मेरात थे जो ब्यावर के जंगलों मे रहने लगे। अंग्रेजों द्वारा 1818 मे नसीराबाद छावनी बनाये जाने के बाद इन्होंने दक्षिण में विस्तारवादी नीति के अन्तर्गत आक्रमण कर 1823 ई0 में इस इलाके के 31 गांवों को जीतकर ब्यावर नाम की नई छावनी बनाई जिसे 1835 में डिक्सन ने नागरिक बस्ती में तब्दील कर ऊन और कपास के व्यापार की राष्ट्रीय मण्डी बनाया और एक हजार नो सो पचपन परिवारों को परकोटा बनाकर सुरक्षित किया। साथ ही मेवाड़ से बत्तीस और मारवाड़ से इक्कीस गांवों को लीज प्रसंविदें के तहत् 84 गाँवों के समूह को एक नई अंग्रेजी रियासत के नाम से मेरवाड़ा बफर स्टेट के नाम से सृजित कर ब्यावर को इसका हेड क्वार्टर बनाकर एक नया स्टेट बनाया। चूंकि पृष्टभूमि काँकड वाली जंगलाती भूमि थी जहाँ पर बीच बीच में खेती की जमीन के साथ साथ दूर दूर तक छितराई पहाड़ियां फैली हुई थी जिसमे पशु चरागाह थे। काली मिट्टी होने के कारण मुख्य कपास की खेती थी और चरागाह होने से पशु से ऊनए जिन्स थी अतः डिक्सन ने ट्राईवाल को समाज की मुख्य धारा से ऊन और कपास के व्यापार से जोड़कर इनके जीवन स्तर को सभ्य बनाया। मेरवाड़ा बफर स्टेट मे तत्कालिन सात तहसील ;परग्नोद्ध को जोड़ा। ब्यावरए मसुदाए भीमए टाटगढ़ बदनोरए विजयनगर और आबू। सन् 1938 में मारवाड़ मेवाड़ का प्रसंविदा समाप्त होने से अंग्रेजी सल्तनत के इक्कीस गांवों को अजमेर की अंग्रेजी रियासत के साथ जोड़ने से अजमेर मेरवाड़ा स्टेट कहलाया। 1938 में प्रजा मण्डल देशी रियासतों में स्थापित होने लगे जिनमे 1935 के अंग्रेजी अधिनियम के तहत भारतीयों को शासन मे प्रतिनिधित्व दिया जाने लगा। चूंकि अजमेर और ब्यावर जंगे आजादी की क्रान्ति का ईलाका रहा ब्यावर इसका गढ़ रहा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के साथ राजपूताना रियासतो का एकीकरण होने के कारण 30 मार्च सन् 1949 को राजस्थान नाम से प्रदेश आस्तित्व में आया जिसकी राजधानी जयपुर बनाई गई। इस प्रदेश के मध्य में स्थित अजमेर मेरवाड़ा स्टेट का अलग स्वतन्त्र अस्तित्व था। इसे 26 जनवरी 1950 को भारत के 14वें ष्सष् श्रेणी के अजमेर राज्य के नाम से इंगित किया गया। 1952 में प्रथम आम चुनाव हुए। इस स्टेट की विधान सभा अजमेर में स्थापित की गई। इस का अस्तित्व 31 अक्टूबर 1956 तक रहा। यह तो हुई प्रस्तावना। 1 नवम्बर 1956 को अजमेर राज्य को राजस्थान में मिलाकर अजमेर को राजस्थान का जिला बनाया गया और ब्यावर को अजमेर डिस्ट्रीक्ट ;जिलेद्ध का सब डिविजन अर्थात् उपखण्ड बनाया अतः यहाँ से जयपुर अजमेर और ब्यावर के विकास की अलग अलग कहानी शुरू होती है जिसके विकास का वर्णन तब से अब तक ब्यौरेवार पेश कियाए जा रहा है।
सन् 1947 मे जयपुर मात्र राजशाही डूँडार नाम से रियासत थी जिसकी राजधानी आमेर थीं। बाद मे सवाई जयसिंहजी द्वितीय ने 18 नवम्बर 1727 में पर्वत के नीचे मैदान में जयपुर शहर बसाकर आमेर से राजधानी नीचे जयपुर ले आए। इस प्रकार राजपूताना अलग अलग देशी रियासतो वाला राज्य ;प्रदेशद्ध था। स्वतन्त्रता से इन रियासतो का एकीकरण हो जाने से 30 मार्च 1949 को यह प्रदेश राजस्थान नाम से अस्तित्व में आया और जयपुर इसकी राजधानी होने से जयपुर की ख्याति त्वरित होकर विकास के सोपान पर आरम्भ हुई। शुरु शरू में मात्र डूंडार राज्य की राजधानी रही। उस समय तो जयपुर रियासत अन्य जोधपुरए कोटाए उदयपुरए बीकानेरए भरतपुर रियासत की तरह ही थी परन्तु राजस्थान की राजधानी बनाये जाने से अन्य रियासतों से शासन सम्बन्धी काम की आवाजाही होने लगी। इधर राजस्थान प्रदेश की राजधानी भी बन