‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से....... |
छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com |
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जिले के सघन विकास में ब्यावर वासियों का
भरपूर योगदान रहेगा
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लेख - वासुदेव मंगल, ब्यावर
स्वतन्त्रता के बाद ब्यावरवासियों ने तो द्रुत गति से व्यापार और उद्योग
में नये-नये जिन्सो (वस्तुओं) के व्यापार और अन्य उद्योगों के लगाये जाने
की उम्मीद की थी यह सोचकर कि अब तो हमारा राज आया है तो विकास भी त्वरित गति
से नये-नये व्यापार ट्रेड व इण्डस्ट्रिज लगेगी जिससे रेपिड ग्रोथ होगी।
परन्तु ब्यावर की प्रजा को क्या मालुम था कि हमारे अपने ही हुक्मारान बेगाने
हो जाएंगे जो हमारी एक सो पच्चीस साल के क्रॉनिकल ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्रिज
की ग्रोथ को ही जड़मूल से समाप्त कर देंगें। यह तो कभी स्वप्न में भी नहीं
सोचा था।
हमारे नगमा निगार अपने-अपने फायदे की आपसी लड़ाई मे ब्यावर स्टेट के अतीत के
सघन और सर्वांगीण विकास को ही नष्ट कर देंगे। और हुआ यह ही कँाग्रेस पार्टी
की आपसी गुटबाजी का शिकार ब्यावर हुआ। स्थानीय तत्कालिन काँग्रेस के नेता
तो मजदूरों के मसीहा हुए और उनके घोर प्रतिद्वन्दी दूसरे मिल मालिकों के
खैरख्वाह बने जिनको बी और सी के नाम से इंगित कर जाना जाता है इतिहास में।
ये दोनों गुट अपने-अपने स्तर पर आखिर तक धुर विरोधी रहे एक दूसरे के लिए
इनकी लड़ाई का खामियाजा भुगतना पड़ा ब्यावर के नागरिकों को।
नुकसान तो ब्यावर के व्यापार उद्योग और सिस्टम ब्यूरोकेसी को जबरदस्त हुआ
है तब से अब तक पिचेत्तर वर्ष बीत जाने के बाद भी। इससे तो परदेशी सिस्टम
ही बढ़िया था। उसने एक सो पच्चिस बरस मे ब्यावर की ग्लोबल ग्रोथ की थी उस
जमाने में आज के सित्ततर साल पहले कि, ‘ब्यावर इण्डिया’ में राजपूताना का
‘मेनचेस्टर’ कहलाया गया और एक हमारे रहनुमा जिन्होंने ब्यावर का उल्टा बाजा
बजाकर रख दिया ब्यावर की सत्ता पाकर। अतः ब्यावर के कारनामे दुनियाँ मे
इतिहास बन गया। हमारे पूर्वजों ने तो यहाँ आकर ख्याति अर्जित की थी नया नगर
मे आकर एक परदेशी के बुलाने पर, जिन्होंने एक पारदर्शी सकुशल प्रबन्धन दिया
सब धर्मों के ब्यावर वासियो को बिना भेदभाव के और दूसरी तरफ हमारे अपने
हुक्मरान बी और सी जिन्होंने वर्ग संघर्ष मे ब्यावर की समूल नैय्या डूबो
दी।
हम हमारे अपनों से क्या उम्मीद कर सकते है। कितना बढ़िया रामराज आया है।
महात्मा गाँधी ने तब कहा भी था कि काँग्रेस का उद्देश्य भारत को स्वतन्त्रता
दिलाना था जो पूरा हुआ। अब कांग्रेस भंग कर एक साझा सरकार बनाई जानी चाहिये
केन्द्र मे और राज्यो मे भी। हुआ उल्टा कि राम राज्य परिषद् जो उस समय
राजनैतिक सक्रिय पार्टी हुआ करती थी उसे भंग किया गया ताकि रामराज नहीं आने
पावे क्योंकि हमारे रहनुमाओं को राम राज्य नहीं लाना था इसलिए।
अरे राजा तो अपनी प्रजा का सेवक होता है। अगर वह राजा बनकर प्रजा का दुख
दर्द दूर नहीं करे तो वह काहे का राजा।
आज तक भारत की आजादी का यह ही हश्र हो रहा है। अब तो इसका पैटर्न बदलना
चाहिए। आखिर प्रजा कब तक इस तरह की अराजकता की पीड़ा सहन करती रहेगी। इस
प्रकार तो राज के प्रति अविश्वास पैदा होगा जनता का।
अब चूँकि ब्यावर फिर से उठकर एक बार पुनः अपनी अतीत की ख्याति को अर्जित कर
सोने की चिड़िया बनेगा मॉडल जिला बनकर उभरेगा। ब्यावर के निवासियों में
भरपूर मैदा शक्ति है और इसी प्रकार भरपूर ऊर्जा शक्ति भी है जिसका उपयोग कर
ब्यावर को विकसित करेंगें। ऐसा लेखक को विश्वास है।
10.12.2024
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इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker
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