‘ब्यावर’ इतिहास के झरोखे से.......
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✍वासुदेव मंगल की कलम से.......

छायाकार - प्रवीण मंगल (फोटो जर्नलिस्‍ट)
मंगल फोटो स्टुडियो, ब्यावर
Email - praveenmangal2012@gmail.com


ब्यावर में 21 दिसम्बर साल का सबसे छोटा दिन 9 घण्टे 14 मिनट का खगोलिय घटना
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आलेख - वासुदेव मंगल, फ्रीलांसर, ब्यावर सिटी, राजस्थान
आप देखिये पृथ्वी की अपनी धूरी पर घूर्णन करने से दिन रात होते है। पृथ्वी चौबिस घण्टे मे अपनी धुरी पर एक पूरा चक्कर लगाती है। जो भाग पृथ्वी का सूर्य के सामने होता है वहाँ पर उजाला रहने से दिन होता है और जो पृथ्वी का भाग सूर्य के पीछे होता है वहां पर अन्धेरा रहने से रात होती है। यह क्रम शाश्वत निरन्तर चलता रहता है जिसे हम काल चक्र कहते हैं।
अब इसके समानान्तर पृथ्वी अपनी परिधि में 365(दिन में सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा लगाती है। इस चक्र को बारह समान राशियों में विभक्त किया गया है। प्रत्येक राशि पन्द्रह डिग्री के आंशिक कोण में विभक्त है। सूर्य एक महीने तक प्रत्येक राशि मे स्थित रहते हुए चलायमान रहता है। इस 365( दिन में एक महिने प्रत्येक रात्री मे चलायमान रहते हुए भ्रमण करता है जिससे पृथ्वी पर ऋतुएं और मौसम होते है वर्ष पर्यन्त तक। ये मौसम चार चार महीनों के तीन, गर्मी, बरसात और सर्दी के होते है। इसी प्रकार दो-दो महीने की ऋतु छः होती है जो प्रत्येक माघ मास के शुक्ल पक्ष की बसन्त पंचमी से आरम्भ होकर गणगौर फिर ज्येष्ठ आधा तक फिर आधे सावन तक, फिर आधे अश्विन तक और फिर आधे मंगसर (अगहन)।
सुर्य 21 दिसम्बर को धनु राशि में भ्रमण करता हुआ उत्तरायन होकर परिक्रमण करता हुआ 15 जनवरी को पूर्ण रूप से उत्तरायन हो जाता है। इसको हम मकर संक्रान्ति के नाम से ज्योतिष शास्त्र में सम्बोधित करते है। चूंकि पृथ्वी का यह सूर्य मार्ग अण्डाकार होता है। अब सुर्य का अगले छः महीने तक 21 दिसम्बर से उत्तरायण मार्ग 21 जून तक रहेगा जिसमें सूरज एक-एक महीने क्रमशः छ राशियों मे मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ, मिथुन और कर्क राशि मे आकर सीधा चमकता हुआ दक्षिणायन होगा जो पुनः अगले छ महीनों तक दक्षिणायन होकर कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वश्विक में होता हुआ दक्षिणी गोलार्द्ध में धनु राशि में आ जायेगा। इस प्रकार छः महिनों तक बारी बारी से उत्तरी गोलाद्ध और दक्षिणी गोलाद्ध मे वर्ष पर्यन्त तक परिभ्रमण करता है। यह तो हुई सूर्य की प्रत्येक राशी पर एक-एक महीने की सूर्य की सक्रान्ति जो ज्योतिष शास्त्र का विषय है।
अब हम पुनः आते है अपने मूल विषय खगोल शास्त्र पर। ऊपर के पैरेग्राफ में पृथ्वी का सूर्य की परिधि में वर्षपर्यन्त तक परिक्रमण के प्रभाव से मौसम और ऋतुओं के बार में जानकारी दी थी। इस पैरेग्राम में आपको पृथ्वी का इस प्रकार वर्षपर्यन्त तक सूर्य की कक्षा में परिक्रमण करने से पृथ्वी पर होने वाले मौसम गरमी, बरसात, सर्दी क्रमशः 2 फरवरी से 30 मई चार महिनों तक गरमी का मौसम जिसमे माघ बदी पंचमी से अगले साल के चैत्र सुदी चौथ दो माह बसन्त ऋतु और चैत्र सुदी पंचमी सें ज्येष्ठ सुदी चौथ दो माह ग्रीष्म ऋतु होती है। इसी प्रकार अब 31 मई से 28 जुलाई तक वर्षा ऋतु व 29 जुलाई से 25 सितम्बर तक शरद ऋतु कुल चार महीनों तक 31 मई से 25 सितम्बर तक बरसात का मौसम होता है। इसी प्रकार अब 26 सितम्बर से सरदी का मौसम आरम्भ होता है अगले साल के 1 फरवरी तक रहता है जिसमे आश्विन सुदी पंचमी से अगहन (मार्गशीर्ष) सुदी चौथ तक हेमन्त ऋतु और अगहन सुदी पंचमी से माह सुदी चौथ तक दो महीने तक शिशिर ऋतु कुल चार महीनों तक सर्दी का मौसम होता है।
इस प्रकार मौसम और ऋतुओं का यह परिचक्र निरन्तर इसी क्रम में वर्ष पर्यन्त तक बार-बार अनन्तकाल तक चलता रहता है जिसे हम काल चक्र कहते है और इसी गति से यह काल-चक्र अनन्त समय तक आगे बढ़ता रहता है।
अब जो 21 दिसम्बर को सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध ठेढ 380डिग्री पर होता है जहाँ पर भरपूर गरमी चरम पर होती है जब कि उत्तरी गोलार्द्ध के 380डिग्री पर इसके विपरीत भरपूर कड़ाके की ठण्ड अर्थात् सर्दी होती है। इसका सीधा मौसम का प्रभाव देखने को यह होता है उत्तरी ध्रुव पर कड़ाके की ठण्ड होती है जहां पर छः महीने रात होती है और दक्षिणी धु्रव पर कड़ाके की गरमी होती है जहाँ छः महीनों दिन होता है। काल चक्र काल आरोही यह क्रम निरन्तर इसी प्रकार चलता रहता है। जिसे हम सैकण्ड़, मिनट, घण्टे, दिन, महीने, दस साल, सौ साल, हजार साल आगे मे आगे समय का चक्र बढ़ता रहता है और युगो युग बीत जाते है।
28.12.2024
 
इतिहासविज्ञ एवं लेखक : वासुदेव मंगल
CAIIB (1975) - Retd. Banker

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