‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com

ब्यावर में भारत स्वतन्त्र होने के बाद का माहौल
लेखः वासुदेव मंगल
सन् 1937 में मेरवाड़ा बफर स्टेट का स्वरूप बदल गया था। मारवाड़ और मेवाड़ रियासत का अंग्रेजी रियासत के साथ प्रसंविदा समाप्त हो जाने से मेरवाडा की शेष अंग्रेजी रियासत अजमेर अंग्रेजी रियासत के साथ जोड़कर अजमेर मेरवाड़ा स्टेट नामकरण हो गया। अतः ब्यावर के साथ साथ अजमेर का भी अंग्रेजी शासन का वर्चस्व स्वतन्त्रता प्राप्ति तक कायम रहा। फिर भारत देश स्वतन्त्र समप्रभु समाजवादी धर्म निरपेक्ष गणराज्य का प्रारूप 26 नवम्बर 1949 को स्वीकार कर 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया जिसका मेरवाड़ा समेत अजमेर राज्य नामकरण हुआ और भारत देश का ‘स’ श्रेणी का 14वाँ राज्य बना। अजमेर राज्य की अब जल, जंगल, जमीन स्वतन्त्र थी जिस पर अधिकार स्वरूप शासन एक स्थनीय विधान सभा बनाकर किया जाने लगा जिसका मुख्यालय अजमेर रखा गया। ब्यावर मे सी एम एण्ड एच ओ का मुख्यालय रखा गया। अजमेर उत्तर और दक्षिण दो भाग के संसद सदस्य सन् 1952 के प्रथम आम चुनाव मे चुने गए। अजमेर दक्षिण का भाग ब्यावर मेरवाड़ा था जिसके सांसद मुकुटजी दिल्ली संसद के लिये और अजमेर उत्तर था जिसके सासंद ज्वाला प्रशादजी शर्मा चुने गए। विधान सभा मे पूरे अजमेर राज्य का प्रनिधित्व था। यह राज्य 31 अक्टूबर 1956 तक कायम रहा जिसमे ब्यावर से प. बृजमोहनलालजी व अन्य विधायक प्रतिनिधि थे। बृज मोहनजी अजमेर राज्य के संयुक्त मिनिस्टर रहे कई मन्त्रालयों के। फिर केन्द्र सरकार ने छोटे राज्यों को बड़े राज्यों मे मिलाने के लिये एक राज्य पुनगर्ठन आयोग बनाकर उसकी सिफारिशे लागू कर 1 नवम्बर को 1956 को यह व्यवस्था देश में लागू की जिसके तहत ब्यावर व अजमेर दोनों क्षेत्रों को राजस्थान प्रदेश में राजस्थान के अलग अलग जिलो के रूप में घोषित किया जाना था।
उस वक्त राजस्थान प्रदेश के मुख्य मन्त्री मोहनलाल सुखाड़िया थे जिन्होंने ब्यावर क्षेत्र के साथ धोखा कर राजनैतिक रूप से राजस्थान का जिला घोषित न कर उपखण्ड घोषित करके ब्यावर के गौरव की राजनैतिक हत्या कर दी जिसका दंश ब्यावर पिछले छाँसठ साल से भुगत रहा था।
छाँसठ वर्ष बाद 7 अगस्त 2023 को तत्कालिन मुख्यन्त्री जी श्री अशोक जी गहलोत ने ब्यावर के जिले की अधिसूचना जारी करके ब्यावर को जिले के स्वरूप में क्रमोन्नत कर ब्यावर के अतीत के व्यापार, उद्योग, शिक्षा चिकित्सा, सामाजिक समरसता, वितय स्वरूप, वाणिज्य को पुनः कायम करने का प्रयास किया है। इस कार्य के लिये वह बधाई के पात्र है।