गई। अतः इस विकास त्वरित गति से लाजमी था। अतः 1949 से ही यहाँ पर सवाई मानसिंह हॉस्पीटलए सवाई मानसिंह मेडीकल कालेजए राजस्थान यूनीवर्सिटीए राजस्थान हाईकोर्ट की बेन्चए हवाई अड्डा आदि आदि इमारते बनकर कार्य करने लगी। राजस्थान के सेक्रेट्रियट ;सचिवालयद्ध राजस्थानए राजस्थान की विधानसभा। स्वतन्त्रता के पहले जयपुर चार दीवारी में ही सीमीत था बाद में ये सभी ईमारते शहर की चार दीवारी बाहर बनी 1947 के बाद से। फिर भी 1956 तक तो जयपुर महाराज के राज प्रमुख रहने तक परकोटे के बाहर मिर्जाईस्माईल रोड़ पर चहल पहल थोड़ी थोड़ी होने लगी परन्तु फिर भी सन् 1970 तक भी शहर के परकोटे के बाहर विशेष विकास नहीं था। हाँ बाहर की कालोनिया आबाद होनी शुरू हो गई थी जैसे सी स्किमए कलेक्ट्रेट वाली कालोनी आदि। आबादी उस वक्त भी कोई खसस नही थी पांच छ लाख थी।
अजमेर राज्य के राजस्थान में मिलने के बाद जयपुर का विकास 1970 के बाद तेजी से हुआ है। इसमें कोई दो राय नहीं है। इसका मुख्य कारण जयपुर राजस्थान प्रदेश की अजमेर की जगह वहीं पर राजधानी रहने से इस शहर का तेजी से विकास इसलिये हुआ कि तत्कालिन जयपुर महाराज सन् 1970 तक अपने जीवन काल मे सवाई मानसिंहजी द्वितीय ने समस्त ईमारते प्रदेश के शासन के लिये 1956 में से एक एक करके देते गए। अतः शासन करने की सुविधा होने से जयपुर का तेजी से विकास हुआ। अगर जयपुर की जगह 1956 में अजमेर राजधानी बन जाती तो अजमेर का विकास तेजी से होता जयपुर की जगह लेकिन कूटनीति के तहत अजमेर राजधानी बनाई जानी तय होे जाने के बाद उसे बदल दिया गया जिले के रूप में मात्र तीन राजकीय विभाग देकर। और इसी प्रकार ब्यावर जो नीतिगत फैसले अनुसार जिला बनाया जाना था उसको राजनैतिक वर्चस्व के सिनेरियो से हटाकर अजमेर जिले का अदना सा सब डिविजन बनाकर रख दिया गया सोची समझी चाल से जो मेरवाड़ा बफर स्टेट रहा। इस प्रकार अजमेर और ब्यावर दोनों ही क्षेत्रों का दमनकारी नीति से सदा सदा के लिये राजनैतिक वर्चस्व खतम कर दिया गया। यह इतना बडा ईनाम मिला दोनों स्वतन्त्र राज्यों को राजस्थान प्रदेश मे मिलाये जाने पर।
अजमेर तो ऐतिहासिक शहर होने के कारण और दरगाह एवं पुष्करराज होने से फिर भी धीरे धीरे आगे बढ़ता रहा परन्तु ब्यावर के तो डेड शताब्दी के अतीत के विकास को समूल नेशनाबूद कर दिया मात्र एक अंग्रेज शासक के द्वारा बसाये जाने के कारण। जो ब्यावर उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में भारत में व्यापार की राष्ट्रीय मण्डी थी उसको सिमेण्ट फैक्ट्री को पनपाने के लिये जड़ से समाप्त कर दिया गया। क्या स्वतन्त्र भारत के विकास की यहीं थीम हैघ् ऐसे तो कोई भी राजा अपनी प्रजा का इतना बुरा नहीं करता है जितना क्रूरए अन्यायए अत्याचार राज्य सरकार ने ब्यावर की प्रजा के साथ किया। आज तो ब्यावर ष्सोने की चिडियाष् होती।
आप देखिये फिर भी ब्यावर अब ही सही। अब भी ब्यावर फास्ट स्पीड ट्रेन की तरह विकास कर भारत का मॉडल डिस्ट्रिक बनेगा बहुत कम समय में।
ब्यावर के 187 वर्ष के विकास को अवरुद्ध किया सरकार ने। अब आने वाले 187 महीनों मे ड्रास्टिक विकास करके दिखायेगा दुनियां को। सरकार ने जितना ज्यादा ब्यावर को रौंदा उतनी तेजी से आगे बढ़ेगा।
जयपुर ने 80 साल मे जितना विकास किया है उससे ज्यादा विकास ब्यावर 80 महीने में करके बतायेगा। ब्यावर के नागरिकों में ऊर्जा और मेधा शक्ति अपार है जिसके कारण रेपिड ग्रोथ करेगा।
02-12-2024
 
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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