‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
www.beawarhistory.com
✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com

संवाद
संविधान में न्यायपालिका की भूमिका पर भारत के संविधान के 75 साल का जश्न भारत सरकार द्वारा 26 नवम्बर 2024 को

संकलनकर्ता एवं विवेचनकर्ता: वासुदेव मंगल, ब्यावर
लोकतन्त्र मे पालिसी सरकार बनाती है। कानून की वैधता की जिम्मेवारी कोर्ट की। किसी खास व्यक्ति को टारगेट करना ठीक नहीं। धीरे धीरे नए सिद्धान्त आये है। ये सोचना कि हमारा फैसला बदलाव कैसे लाए। जज का काम समाज से जुड़ा हुआ है। संविधान में कोई एक प्रमुख विषय नहीं। जज अपनी भावना पूरी तरह खतम नहीं कर सकता। संविधान भारत की विविधता को दर्शाती है। जज को जोन आफ कन्फिक्ट से बाहर आना चाहिये। संविधान में मानवीय गरिमा का विषय प्रमुख है। चीफ जस्टिस वर्क रोस्टर तैय्यार करता है। ये सोचना जरुरी है कि हमारा फैसला कैसे बदलाव लायेगा। हर केस चीफ जस्टिस फाइल नहीं कर सकता जज का काम समाज से जुड़ा हुआ है। सेपरेशन आफ पावर बहुत जरूरी है हर नागरिक को फैसले पर राय बनाने को स्वतन्त्र है। सरकार की जनता के प्रति जबाब देही होती है। कालोजियम सिस्टम में ट्रांसपेरेन्सी जरूरी। जज के लिये कोई मुद्दा छोटा या बड़ा नहीं। संविधान भारत की विविधता को दर्शाता है। नये मामलों का निपटारा कैसे हो यह देखना जरूरी। जज को धैर्य से काम करना चाहिये। मामलों का नागरिको के अधिकार पर प्रभाव। सोशल मीडिया का समाज पर गहरा प्रभाव। रातोंरात किसी चीज पर बदलाव नहीं ला सकते। टकराव से दूर रहना चाहिए। सरकार की जनता के प्रति जवाब देही जरूरी। जज अपनी भावनाएं खत्म नहीं कर सकता। टीवी मंच पर पूर्व सी जे आई डी. वाई यसवन्त चंद्रचूड संविधान और मानवाधिकार:- एनडी टीवी के मंच पर पूर्व सी जे आई:- यू.यू. ललित संविधान दिवस पर मेगा कानक्लेव संविधान के 75 साल पूरे होने पर। एन डी टी वी इण्डिया संवाद संविधान के मूल में छेड़ छाड़ नहीं होनी चाहियेः किरेन रिजिजूः परन्तु ऐसा हुआ है सविधान के मूल में धर्म निरपेक्ष शब्द है जबकि। संविधान एक जर्नी है। संविधान स्टेटिक तो नहीं है।
संविधान दिवस स्त्रोतः पी.आई.बी.:- भारत के संविधान के सम्बन्ध में मुख्य तथ्य में जो भारतीय संविधान की मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम 1935 पर आधारित है मे धर्मनिरपेक्ष शब्द है जबकि भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मन्त्रालय ने 19 नवम्बर 2015 को अधिसूचित किया है उसमे धर्म निरपेक्ष मूल शब्द के स्थान पर पंथ निरपेक्ष शब्द लिखा जाकर अन्तर प्रकट किया गया जो धर्मनिरपेक्ष के मूल शब्द से पंथनिरपेक्ष बिल्कुल भिन्न है भारत सरकार अधिनियम 1935 के आधार से।
भारत की संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को जो संविधान अपनाया था जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ उसमें तो धर्म निरपेक्ष शब्द समाहित है स्पष्टरूप से।
अतः न्याय और अधिकारिता मन्त्रालय भारत सरकार को इस मूल के अन्तर को पंथ निरपेक्ष को में परिभाषित करने को देश के नागरिकों को बताना चाहिये ये 26 नवम्बर 2024 को संविधान दिवस को देश में सार्वजनिक रूप से मनाये जाने के समय पर। क्योंकि ऐसा होने से जागरुक सम्मान्त नागरिक को शंका होना लाजिमी है जिस शंका का समाधान होना चाहिये क्योंकि संविधान शाश्वात डाक्यूमेन्ट है और देश संविधान से ही चलेगा तो फिर मूल धर्मनिरपेक्ष शब्द में फर्क क्यों? यहां पर यह जवलन्त यक्ष प्रश्न है जिसका समाधान पब्लिक (जनता) को आज संविधान दिवस पर सरकार को करना जरूर करना चाहिये। किरेण रिजिजू केन्द्रिय मन्त्री ने दिनांक 24-11-2024 को एनडीटीवी इण्डिया मंच से संवाद कार्यक्रम मे अपने उद्बोधने भाषण में बोला भी है कि संविधान की मूल भावना से छेड़ छाड़ नहीं होनी चाहिये तो फिर ऐसा क्यों? यह यक्ष प्रश्न नागरिक के मन मे उठना (पैदा होना) स्वाभाविक है जिसका समाधान होना चाहिए। अतः सरकार के स्पष्टीकरण के इन्तजार में। क्यों कि यह जश्न संविधान के 75 साल में मनाया जा रहा है जिसको विशेष महत्व है। इस कानक्लेव में भारत के स्कोलर्स ने अपने विचार के महत्व को प्रकट अलग अलग तरह से प्रकट करते हुए एकरूप से संविधान के मूल रूप से महत्व को प्रकट किये है जिसमे भारत के मुख्य न्यायाधीशी, भारत सरकार के कानून मन्त्रीयों और प्रसिद्ध अधिवक्ता द्वारा रोशनी डाली गई है परन्तु 19 नवम्बर 2015 की अधिसूचना में वर्णित संविधान की परिभाषा ही इस राष्ट्रीय विधि दिवस (नेशनल लॉ डे) पर ही पढ़ी जायेगी। जिसमे धर्म निरपेक्ष शब्द न होकर पंथनिरपेक्ष शब्द होगा। अतः मूल धर्म निरपेक्ष शब्द तो संविधान में से हमेशा हमेशा शब्द न होकर पंथ निरपेक्ष शब्द होगा। अतः मूल धर्म निरपेक्ष शब्द तो संविधान में से हमेशा हमेशा के लिए गायब हो गया। इसका तो समाधान अगर अभी नहीं होगा तो फिर कभी भी नहीं होगा यह सब तो छिप गया जो 1950 में अंगीकृत संविधान मे है और जिसमें 65 वर्ष बाद गुपचुप 19 नवम्बर 2015 मे भिन्नता पैदा कर दी गई। अतः भारत के प्रत्येक नागरिक को इस विषय में शंका समाधान करने का अधिकार है जिसके तहत् कृपया सम्बन्धित मन्त्रालय में अधिकृत पदाधिक पदाधिकारी अथवा मन्त्री अपना स्पष्टीकरण देवे।
24.11.2024
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

Website http://www.beawarhistory.com
Follow me on Twitter - https://twitter.com/@vasudeomangal
Facebook Page- https://www.facebook.com/vasudeo.mangal
Blog- https://vasudeomangal.blogspot.com

Email id : http://www.vasudeomangal@gmail.com 
 


 


 


Copyright 2002 beawarhistory.com All Rights Reserved