ब्यावर को सब डिविजन बनाये जाने से पराभव का दौर शुरू हो गया था ब्यावर के तमाम क्षेत्र का। कारण ब्यावर तो जंगलाती पथरीला क्षेत्र है भौगोलिक दृष्टि से जहाँ पर छीतरी हुई छोटी छोटी पहाड़िया दूर-दूर तक जंगल के साथ फैली हुई है जहां चरागाह के साथ साथ कहीं कहीं खेती योग्य जमीन भी बीच बीच मे स्थित है। वन क्षेत्र होने के कारण फोरेस्ट डिपार्टमेण्ट का एरिया रहा है अब भी।
चूंकि इस बफर स्टेट पर स्थापना से तो ईस्ट इण्डिया कम्पनी का 30 नवम्बर 1857 तक फिर । दिसम्बर से 1858 से ब्रिटेन गवर्नमेण्ट का सीधा राज 14 अगस्त 1947 ई0 तक अंग्रेजी सल्तनत का राज रहा। 15 अगस्त 1947 को यह एरिया आजाद हो गया अर्थात यहां की जल, जंगल और जमीन आजाद हो गए जिस पर फोरेस्ट डिपार्टमेण्ट के अधिकार में आ गया। कारण अंग्रेजी सल्तनत होने के कारण स्वतन्त्रता के बाद इसके मालिक सम्पूर्ण क्षेत्र के निवासी हो गए क्योंकि यहां पर देशी राजा महाराजा ठाकुरों का राज तो था नही अंग्रेजों का राज था जो भारत को स्वतन्त्र कर अपने वतन इंग्लैण्ड चले गये। अतः ऐसी सूरत में जब ब्यावर को सब डिवीजन बना डाला तो इस क्षेत्र के सभी प्रकार के भू माफिया हावी होकर अब तक जल स्वतन्त्र क्षेत्र के जल, जंगल और जमीन पर अधिकार करते चले आ रहे थे जिसका जो, जैसा वश चला गिरोह बनाकर बंदर बांट चली आ रही थी। समस्त क्षेत्र की दूर दूर तक। 66 साल से शोषण हो रहा था जल जंगल और जमीन का। अब चूंकि वापस राज्य के जिले के रूप फिर से एक बार त्वरित गति से इस क्षेत्र का सघन और सर्वागीण विकास हो सकेगा। इसलिये यहां की म्युनिसिपल का भी यही हाल रहा अभी तक। आज ही वर्तमान बोर्ड डिजोल्व होगा।
लेखक सरकार को सन् 1990 से ब्यावर को 33 साल से जिला बनाये जाने की भरसक फरियाद करता रहा लेकिन सरकार को इसकी संरचना की वस्तु स्थिति मालूम नहीं थी न इसलिये ध्यान दिया नहीं।
पहले तो 1975 तक उप खण्ड बनाये जाने पर ब्यावर को अंग्रेज के बसाये जाने से सरकार सोतेला बर्ताव करती रही। यहां के तमाम व्यापार, उद्योग सरकारी दफ्तरों को समाप्त कर। फिर 1975 को जब श्री सिमेण्ट, बांगड कोरपोरेट घराने का वर्चस्व कायम हुआ तब से पिछले पचास वर्षाे से वह इस सम्पूर्ण क्षेत्र का शोषण कर मालामाल होकर सम्पूर्ण देश में अपनी इण्डस्ट्रीज ब्यावर क्षेत्र की भरपूर कमाई से करता चला आ रहा है ब्यावर को बर्बाद करके।
अतः सरकार को भी थोडे अपने विवेक से काम करना चाहिये था। अगर उस वक्त अजमेर के साथ ही ब्यावर को जिला बना दिया होता तो राजस्थान का तो आज तो ब्यावर देश का माडल जिला होता।
इस क्षेत्र की कमाई दूसरा खाता रहा और इस क्षेत्र को बर्बाद करता रहा जिसकी कमाई से दूसरे जिलों का भरपूर विकास होता रहा और ब्यावर बर्बाद होता रहा।
ब्यावर के एक जागरूक नागरिक, सीनियर सिटीजन, फ्रीलान्सर का चश्मदीद साक्षी का कथन।
29.11.2024
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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