‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com

 

ब्यावर सिटी का विकास मास्टर प्लान के अनुसार होना चाहिए
सामयिक लेख:- वासुदेव मंगल ब्यावर
राजस्थान प्रदेश की सरकार द्वारा ब्यावर सिटी का अरबन मास्टर प्लान बीस साल के स्थान का सन् 2012 में फ्रेम कर सन् 2032 की अवधि तक का बनाकर सन् 2012 में लागू कर दिया गया। इसे मुख्य रूप से पाँच जोन में विभक्त किया गया है। इसका जोनल कार्यालय अजमेर में है। इस प्लान का ब्लू प्रिन्ट ब्यावर नगर पालिका के पास भी है। इस प्लान पर उपयुक्त समय में जनता (पब्लिक) से आपत्ति भी मांगी गई थी। अतः अनापत्तियुक्त मास्टर प्लान सन् 2012 में लागू कर दिया गया इस मास्टर प्लान की 12 साल की अवधि समाप्त हो चुकी है सन् 2024 में। अब मात्र आठ साल की अवधि बाकी बची है प्लान को पूर्णरूप से लागू करने में।
इस दरम्यान ब्यावर नगर परिषद् ने भी अपना पाँच जोन का जोनल प्लान बनाया है जिसे परस्पर सामंजस्य से पूर्ण रूप दिया जा सके। फिर भी मास्टर प्लान ही लागू किया जायेगा।
इस दरम्यान अगस्त 2023 में ब्यावर जिला मुख्यालय में क्रमोन्नत किये हुए करीब सवा साल की अवधि बीत चुकी है। अतएव् ऐसी स्थिति में मास्टर प्लान को मूर्त रूप देना आवश्यक हो गया है।
अतः ब्यावर जिले के सघन एवं सर्वागीण विकास के लिए ब्यावर सिटी का विस्तार भी शिल्पकला पर द्रुत गति से किया जाना है।
इसी आधार पर तमाम प्रशासनिक, न्यायिक, व्यापारिक, सामाजिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य, सामुदायिक अर्थात् कृषि, खनन, परिवहन सभी सुविधाओं को अमली जामा पहिनाया जाना शीघ्रता शीघ्र आवश्यक हो गया है।
अतएव इसी परिप्रेक्ष में यह काम तुरन्त प्रभाव से परिपूर्ण किया जाना समय सीमा में जरुरी है।
जहाँ तक सभी घटकों को समयबद्ध सीमा में लागू करने की बात है तो ब्यावर जिले में वे सब घटक साधन सुविधाएँ उपलब्ध है मात्र सरकार के तत्परता पूर्ण आदेश इन सब की अनुपालना में सभी मन्त्रालयो सम्बन्धित विभागों से समय पर हो जाने चाहिए।
विकास के सभी क्षेत्रों में स्कोप बहुत है। मात्र इनको समय पर क्रियान्चित करने के आदेश उत्तरोत्तर होने चाहिए। फिर देखिये आप विकास को और इसकी गति को और इससे प्राप्त होने वाले सरकारी राजस्व ( रेवेन्यु ) को।
ब्यावर जिला एक बार पुनः भारत देश के अग्रहणी जिलो में सुमार होगा। एक बार लेखक का सभी को धन्यवाद
अभी काम बहुत किया जाना बाकी है। जिला स्तर के सभी कार्यालय शीघ्रता-शीघ्र स्थापित कर चालू किया जाना। जिले का परिसीमन यथाशीघ्र किया जाकर सभी प्रकार की सुविधाएं नागरिकों को जुटाना जैसे सिटी परिवहन की सुविधा, शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियां, प्रौद्योगिक पार्क, मार्केट खनन कार्य, रोजगार जिले की जन शक्ति को सुक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों द्वारा अधिक से अधिक काम दिया जाना, उत्पादन की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराना तथा उत्पादित माल को तुरन्त बिक्री का प्रबन्ध सब्सीडी के साथ किया जाना। युवाओं को छात्र छात्राओं को पढ़ाई के लिये सभी प्रकार के साधन उपलब्ध कराना जैसे मेडीकल, शिक्षा आदि आदि यह भी सरकार की प्राथमिक जिम्मेवारी है।
फिर देखिये आप ब्यावर जिले के विकास को। ब्यावर में प्राकृतिकरूप् से सभी प्रकार की सम्पदा विपुल मात्रा में जमीन में दबी भरी पड़ी है। मात्र इसके वैज्ञानिक दोहन की आवश्यकता है जिसे सरकार को इन्सेटिव के जरिये तुरन्त प्रभाव लागू किया जाना चाहिए। ब्यावर मे प्रतिभाओं की भी कोई कमी नहीं है। सभी एक से बढ़कर एक बढ़कर एक प्रतिभा मौजूद है जिन्हे काम मे लिया जाना चाहिए। फिर देखिये आप ब्यावर के सभी क्षेत्रों में ब्यौरेवार सघन ओर सर्वागींण विकास को।
ब्यावर की जनता में अपार मेघा और ऊर्जा शक्ति भरी पड़ी है। आवश्यकता है इस प्रतिभा को खोजकर काम में लेने की।
लेखक का मानना है कि भौगोलिक रूप से ब्यावर जिला राजस्थान प्रदेश के मध्य में स्थित होने के कारण यहां के जनशक्ति में ऊर्जा अपरिमित है। जैसे जीव की नाभि में या परमाणु के मध्य में ऊर्जा भरी पड़ी होती है उसी प्रकार।
इसी प्रकार ब्यावर एक ऊँचे पश्चिम-दक्षिण दिशा में पठार से पूर्व उत्तर ढलवा दिशा पर बसा हुआ है। अतः यहां के निवासियों में मेधा शक्ति अपार भरी पड़ी है आवश्यकता है इसे खोजकर दोहन करने की अर्थात् काम में लेने की। आपको बता दें कि ब्यावर का चाँग द्वार जिस टेगरी पर बना है उसकी ऊँचाई और अजमेर के तारागढ़ की चोटी की ऊँचाई समान है।
10.11.2024
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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