राजस्थान की जनता फीलगुड कैसे करें 



हाल ही के राजस्थान विधानसभा के समय भारतीय जनता पार्टी की प्रोजेक्टेड मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने अपने घोषणा पत्र में राजस्थान की जनता से जो वादे किये थे वे अक्षरश सारे के सारे वादे आज दिनांक 18 मार्च सन् 2004 को सौ दिन बीत जाने के बाद भी बिल्कुल खोखले और झूंठे साबित हुए है। वसु मेडम ने पहीली घोषणा की थी कि सत्ता में आने पर सबसे पहीले वह राजस्थान की 998 नगरपालिका व परिषदोें को गृहकर वसूलने से मुक्त कर देगी और इस प्रकार राज्य की जनता को गृहकर से मुक्ती प्रदान करेगी। यह घोषणा सौ दिन के बाद भी अभी तक अमल में नहीं लाई गई है। अतः राजस्थान की जनता को फीलगुड का अहसास कैसे हो? 



दूसरी मुख्य घोषणा थी कि बिजली की दरें तुरन्त प्रभाव से कम की जायेगी। यहाॅं पर जनता को यह बताना अनिवार्य है कि चकरी वाले सुचारू रूप से चल रहे बिजली के मीटरों को, सरकार की विदेशी नीति के तहत् कम्प्युटराइज्ड मीटर लगाकर उपभोक्तओं से इनकी लागत कीमत पुनः वसूल करके जनता की कमर तोड़ दी जिससे बिजली में नहीं अपित् बिजली के बिलों में करंट आने लग गया। नतीजा यह हुआ कि पहीले से ज्यादा कमरतोड बिजली के बिल इन कम्प्युटराइज्ड मीटरों से आने लगा है। फिर भी बिजली विभाग का घाटा कम नहीं हो रहा है बल्कि यह घाटा और ज्यादा बढ़ता जा रहा है। हाॅं, तो बताईये की जनता फीलगुड कैसे करे? 



तीसरी घोषणा बेरोजगार नवयुवक व नवयुवतियों को सरकार द्वारा रोजगार देना था। यदि रोजगार नहीं दे सकी तो उनको एक निश्चित रकम प्रतिमाह बेरोजगार भत्ता देने की सरकार ने घोषणा की थी। यह घोषणा भी सौ दिनों के बाद भी निर्मूल ही सिद्ध हुई। अब राजस्थान की जनता ही फैसला करे कि क्या फिर लोकसभा के चुनाव में ऐसी सरकार के वादों से दिगभम्रित होगी? जिसने सत्ता में आने के लिए बेचारी भोली भाली जनता को गुमराह करके सत्तासीन हुई तो अब जनता ही उस सरकार को उसके झूठे वादों की याद दिला रही है। क्या इसी प्रकार झूठे आश्वासनों के सहारे क्या फिर से ऐसी पार्टी दोबारा केन्द्र में सत्तासीन हो सकेगी? अतः भारत के साथ में राजस्थान अजमेर संसदीय क्षेत्र के जागरूक मतदाता आप फिर से इन लोगो के झूठे वादों वाली चिकनी चुपड़ी लच्छेदार झांसों वाली बातों में मत आ जाना नहीं तो 55 हजार करोड़ रूपयों के इनके इस घाटे के बजट के मार चुनाव के तुरन्त बाद तुम्हारे पर टेक्स के रूप में पडनी है। अतः अभी समय रहते सोचना बहुत जरूरी है कि यह हमारे खैर ख्वाब है या मात्र सत्ता की कुर्सी हथियाने के लिए ही घडियाली आॅंसू बहा रहें है। जागरूक मतदाताओं आप अपने विवेक पूर्ण मत से भारत की तकदीर बदल सकते हो। हमारे द्वारा चुने गये हमारे लोगो ने ही हमारे को लूटा है और अभी तक लूट रहे हैं। अतः अब भी वक्त की पुकार है कि असंख्य देशभक्तों के बलिदान से स्वतंत्र हुई इस भारतमाता का भविष्य बडी हिफाजत से संवारना है आपको यानि देशवासियों को अपने विवेकपूर्ण मत की राय से। कालचक्र बडी तेजी से घुम रहा है। आज, मौका परस्त लोग नैतिक मूल्यों को ताक में रखकर अपने स्वार्थ के लिए आपको बहका रहे है। अतः फिर से समय आपके हाथ से दिनांक 20 व 26 अपे्रल और 5 व 10 मई सन् 2004 को मतदान में विवेकपूर्ण मतदान में चूक करने से हाथ से निकल गया तो मात्र पछताने के सिवाय आपके पास और कुछ भी नहीं बचेगा। अतः होशियार, खबरदार और सावधानी पूर्वक अपने विवेक से भारत के भाग्य विधाता आप लोग भारत के भाग्य का फैसला करें। यह ही मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है। 



क्योंकि ये सत्ता लोलुप कुर्सी के लिए छटपटा रहे है। इन्होने कुर्सी का सुख जो भोग लिया है। अतः कुर्सी का स्वाद उनके भूलाये नहीं भूला जा रहा है। एक बार फिर सत्ता में आये तो गैस एजेन्सी, पट्र्ोल पम्प आवंटन सब अपने चहेतों को बंदरबांट की तरह इनके द्वारा कर दी जावेगी और रह जायेगा आप पर हम पर इनका आर्थिक और आपराधिक दमनचक्र। अतः सावधान, हाशियार रहकर आप अपने मत का अधिकार का उपयोग अपने स्वयं के विवेक से भली प्रकार से सोच विचार कर करें। मतदाता इसबार आप ही भावी भारत के भाग्यविधाता है। कृपया मतदान अधिक से अधिक करना और मतदान करते वक्त यह बात मत भूलना भली प्रकार जेहन में रख लेना कि भारत का कल्याण इतनी बडी जनसंख्या वाले देश में स्वदेशी वस्तुओं के, कलकारखानों के, कुटीर उद्योग, लघु उद्योग हर हाथ को काम देने वाला शासन से होगा या फिर विदेशी हुकुमत की हुकार भरने वाले शासन से। यह फैसला इस चैदहवें लोकसभा के चुनाव में आपको आपके मत से करना है। 



जयहिन्द

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